Tejaji Maharaj Rajasthan: आज भी होता है चमत्कार
काले नाग के जीभ पर पर डसने के बावजूद घोडला को नही होता कुछ भी
मेले में उमड़ती है हजारों की भीड़
गांव में आज तक नही हुई किसी के सांप के काटने से मौत
Tejaji Maharaj Rajasthan
टोंक :- इसे विज्ञान के युग मे आस्था कहे या चमत्कार पर सच यही है कि टोंक जिले के सुरेली गांव में तेजाजी के मेले में पिछले 24 सालों से होता रहा है ऐसा चमत्कार जिस पर यकीन ही नही होता पर तस्वीरे कभी झूठ नहीं बोलती है और हमारी इस रिपोर्ट में देखिए कि किस तरह से काले नाग के तेजाजी के घोडला(पुजारी) की जीभ पर डसने(काटने) के बावजूद कुछ नही होता है और कुछ देर मूर्छित होने के बाद घोडला के होश में आने के बाद मेले में गूंज उठते है तेजाजी महाराज के जयकारे ।
राजस्थान के लोकदेवता तेजाजी महाराज के तेजा दशमी पर मेले यू तो राजस्थान भर में भरते है और आज बात होगी टोंक जिले के सुरेली में पिछले 24 सालों से मेले में होने वाले चमत्कार की इस मेले में हजारों लोगों की भीड़ के बीच गांव में मौजूद मंदिर में होता है चमत्कार जंहा काले नाग से तेजाजी का घोडला अपनी जीभ को डसवाता है और उसके बाद वह मूर्छित हो जाता है और कुछ देर की मूर्छित अवस्था के बाद उसे होश आता है तो मेले में गूंज उठते है तेजाजी महाराज के जयकारे गांव वालों की मान्यता है कि तेजाजी महाराज के चमत्कार के कारण ही ऐसा होता है क्यो की आज भी जहरीले सर्प के डसने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र के लोग मरीज को अस्पताल ले जाने की जगह सीधे तेजाजी महाराज के यंहा मंदिर पर लेके जाते है और यही बात टोंक के सुरेली तेजाजी मंदिर में भी देखने को मिल रही है पिछले कई सालों से गांव वाले इसे तेजाजी का चमत्कार मानते है तो यह भी कहते है कि आज तक किसी की भी तेजाजी की कृपा से इस गांव में सर्प के काटने से कभी मौत नही हुई है इस गांव में ।
सुरेली गांव में तेजा दशमी पर पिछले 24 सालों से भरने वाले मेले में तेजाजी का यह चमत्कार देखने को मिलता है मेले के पांच दिन पहले ग्रामीण गांव के बाहर सर्प की बामी (बिल ) की पूजा अर्चना करने जाते है और उसके बाद दशमी के एक दिन पूर्व नाग देवता नाग -नागिन के जोड़े के रूप में गांव के मंदिर में आते है उसके बाद गांव वाले गांव में एक दिन पहले सवारी निकाल कर ले जाते है और मेले के दिन तेजा दशमी पर मंदिर पर मेले में तेजाजी के गीतों ओर जलने वाली जोत के बीच गांव के घोडला को भाव आते है इसी बीच बुजुर्ग घोडला काले सांप को हाथ मे लेकर घूमते रहते है तो मेले के समापन से पहले हर बार घोडला की जीभ पर काला सांप जिसे स्थानीय लोग नाग देवता के रूप में पूजते है डसता है पर इसे आस्था का चमत्कार ही कहेंगे कि जिस काले सांप के काटने से इलाज के अभाव में किसी की भी मौत हो सकती है लेकिन तेजाजी का घोडला कुछ ही देर की मूर्छित अवस्था के बाद होश में आ जाता है और बिल्कुल स्वस्थ होता है मेले के समापन पर ग्रामीणों के साथ तेजाजी का घोडला दोनों काले सांपो को गांव के बाहर मौजूद उन्ही बामियों पर लेजाकर छोड़कर आते है जंहा से पांच दिन पूर्व पूजा कर नाग देवता को मेले में आने का निमंत्रण दिया गया था,इस चमत्कार पर जब तेजाजी के घोड़ले से बात की गई तो उनका यही कहना था कि यह सब तेजाजी महाराज का चमत्कार ही तो है ।
नही हुई है सर्प दंश से कभी गांव में मौत ।
राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में लोकदेवता तेजाजी महाराज की मान्यता ओर आस्था बहुत है आज भी जहरीले कीड़े या यंहा तक कि काले सांप के कांटने के बावजूद ग्रामीण लोग हॉस्पिटल ले जाने की जगह मरीज को तेजाजी के स्थान पर लेकर जाते है और विज्ञान पर लोगो की आस्था उस समय भारी नजर आती है जब चमत्कार होते है काले सांप के कांटे लोग भी तेजाजी महाराज के मंदिर पर ठीक होकर घर लौटते है बात अगर सुरेली गांव की की जाए तो आज तक कभी भी इस गांव में किसी की मौत सांप के काटने से नही हुई है ।
सुरेली के मेले में तेजाजी महाराज का काले सर्प के घोड़ले की जीभ के काटने के बावजूद बिना किसी इलाज के मंदिर में तेजाजी की कृपा से ठीक हो जाना विज्ञान के इस युग मे लोगो की आस्था की जीत है कि आखिर कुछ बात तो है कि जिस काले सांप के काटने से इलाज के अभाव में किसी की भी मौत निश्चित है पर सुरेली के तेजाजी महाराज के मंदिर में होता है हर साल तेजा दशमी पर चमत्कार ।
इसे भी पढ़े:-Chanakya Niti: पति को कभी नहीं बताएं यह तीन राज़, सुखी जीवन में लग जाएगी