महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव रोज करवटें बदल रहा है। सब अपनी अपी जीत के दावे कर रहे हैं। चाहे वह महाविकास अघाड़ी हो या महायुती हो। इन दोनों हीं गठबंधनों मे तीन तीन बड़ी पार्टीयां शामिल हैं। कौन जीतेगा और कौन हारेगा, ये अभी तय भी नहीं हुआ है। लेकिन दोनों गठबंधनों के 6 राजनीतिक दल खुद को सीएम पद का अभी से दावेदार बता रहे हैं। इसका साईड ईफेक्ट ये दिख रहा है कि अभी से ये लग रहा है कि दो गठबंधन नहीं, बल्कि 6 राजनीतिक दल एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों हीं गठबंधनों का कॉमन घोषणा पत्र के अलावा अपना अपना घोषणापत्र जारी किया गया है। इसके अलावा इन 6 पार्टियों के अभी के रुख से इतना तो स्पष्ट होने लगा है कि असली खेला तो चुनाव के नताजे के बाद होने वाला है।
चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी और अमित शाह वोटर्स से लगातार कह रहे हौं कि, ‘महायुति को जिताएं, फडणवीस को जिताएं. । इस बात से तो स्पष्ट है कि अगर महायुती की जीत होती है तो देवेन्द्र फणनवीस हीं मुख्यमंत्री बनेंगे।
इसके अलावा अगर अजित पवार की बात करें तो समय-समय पर मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताते रहे हैं, हालांकि संख्याबल में उनकी पार्टी काफी पीछे है. उनको लड़ने के लिये कम सीटें भी दी गई हैं। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने ये बोलना शुरु कर दिया है कि वही किंग मेकर रहेंगे। योगी आदित्यनाथ के बयान “बटेंगे तो कटेंगे” का खुलकर उन्होंने विरोध भी कर दिया है। उनके साथ साथ प्रचार कर रहे नवाब मलिक ने तो यह भी बोल दिया है कि हम अपने विधानसभा क्षेत्र में पीएम का पोस्टर नहीं लगायेंगे। इस बात से इतना तो स्पष्ट है कि अजित पवार किंग मेकर बन सकते हैं। हालांकि जिस दबाव में उन्होंने NCP पार्टी छोड़कर बीजेपी का साथ दिया था, वो दबाव तो अभी भी बरकरार है।
इसके अलावा अगर शिवसेना शिन्दे गुट के सीएम एकनाथ शिन्दे की बात करें तो वो ऑलरेडी अभी सीएम हैं। और खुद को वो अगला सीएम मानकर भी चल रहे हैं। अगर देखा जाय तो पिछले पांच साल भले हीं सरकार में जो भी शामिल रहा हो लेकिन सीएम पद शिवसेना के हीं पास रहा है। ऐसे में एकनाथ शिन्दे को सीएम की कुर्सी से उतारना महायुती के लिये आसान नहीं होगा।
दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी में उद्धव ठाकरे शुरु से हीं खुद को सीएम पद पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष ढंग से खुद को सीएम पद के दावेदार के रुप में पेश करते रहे हैं। इस बात को लेकर हीं महाविकास अघाड़ी में आपस में काफी खटास भी बना हुआ है। सीटों के बंटवारे के दौरान उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के बीच ज्यादा सीटों को लेकर इसीलिये विवाद काफी लम्बा खिंच गया था, जिसके कारण शरद पवार को बीच में आना पड़ा था। महाविकास अघाड़ी के तीनों राजनीतिक दल ज्यादा से ज्यादा सीटों पर इसलिये अड़े हुए थे ताकि जीतने के बाद वो खुद को सीएम पद की दावेदारी कर सकें। महाविकास अघाड़ी में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) खुलकर सीएम पद पर दावेदारी करती रही है. दशहरा के मौके पर भी राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शिवाजी पार्क में कहा ता कि उद्धव ठाकरे आपको इसी मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी है. दीवाली के दिन भी उद्धव ठाकरे ने बातों हीं बातों में इशारा किया कि दीपावली के असली पटाखे फुटने अभी बाकी हैं। तो इस करह ये स्पष्ट है कि शिवसेना (यूबीटी) ने अपने गठबंधन साथियों कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) सो साफ-साफ संदेश दे दिया है.
दूसरी तरफ कांग्रेस के नाना पटोले भले हीं ये लगातार कहते रहे हैं कि चुनाव बाद इसपर फैसला किया जाएगा. हम एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे. लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी करती रही है. और शायद यही वजह रही थी कि ज्यादा सीटों पर लड़ने को लेकर सीट बंटवारे में इतनी देर हुई थी। हालांकि महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले यही बोलते रहे हैं कि महायुति को अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने दें, MVA भी उसका अनुसरण करेगा.
इसके अलावा शरद पवार भी मुख्यमंत्री पद को लेकर चुनाव बाद फैसला लेने की बात कहते रहे हैं. लेकिन हम सब जानते हैं कि शरद पवार के पास जो राजनीतिक अनुभव है उसको पहले से पहचान पाना या बता पाना किसी के लिये भी लगभग असंभव है। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के द्वारा एक बात तो जनता के बीच चर्चा में जरुर ला दिया है कि महिला मुख्यमंत्री के नाम पर सुप्रिया सुले का नाम आगे कर सकते हैं।
दोनों ही गठबंधन के नेताओं के बयान के बाद माना जा रहा है कि चुनाव बाद जीत की स्थिति में पार्टियां संख्याबल के आधार पर मुख्यमंत्री पद पर फैसला लेगी, यानि जिस पार्टी को सबसे अधिक सीटें मिलेंगी उसका मुख्यमंत्री होगा. ऐसे में सीट बंटवारे में सभी पार्टी अधिक से अधिक सीटें हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है.