Economic Survey: आर्थिक सर्वेक्षण मोदी सरकार की नाकामियों पर चमचमाते हुए खोखले लिफाफे की तरह-खड़गे

Economic Survey: आर्थिक सर्वेक्षण जमीनी हालात से बिल्कुल परे, असलियत में लोगों के हालात ठीक नहीं हैं- गोगोई 

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नई दिल्ली, 22 जुलाई 

कांग्रेस ने केंद्र सरकार द्वारा बजट से पहले संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण को जमीनी सच्चाई से कोसों दूर बताया है। 

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘ढाई घंटे तक गला घोंटा’ का विलाप कर रहे थे, पर सच्चाई ये है कि उनकी सरकार ने 10 वर्षों में 140 करोड़ भारतीयों के अरमानों का गला घोंटा है। आर्थिक सर्वेक्षण मोदी सरकार की नाकामियों पर चमचमाते हुए खोखले लिफाफे की तरह है।

खरगे ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री सदन में झूठ फैलाते हैं, नीट पेपर लीक पर जिम्मेदारी लेने से बचते हैं। आज युवाओं का भविष्य अधर में है। बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत पर है। नौकरियों के लिए भगदड़ मच रही है। कमरतोड़ महंगाई ने देश के परिवारों की बचत 50 वर्षों में सबसे निम्न स्तर पर कर दी है। खाद्य महंगाई 9.4 प्रतिशत पर है। आर्थिक सर्वेक्षण कहता है कि चीन से एफडीआई आना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गलवान में 20 शहीदों का अपमान करते हुए चीन को राजनीतिक क्लीन चिट दी, आज उनके आर्थिक सर्वेक्षण ने चीन को आर्थिक क्लीन चिट दे दी है। भारत में चीनी वस्तुओं का आयात 2020 के बाद से 68 प्रतिशत बढ़ गया है और चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा 75 प्रतिशत बढ़ गया है। किसानों की हालत ख़राब है। आज की ही ख़बर कहती है कि अब मोदी सरकार पिछले दरवाज़े से किसान विरोधी तीन काले क़ानून फिर से लागू करना चाहती है। अन्नदाता किसानों की राष्ट्रीय औसत मासिक कृषि आय मात्र 5,298 रूपये है। आर्थिक सर्वेक्षण सफ़ेद झूठ बोलकर दावा करता है कि गरीबी लगभग खत्म हो गई है। सच्चाई ये है कि देश में अमीरों और गरीबों के बीच अंतर 100 वर्षों में सबसे अधिक है। आर्थिक सर्वेक्षण जमीनी सच्चाई से कोसों दूर है, ये देश का हर नागरिक जानता है। 

वहीं नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण जमीनी हालात से बिल्कुल परे है। सर्वेक्षण में सरकार का पक्ष सब चंगा सी जैसा है। जबकि असलियत में लोगों के हालात ठीक नहीं हैं। सरकार आज भी महंगाई को नियंत्रित नहीं कर पाई है। अमीर को महंगाई से फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन गरीब-मध्यम वर्ग के लिए यह एक बड़ी समस्या है। महंगाई कब कम होगी, इसका जवाब आर्थिक सर्वेक्षण में नहीं मिलता। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को तो महंगाई दिखती ही नहीं है।

गौरव गोगोई ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद देश में असमानता बढ़ी है। देश के गरीब और आम लोग सरकार से इस असमानता के खिलाफ सुविधा मांगते हैं, लेकिन मोदी सरकार सिर्फ नारे देती है। एक समय नरेंद्र मोदी कहते थे कि हवाई चप्पल वाला व्यक्ति हवाई जहाज में जाएगा। लेकिन आज हवाई चप्पल वाला व्यक्ति, ट्रेन में भी नहीं चल पा रहा है। जिन क्षेत्रों में भारतीयों को सबसे ज्यादा रोजगार मिलता है, आज उन क्षेत्रों के हालात खराब हैं। हमारा व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है। हर सेक्टर में सरकार विफल है और छोटा दुकानदार मर रहा है।

गौरव गोगोई ने कहा कि भय और भ्रम नरेंद्र मोदी के दो हथियार हैं। ये आर्थिक सर्वेक्षण उसी भ्रम का एक उदाहरण है कि सब चंगा सी है। सर्वेक्षण बड़ी-बड़ी कंपनियों का मुनाफा बढ़ता हुआ दिखा रहा है, लेकिन सवाल यह है कि इन कंपनियों में नौकरियां कितने लोगों को मिली हैं। ये सर्वेक्षण अगर इतना ही अच्छा है, तो भारत का युवा रूस की सेना में भर्ती क्यों हो रहा है और युद्धग्रस्त इज़रायल में नौकरी के लिए क्यों जा रहा है। अगर अर्थव्यवस्था अच्छी होती तो बाहर से लोग यहां आ रहे होते, लेकिन आज इसके उलट पलायन हो रहा है।

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