Mahakumbh Aghori Baba: न जलाए जाते है न ही दफनाए जाते है, जाने अघोरी साधु के अंतिम संस्कार की विधि

Mahakumbh Aghori Baba

Mahakumbh Aghori Baba: क्या आप जानते अघोरी साधु के मरने के बाद न ही उनको जलाया जाता है न ही दफनाया जाता है अघोरी बाबाओं के अंतिम संस्कार की विधि होती है बिल्कुल अलग और खौफनाक, इसकी एक लंबी प्रक्रिया होती है जो 40 दिन तक चलती है। तो चलिए जानते है कैसे अघोरियों का अंतिम संस्कार किया जाता है।

Mahakumbh Aghori Baba

इस वक्त संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ का मेला लगा हुआ है। मेला को आस्था, विश्वास और एकता का प्रतीक माना जाता है। यहां लोग दूर-दूर से गंगा स्नान के लिए पहुंचते है, दान-पुण्य करते हैं और साधु-संतों का आशीर्वाद लेते है। माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति तीन दिन लागातार नियम से स्नान करेंगे तो उसे हजार अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। वहीं इस समय महाकुंभ में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बने हैं अघोरी बाबा और नागा साधु। अघोरियों को लेकर लोगों के मन में कई सवाल आते है। जैसे कि ये लोग क्या सच में ही इंसानी मांस खाते हैं। क्यों अघोरी नर मुंड हमेंशा अपने साथ रखते हैं और अघोरियों का अंतिम संस्कार कौन करता है और इसकी क्या विधि है

अघोरी साधु के अंतिम संस्कार की विधि


अघोरी साधु की मुत्यु होती है तो उसके शव को जलाया नहीं जाता है बल्कि अघोरी साधु की मौत होने पर चौकड़ी लगाकर शव को उलटा रखा जाता है। मतलब सिर नीते और टांगे ऊपर फिर सवा माह यानी की 40 दिन तक इंतजार किया जाता है कि उसके शव में कीड़े पड़ें।उसके बाद मृत शरीर को उतार कर आधे शरीर को वो गंगा नदी में बहा देते हैं। जबकि, सिर के हिस्से को वो साधना के लिए इस्तेमाल करते है। वहीं कुछ अघोरी सिर वाले हिस्से को साधना के बाद अपने पास ही रख लेते हैं। तो कुछ उसे भी गंगा में बहा देते है यह सब करने के पीछे मान्यता है कि गंगा में उसके सारे पाप धुल जाते हैं.

कैसे होते है अघोरी बाबा


अघोरी बाबा, भगवान शिव को अपना गुरु मानकर घोर साधना करते हैं। ये तंत्र साधना में लीन होते हैं। और श्मशान में रहकर साधना करते हैं। ये लोगों के कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। ये चिता की राख अपने शरीर पर लागाते है। ये अक्सर कच्चे मांस और मानव शव का भी सेवन करते है। मगर वो गाय का मांस नहीं खाते।

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