Rajasthan Election 2023: राजस्थान के दृढ़ में अंतिम चरण में प्रचार के लिए आए कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनाव प्रचार अभियान में ओबीसी हाईलाइट है।
Rajasthan Election 2023
Rajasthan Election 2023: सियासी जानकारी इसके अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं। राजस्थान की असरदार और दमदार जाति जाट ओबीसी में आते हैं। दोनों ही दलों में सबसे ज्यादा टिकट यदि ओबीसी में किसी जाति को दिया गया है तो वह जाट है। जाट राजस्थान की 80-90 सीटों पर प्रभावी है विधानसभा चुनाव 2018 में 35 विधायक जाट समुदाय की ही बने थे।
राहुल गांधी ने जाट लाइन शेखावाटी में अपना भाषण ओबीसी पर ही रखा। सियासी जानकार मानते हैं कि ओबीसी को राजस्थान में चुनाव में जीत तक पहुंचाने की कुंजी के तौर पर देखा जाता है। यही वजह है कि राज्य की बड़ी आबादी जाट समुदाय पर राहुल गांधी की नजर है देश के हर राज्य की राजस्थान में ही सत्ता की चाबी जातियों के पास है। ओबीसी की तरह दो प्रमुख जातियां जाट और राजपूत पर राहुल गांधी का फोकस है। राजपूतों का झुकाव भाजपा की तरफ माना जाता है जबकि जाट परंपरागत तौर पर कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है हालांकि लोकसभा चुनाव में यह वोट बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गया था।
राहुल गांधी चाहते हैं कि जाट कांग्रेस की तरफ आए हालांकि राहुल गांधी अपनी सभा में किसी जाति विशेष का नाम नहीं ले रहे हैं सिर्फ ओबीसी की बात कर रहे हैं। राजस्थान के लगभग हर सभा में राहुल गांधी ओबीसी अफसर का मुद्दा उठा रहे हैं। राहुल गांधी का कहना है कि सबको गलतफहमी है कि देश को संसद और विधायक चला रहे हैं ऐसा नहीं है देश को 90 अवसर चला रहे हैं या गवर्नमेंट आफ इंडिया के सेक्रेटरी हैं ।इनमें आदिवासी पिछले दलितों की संख्या में साथ है ऐसे में साफ है कि जातिगत जनगणना के आधार पर ही इन वर्गों को लाभ दिलाया जा सकता है भारत के बच्चे एमपी एमएलए नहीं आईएएस बनना चाहते हैं क्योंकि देश को सरकार के अवसर चलते हैं दलित पिछड़ों और आदिवासियों की भागीदारी इसमें नहीं है। भारत सरकार का जारी होने वाला बजट भी या चुनिंदा अधिकारी तय करते हैं। इसमें ओबीसी की भागीदारी न के बराबर है इसके लिए हमने राजस्थान में जाति का जनगणना के आदेश दिए हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में जाटों ने भाजपा का समर्थन किया था तो वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा नाराजगी का कामयाज अभी उठाना पड़ा था कांग्रेस की बंपर जीत हुई अब एक बार फिर से सवाल यही है कि आखिर जाट किसका साथ देंगे ।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि राहुल गांधी ओबीसी के बहाने जाटों को साधना चाहते हैं कांग्रेस में सबसे ज्यादा टिकट एससी एसटी के बाद जाटों को ही दिया गया है। राजस्थान में जोधपुर नागौर पाली बाड़मेर जैसलमेर सिरोही से लेकर शेखावाटी में चूरू सीकर झुंझुनू बीकानेर गंगानगर पैच गंगानगर हनुमानगढ़ भरतपुर धौलपुर तक जाटों का खास प्रभाव है। और यहां जीत या हर जात काम ही तय करती है।
सियासी जानकारी यह भी मानते हैं कि भाजपा भरतपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण जाटों पर ही रहा हालांकि देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस विधानसभा चुनाव में जाट किसके साथ जाते हैं।
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