Caste Census News: जातिगत जनगणना सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस कदम : जमाल सिद्दीक़ी

Jamal Siddhaqui

Caste Census News: इस पहल का सबसे बड़ा असर पसमांदा मुस्लिम समुदाय पर पड़ेगा

दिल्ली: जातिगत जनगणनाजातिगत जनगणना सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस कदम : जमाल सिद्दीक़ी

इस पहल का सबसे बड़ा असर पसमांदा मुस्लिम समुदाय पर पड़ेगा

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दिल्ली: जातिगत जनगणना का गैजेट नोटिफिकेशन जारी होने पर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीक़ी कहना है। मोदी सरकार द्वारा जातिगत जनगणना का निर्णय एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि जनगणना का फॉर्म भरते समय मुसलमान अपनी जाती की सही जानकारी दें और कट्टरपंथि मौलानाओं के बहकावे में नहीं आएं। क्योंकि ये सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस कदम है । पहली बार मुस्लिम समुदाय के भीतर मौजूद जातियों की भी विस्तृत गिनती की जाएगी। अब तक मुस्लिमों को केवल एक धार्मिक समूह के रूप में दर्ज किया जाता रहा है, जिससे उनके भीतर की सामाजिक और आर्थिक विविधताओं पर स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं थी। इस जनगणना से मुस्लिम समुदाय की जातियों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति से जुड़े ठोस आंकड़े सामने आएंगे, जो नीति निर्माण और सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण आधार बन सकते हैं।

जमाल सिद्दीक़ी ने कहा कि मुस्लिम कट्टरपंथियों के बहकावे नही आएं और अपनी जाती की सही जानकारी उपलब्ध कराएं क्योंकि कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं द्वारा गुमराह करने के लिए लोगों से अपील की जा रही की जातिगत जनगणना के दौरान मुस्लिम अपनी जाती इस्लाम बताएं। जबकि ये जातिगत जनगणना है, धार्मिक जनगणना नही। जाति संस्कृति का हिस्सा है, धर्म का हिसा नही है।

भारतीय संस्कृति में जातियां होती हैं। जिसके द्वारा मुस्लिम समाज के भीतर भी जातिगत विविधताओं को सामने लाया जाएगा, तो उस एकरूपता की धारणा टूटेगी। इस पहल का सबसे बड़ा असर पसमांदा मुस्लिम समुदाय पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज में भी 85 फीसद जनसंख्या पसमांदा मुसलमानों की है, जो पिछड़े हुए हैं। लेकिन सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र में उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है। लेकिन ठोस आंकड़े नहीं होने के कारण उनकी आवाज अनसुनी कर दी जाती है। देश के सभी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड में भी एक भी पसमांदा मुसलमान सदस्य नहीं है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीक़ी कहना है।

मोदी सरकार द्वारा जातिगत जनगणना का निर्णय एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि जनगणना का फॉर्म भरते समय मुसलमान अपनी जाती की सही जानकारी दें, कट्टरपंथि के बहकावे में नहीं आएं। क्योंकि ये सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस कदम है । कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम समाज में भ्रम फैला रहे हैं कि जनगणना के समय जाती की लाईन में भी वे इस्लाम लिखें, इससे इस्लाम के मानने वालों की संख्या ज़्यादा दिखेगी, इस्लाम जाति की कोई व्यवस्था नही है।

ऐसा करके कट्टरपंथी पसमांदा समाज को धोखा देना चाहते हैं। जाति इस्लाम का हिस्सा नही लेकिन भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। पसमांदा समाज इस्लाम में जाते वक़्त अपनी जात लेकर गया और अभी तक उसको जी भी रहा है। उन्होंने कहा कि आज जो लोग जाति बताना गैर इस्लामिक बोल रहे हैं वही लोग जाति के आधार पर पसमांदा के साथ भेद भाव करते हैं और उन्हें तरक्की से दूर रखा। 85 प्रतिशत पसमांदा समाज की तरक़्की 10 प्रतिशत भी नही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौक़ा दिया है कि जात गिनवा कर हम अपनी हिस्सेदारी पक्का करे लें।

जमाल सिद्दीक़ी ने कहा कि उन्होंने कहा कि पहली बार मुस्लिम समुदाय के भीतर मौजूद जातियों की भी विस्तृत गिनती की जाएगी। अब तक मुस्लिमों को केवल एक धार्मिक समूह के रूप में दर्ज किया जाता रहा है, जिससे उनके भीतर की सामाजिक और आर्थिक विविधताओं पर स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं थी। इस जनगणना से मुस्लिम समुदाय की जातियों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति से जुड़े ठोस आंकड़े सामने आएंगे, जो नीति निर्माण और सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण आधार बन सकते हैं।

जमाल सिद्दीक़ी ने कहा कि ये जातिगत जनगणना है, धार्मिक जनगणना नही। जाति संस्कृति का हिस्सा है, धर्म का हिसा नही है। भारतीय संस्कृति में जातियां होती हैं। जिसके द्वारा मुस्लिम समाज के भीतर भी जातिगत विविधताओं को सामने लाया जाएगा, तो उस एकरूपता की धारणा टूटेगी। इस पहल का सबसे बड़ा असर पसमांदा मुस्लिम समुदाय पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज में भी 85 फीसद जनसंख्या पसमांदा मुसलमानों की है, जो पिछड़े हुए हैं। लेकिन सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र में उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है। लेकिन ठोस आंकड़े नहीं होने के कारण उनकी आवाज अनसुनी कर दी जाती है। देश के सभी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड में भी एक भी पसमांदा मुसलमान सदस्य नहीं है।

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