राम तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी या काली तुलसी में अधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं।
इसके रोजाना सेवन से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है और याददाश्त तेज होती है। तुलसी की 4-5 पत्तियों को पानी के साथ निगलकर खाएं।
तुलसी के तेल की एक दो बूंदें नाक में डालें। इस तेल को नाक में डालने से पुराने सिर दर्द और सिर से जुड़े अन्य रोगों में आराम मिलता है।
तुलसी की पत्तियां लेकर उससे तेल बनाकर बालों में लगाने से उनमें मौजूद जूं और लीखें मर जाती हैं।
अगर आप रतौंधी से पीड़ित हैं तो दो से तीन बूँद तुलसी-पत्र-स्वरस को दिन में 2-3 बार आंखों में डालें।
अगर आप साइनसाइटिस के मरीज हैं तो तुलसी की पत्तियां या मंजरी को मसलकर सूघें।
काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत के नीचे रखने से दांत के दर्द से आराम मिलता है।
तुलसी रस-युक्त जल में हल्दी और सेंधानमक मिलाकर कुल्ला करने से भी मुख, दांत तथा गले के सब विकार दूर होते हैं।
तुलसी की पत्तियों को सेवन कराने से, खांसी, श्वास, कुक्कुर खांसी और गले की खराश में लाभ होता है।
तुलसी की पत्तियां डायरिया, पेट में मरोड़ आदि समस्याओं से आराम दिलाने में कारगर हैं।
तुलसी और जीरे का चूर्ण 1 ग्राम लेकर उसमें 3 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ लेने से मूत्र में जलन में लाभ होता है।
तुलसी के पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से भी पीलिया में आराम मिलता है।