Budget Session 2024: संसद में पीएम मोदी की राम-राम, इस संदेश के सामाजिक और राजनीतिक मायने

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Budget Session 2024: भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लोगों को संबोधित करना शुरू किया तो राम-राम के संबोधन से किया और खत्म किया सियाराम से।

Budget Session 2024

Budget Session 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को संसद के बजट सत्र से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए अपना संबोधन फिर से राम-राम से किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आप सभी को 2024 की राम-राम इस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बात की शुरुआत की और फिर खत्म करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम-राम कहा ।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह यू ही नहीं कहा बल्कि उसके गहरे राजनीतिक और सामाजिक मायने भी हैं। भारतीय जनता पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव को राम मंदिर के मुद्दे के इर्द-गिर्द अपना एजेंडा सेट कर रही है। ऐसा माना जा रहा है कि राम मंदिर का सियासी असर अप्रैल में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी दिखेगा। इन दोनों देश के गांव-गांव गली-गली शहर में अयोध्या बना रहे ।अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर का मुद्दा छाया हुआ है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी राम मंदिर आंदोलन के चिर परिचित वाले नारे जय श्री राम के नारे को त्याग कर राम-राम को बार-बार दोहरा रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ऐसे ही अपने संबोधन का आगाज राम-राम से नहीं कर रहे बल्कि सियासी दृष्टि से देखा जाए तो जय श्री राम का सफर यहां से खत्म होता है। और राम-राम के साथ आगे की यात्रा शुरू होती है। भगवान राम के नाम को समावेशी बनाने की है क्योंकि गांव में आज भी लोग एक दूसरे को राम-राम करके अभिवादन करते हैं उत्तर भारत के लोग स्मृति में राम को याद करने से जो सहज और स्वाभाविक शब्द या शैलियों रही हैं उसमें राम-राम जय राम जय जय राम और फिर जय सियाराम का रहा है।

राम के नाम से हिंदू समुदाय के लोग मुस्लिम का भी अभिवादन करते हैं उसके जवाब में वह भी राम-राम कहते हैं लेकिन 90 के ।दशक में भाप और बीजेपी के राम मंदिर को लेकर आंदोलन शुरू किया गया तो जय श्री राम के नारे बुलंद किए जाने लगे। भाजपा की रैलियां में भी जय श्री राम के नारे लगाए जाने लगे और आज भी हो रहे हैं। हिंदू धार्मिक यात्रा और जुलूस में भी जय श्री राम के नारे लगाए जाते हैं इस तरह से जय श्री राम का नारा राजनीतिक नारा बन गया था जबकि राम-राम और जय सियाराम के नारे आपसी भाईचारा और।

दूसरी और अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बहुत भी राम मंदिर तैयार हो रहा है भगवान राम लाल 500 साल के बाद अपने गर्भगृह में विराजमान हो चुके हैं और उनकी प्राण प्रतिष्ठा हो गई है राम मंदिर बनने स से पहले तक जय श्री राम के नारे से जो कुछ हासिल किया जा सकता था वह हो गया है। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही आंदोलन का मकसद खत्म हुआ तो फिर राम-राम पर बोलकर ही उन्हें समावेशी बनाने की शुरुआत हो गई है।

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