Narak Chaturdashi: नरक चतुर्दशी हिंदू धर्म में काफी खास माना जाता है इस दिन छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है इस दिन लोक प्रदोष काल के दौरान चार मुखी दीपक जलाने की परंपरा है जो यमदेव को समर्पित किया जाता है इस दिन लोग भगवान को बेड देवी लक्ष्मी भगवान धन्वंतरि और यमदेव जिन्हें मृत्यु का देवता भी कहा जाता है उनकी पूजा आराधना करते हैं या महत्वपूर्ण अवधि में यह का दीपक जलाने का भी प्रावधान है जो नरक चतुर्दशी की शाम को किया जाता है।
Narak Chaturdashi
पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 30 अक्टूबर के दिन बुधवार को 1:15 पर शुरू होगी वह चतुर्दशी तिथि का समापन 31 अक्टूबर दिन गुरुवार को 3:52 पर होगा ऐसे में इस साल नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी नरक चतुर्दशी के दिन सूर्यास्त के बाद या दीपक जलाया जाता है इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 5:36 से लेकर 6:05 तक रहेगा।
जानकारी के मुताबिक हिंदू धर्म में दक्षिण दिशा को यह की दशा माना जाता है इस दिशा में यह दीपक जलाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है या माना जाता है कि हम दीप जलाने से पितरों को मुक्ति मिलती है यमदीप को शाम के समय जलाना चाहिए और यमदीप में शुद्ध घी का प्रयोग करना चाहिए यमदीप में बत्ती अच्छी तरह से हुई की होनी चाहिए और दीपक सांप और सुंदर होना चाहिए यमदीप जलाते समय यमराज का मंत्र का जाप करें कुछ लोग यमदीप को घर के बाहर भी जलते हैं यह दीप जलाते समय मन में शुद्ध भाव रखा जाता है इससे जीवन में परेशानियां नहीं आती है
आपको बता दें कि हम दीप दक्षिण दिशा में चलाया जाता है भगवान यह इस शुभ दिन पर पूजे जाने वाले देवताओं में से एक है इस दिन प्रदोष काल के दौरान चार मुखी दिया लोग जलते हैं और वह दक्षिण दिशा की तरफ रखते हैं जो यमदेव को समर्पित होता है ऐसी मान्यता है कि जो चार मुखी दिया जलाते हैं उन्हें मृत्यु के भाई से राहत मिलती है और लंबी आयु का वरदान मिलता है क्योंकि भगवान या उनकी रक्षा करते हैं और लंबे जीवन कल्याण का आशीर्वाद भी देते हैं
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