UP BJP Meeting: नयी दिल्ली , 17 जुलाई , उत्तर प्रदेश भाजपा में आया उफान और टकराव दिल्ली की मुलाकातों के बाद शांत होता लग रहा है ।
UP BJP Meeting
लखनऊ में उत्तर प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी में केशव प्रसाद मौर्य ने — “सरकार से बड़ा संगठन होता है “बयान दे कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक तरह से संकेत दिया था कि उनकी ताकत संगठन के सामने कम है । उस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा भी थे । मौर्य के बयान के बहुत से मायने लगाए जाने लगे क्या योगी को हटाया जाएगा ? क्या प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को बदला जाएगा ? नड्डा ने दिल्ली लौट कर अगले ही दिन मंगलवार को केशव प्रसाद मौर्य और भूपेंद्र चौधरी को दिल्ली तलब किया । अब इससे चिंगारी से आग निकलने लगी । कयास लगाए जाने लगे कि अब कुछ बड़ा फैसला हो कर रहेगा । दोनों ने नड्डा से अलग अलग एक एक घंटा मुलाकात की , पहले मौर्य मिले फिर चौधरी मिले ।
मुलाकातों में क्या हुआ कोई पुष्ट खबर सामने नहीं आयी लेकिन चर्चाओं और अटकलों का बाजार गर्म रहा । मौर्य और चौधरी दोनों ही बुधवार को भी दिल्ली में ही रहे । प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदेश अध्य़क्ष से हार और टकराव के कारण समझने के लिए बुलाया दोनों के बीच लगभग एक घंटा बात हुई । सूत्रों के अनुसार चौधरी से प्रधानमंत्री को ज़मीनी सच्चाई से वाकिफ करवाया । लखनऊ की आग पर दिल्ली ने अग्निशमन विभाग की दमकल की तरह काम किया ।फिलहाल कुछ नहीं बदलेगा जो भी होगा राज्य में होने वाले दस उपचुनावों के बाद ही होगा ।
दरअसल ये जगजाहिर है कि केशव प्रसाद मौर्य और योगी आदित्य के बीच संबंध कभी मधुर नहीं रहे । केशव प्रसाद मौर्य समय समय पर योगी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए बयान देते रहते हैं । यूपी भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं के अनुसार केशव प्रसाद मौर्य को योगी के नीचे उप मुख्यमंत्री बन कर रहना पसंद नहीं है ।वे या तो मुख्यमंत्रा या फिर प्रदेश अध्य़क्ष बनना चाहते हैं लेकिन उनको इस बार भी अपने मिशन में सफलता नहीं मिली ।लोकसभा चुनाव में भाजपा के 33 सीटों पर सिमट जाने के बाद हार की ठीकरा योगी आदित्य नाथ के सिर पर फोड़ने की कोशिश की जा रही है । लेकिन योगी समर्थक पहले ही कह चुके हैं कि उम्मीदवारों के चयन में योगी की नहीं चली जिसने उम्मीदवार तय किए वही हार के जिम्मेदार हैं । सत्ता के गलियारों में चर्चा आम है कि केशव प्रसाद मौर्य में अपना दम नहीं है उनको केंद्र के एक बड़े ताकतवर नेता का संरक्षण और समर्थन हासिल है । मौर्य उनके बल पर ही बगावती और तीखे तेवर अपनाते हैं ।
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