ABVP Yashwant Office: कार्यालय केवल भवन नहीं, कार्य का आलय होना चाहिए — डॉ. मोहनराव भागवत

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New Delhi : Reported By Mamta Chaturvedi

ABVP Yashwant Office: विद्यार्थी परिषद् का कार्य ‘ज्ञान, शील और एकता’ के मूल भाव से संचालित हो — डॉ. मोहनराव भागवत

राष्ट्रीय समरसता और युवा संवाद को समर्पित ‘यशवंत’ कार्यालय से SEIL प्रकल्प को मिलेगी नई ऊर्जा

ABVP Yashwant Office

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के प्रकल्प “SEIL – Students’ Experience in Interstate Living” (अंतर-राज्य छात्र जीवन-दर्शन) के केंद्रीय कार्यालय ‘यशवंत’ का उद्घाटन आज दिल्ली में परम पूजनीय सरसंघचालक जी के कर कमलों से हुआ। इस अवसर पर ‘सील ट्रस्ट’ के अध्यक्ष अतुल कुलकर्णी, अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही, राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी, अखिल भारतीय छात्रा प्रमुख डॉ. मनु शर्मा कटारिया जी, दिल्ली प्रांत अध्यक्ष तपन बिहारी, प्रांत मंत्री सार्थक शर्मा मंच पर उपस्थित रहें।

इसके अतिरिक्त भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी भी उपस्थित रहें। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अधिकारी श्री मुकुंद सी. आर., डॉ. कृष्ण गोपाल, श्री अरुण कुमार तथा संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री आशीष चौहान भी इस अवसर पर प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में भारत सरकार के कई केंद्रीय मंत्री– नितिन गडकरी, जगत प्रकाश नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल, मनसुख मांडवीया के साथ दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी उपस्थित रहीं।

सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत जी ने अपने उद्बोधन में कहा, दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर विद्यार्थी सहयोग से कार्यालय की स्थापना एक बड़ी उपलब्धि है। हमने इस कार्यालय का नाम ‘यशवंत’ रखा है, जिसे यशवंतराव जी के जन्म शताब्दी वर्ष में स्थापित किया गया। जिस प्रकार सील प्रकल्प को यशवंतराव जी ने आगे बढ़ाया था, उसी भावना से यह विद्यार्थी परिषद का कार्यालय बना है, जिसमें ‘ज्ञान, शील और एकता’ का मूल भाव निहित है। विद्यार्थी परिषद को समझना हो तो उसके कार्यकर्ताओं को देखना चाहिए, क्योंकि घटक पूर्ण मिलकर सम्पूर्णता का निर्माण करते हैं। परिषद कार्यकर्ताओं के अनुभवों से गढ़ी गई है, संघ पर संकट के समय भी राष्ट्रीय विचार के आधार पर कार्य करते हुए, परिषद ने अपने आकार को पाया है। कार्यालय केवल एक भवन नहीं, कार्य का आलय होना चाहिए, क्योंकि जैसा कार्य होगा, वैसी ही परिषद बनेगी। संगठन में आत्मा और बुद्धि के साथ शरीर भी आवश्यक है; अधिक तामझाम की आवश्यकता नहीं, अपितु मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए। आज हमारे देश और विश्व में परिवर्तन हो रहा है। दोनों प्रकार के रास्तों को विश्व ने देख लिया है और अब भारत की ओर आशा से देखा जा रहा है। हमें ऐसा देश बनाना है, जिसमें सच्ची स्वतंत्रता खिलती हो। यह सामर्थ्य हमारे तरुणों में है — उन्हें केवल दिशा और ज्ञान की आवश्यकता है। यह ज्ञान भी तभी सार्थक है जब उसमें एकता हो। विविधता को सम्मान देते हुए भी हमें ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को अपनाना है। एकता के बिना शील नहीं होता, और शील के बिना ज्ञान शक्ति प्रदर्शन का साधन बन जाता है, जैसा हम इतिहास और वर्तमान दोनों में देखते हैं।

अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही ने कहा, अभाविप के इस SEIL कार्यालय का लोकार्पण उन सैकड़ों कार्यकर्ताओं की सहभागिता और तप से संभव हुआ है, जिन्होंने इस स्वप्न को साकार करने के लिए अपना योगदान दिया। यह कार्यविलय डॉ. यशवंतराव जी के नाम पर समर्पित है, जिन्होंने कार्यकर्ता और विद्यार्थी जीवन को गहराई से प्रभावित किया। इस कार्यालय का आकार आज हमारे सामने खड़ा है। यह कार्यालय न केवल अभाविप के संगठनात्मक कार्यों का सशक्त केंद्र बनेगा, बल्कि राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों की भूमिका को भी नई दिशा देगा।

अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी जी ने कहा,
विद्यार्थी परिषद के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने तप और आहुति से संगठन को सींचा है। अनेकों पूर्व और वर्तमान कार्यकर्ताओं के अथक प्रयासों से आज विद्यार्थी परिषद देश के कोने-कोने में कार्यरत है। परिषद आज इतने बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने में सक्षम है कि एक ओर हमारे कार्यकर्ता विशाल आयोजन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जेएनयू जैसे परिसरों में चुनावों में भी डटकर…

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