Manipur Violence: मणिपुर में शांति बरकरार रखने की तमाम कोशिश असफल हो चुकी है।मणिपुर में हिंसा लगातार जारी है हजारों की संख्या में पुलिस तैनात है। पैरामिलिट्री फोर्स से लेकर रैपिड एक्शन फोर्स तक के जवान राज्य में भेजे गए हैं लेकिन कथित रूप से हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहा है।
Manipur Violence
Manipur Violence: इस बीच केंद्र सरकार ने कुछ चुनिंदा अधिकारियों पर भरोसा जताया और उन्हें मणिपुर के हालात को काबू करने के लिए नियुक्त किया है। सरकार ने मणिपुर में जिलेवार सैनिक टुकड़ी को जिम्मेदारी सौंपने वाली है। मतलब एक फोर्स एक जिला की नीति पर काम चल रहा है। इससे हिंसा को काबू करने में आसानी होगी ।साथ ही सुरक्षा बलों के बीच किसी भी संभावित विवाद को कम किया जा सकेगा । इसके अलावा सरकार का मानना है किस जवाब देगी भी तय हो पाएगी।
गृह मंत्रालय ने अपने टॉप आईपीएस अधिकारियों में से एक राकेश बलवाल को फिर से मणिपुर भेजा है। वह एनआईए के सदस्य के रूप में काम रह चुके हैं। और श्रीनगर में एसपी के रूप में काम कर रहे थे ।यहां उन्होंने कानून व्यवस्था में बेहतर सुधार किया है। वह पुलवामा हमले की जांच में शामिल टीम के सदस्य रह चुके हैं। अब आईपीएस अधिकारी का मणिपुर में शांति बनाने पर जोर होगा।
2012 बैच के आईपीएस अधिकारी की मणिपुर में आखिरी पोस्टिंग 2017 में चुराचांदपुर जिले में एसपी के रूप में थी। इसके बाद वह एनआईए में शामिल कर लिए गए थे। नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी में उन्होंने 3 साल काम किया। इस दौरान पुलवामा हमले की जांच में शामिल हुए जिसमें 40 सीआरपीएफ के जवानों की जान चली गई थी।
इसके बाद वह एजीएमयूटी यानी कि अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित राज्य कैडर में भेज दिए गए और फिर 2021 में श्रीनगर एसपी के तौर पर तैनात किए गए वह जम्मू में उधमपुर के रहने वाले हैं।
आईपीएस राजीव सिंह फिलहाल मणिपुर के डीजीपी है। वह त्रिपुरा कैडर के अधिकारी है। राज्य में हिंसा शुरू होने के बाद हालत काफी बिगड़ गए। इस बीच 1 जून को उन्हें पी डोंगल की जगह डीजीपी के तौर पर नियुक्त किया गया था।
केंद्र सरकार ने पूर्व आईपीएस अधिकारी कुलदीप सिंह को इंफाल भेजा है। वह सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल के पद पर भी काम कर चुके हैं फिलहाल इंफाल में वह सरकार के सिक्योरिटी एडवाइजर है।
सरकार ने 21 पैरा स्पेशल फोर्सेज के वरिष्ठ अधिकारी और पूर्व कर्नल नेक्टर संजेबम को एसपी के रूप में नियुक्त किया है। 2015 में म्यांमार सीमा के आसपास सर्जिकल स्ट्राइक में उनकी बड़ी भूमिका रही और नेशनल डिफेंस अकादमी के एल्यूमिनी है। और पिछले साल ही रिटायर हुए हैं। मणिपुर में वह पहले भी काम कर चुके हैं।
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