Maratha Reservation: आरक्षण की लड़ाई , ओबीसी बनाम मराठा पर आई, क्या करेगी सरकार ?

Maratha Reservation

Maratha Reservation:  महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से छाया आरक्षण का मुद्दा अब नई दिशा ले रहा है| समीकरण कुछ ऐसे हो चुके है की अब यह ओबीसी बनाम मराठा हो गया है, और दोनों समाज एक दूसरे के आमने सामने आ गए है|

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Maratha Reservation: मराठा, सरकार से ओबीसी कोटे से अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहे है तो वही अब ओबीसी समाज ने भी संदेश दे दिया है की उनके आरक्षण में किसी भी तरह का बदलाव स्वीकार नहीं किया जाएगा| वोट बैंक के लिहाज़ से दोनों समाज काफी एहमियत रखते है, ऐसे में राज्य सरकार के लिए एक तरफ कुआँ है तो दूसरी तरफ खाई।

महाराष्ट्र के जालना के अम्बड़ तालुका में शुक्रवार के दिन ओबीसी समाज की यह सभा , शक्ति प्रदर्शन के साथ साथ संदेश देने के लिए बुलाई गई थी| लाखो की भीड़ जुटाई गई, पक्ष विपक्ष के तमाम बड़े ओबीसी नेता एक मंच पर आए| यह सभा उसी जालना ज़िले में की गई, जहा मराठा नेता मनोज जराँगे पाटिल मराठा आरक्षण को लेकर हालही में दो बार अनशन पर बैठे और मराठा आरक्षण की मांग को लेकर राज्य भर में आग भड़की| ओबीसी समाज ने जहा यह सभा बुलाई थी , वह जरांगे पाटिल के भूख हड़ताल के जगह से मात्र 20 किलोमीटर की दुरी पर थी| लिहाज़ा इस सभा को राज्य सरकार और मराठा नेताओ को चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है|

ओबीसी समाज द्वारा इस सभा का नाम ‘आरक्षण बचाओ यलगार सभा’ दिया गया था, जहां मराठों को कुनबी के नाम पर ओबीसी प्रमाण पत्र देने के विरोध के साथ ही जातिगत जनगणना कराने की मांग की गई| अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबल और कांग्रेस नेता और विधानसभा विरोधी पक्ष नेता विजय वडेट्टीवार ओबीसी सभा के प्रमुख चेहरा रहे हैं। सभा के दौरान दोनों नेताओं ने मराठा आंदोलन पर खूब निशाना साधा। पिछले कई दिनों से मराठा आंदोलन को लेकर विरोध झेल रहे छगन भुजबल के लिए यह मौका भड़ास निकालने वाला था। भुजबल ने कहा, जारांगे पाटिल कहता है कि मैं दो साल से बेसन की रोटी खा रहा था, उससे मैं कहना चाहूंगा कि मैंने भी दो साल जेल की रोटी खाई है, अब अपने मेहनत की रोटी खाता हूं, तेरी तरह अपने ससुराल की रोटी नहीं तोड़ता।

भुजबल ने कहा कि मराठा अब कुनबी मराठा के रूप में धनगर, माली और वंजारी समाज में घुसना चाहते हैं लेकिन ओबीसी समुदाय अपने मौजूदा कोटे में उन्हें घुसने की इजाजत नहीं देगा। उन्होंने 30 अक्तूबर को बीड में एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके और विधायक संदीप क्षीरसागर के आवास पर आगजनी और उससे पहले 1 सितंबर को अंतरावली-सराटी गांव में पुलिस पर हुए हमले को लेकर सवाल उठाया जिसमें 70 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। मंच से भुजबल ने जरांगे पाटिल को दो टूक में कहा कि मुझे मत छेड़ नहीं तो में नहीं छोडूंगा……….

वहीं कांग्रेस नेता और विधानसभा विरोधी पक्ष नेता विजय वडेट्टीवार भी मंच पर काफी आक्रामक दिखे, वडेट्टीवार ने कहा कि बड़े भाई के नाते बड़े भाई जैसा रहो…छोटे भाई का हक अगर लेना चाहो तो तुम्हें तुम्हारी जगह दिखाए बिना नहीं रहेंगे। जब तक हमारी जान है तब तक आरक्षण को धक्का लगने नहीं देंगे। वडेट्टीवार ने आगे कहा कि OBC का संवैधानिक आरक्षण बनाए रखना, सरकार और विपक्षी दल का काम है, वो हम कर रहे हैं। हम यह विश्वास दिलाने आए हैं कि इसको कोई हाथ लगाएगा तो हम शांत नहीं बैठेंगे।

ओबीसी नेताओं के इस महासभा के बाद मराठा नेताओं की प्रतिक्रिया आणि स्वाभाविक थी| जरांगे पाटिल ने कहा, कि भविष्य बताएगा की मराठाओ के पूछ पर पैर रखने से क्या होगा| यदि सभी मराठा नेता साथ आ जाए तो सरकार दो घण्टे के भीतर मराठाओं को आरक्षण दे देगी| वही छत्रपति शिवजी महाराज के वंशज संभाजी राजे भी इसमें कूद पड़े हैं और राज्य की सामाजिक सेहत को खराब करने का काम कर रहे छगन भुजबल को राज्य मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा की साधारण ओबीसी भाई मराठों को आरक्षण देने के विरोध में नहीं हैं। हालाँकि भुजबल केवल अपनी राजनीतिक स्थिति बनाए रखने के लिए दो समुदायों के बीच अस्तित्वहीन संघर्षों को भड़काने का पाप कर रहे हैं। आरक्षण के साथ साथ जो की मामला बहुत बड़े वोट बैंक का भी है, इसलिए उद्धव गुट के नेता आरक्षण कोटा बढ़ाने की मांग को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिले|

आरक्षण की मांग को लेकर पहले से ही जरांगे पाटिल ने सरकार को 24 दिसंबर तक की समय सीमा दी है| मनोज जारांगे पाटिल इस समय राज्यव्यापी दौरे पर हैं , लोगो के बिच जाकर उन्हें आरक्षण को लेकर जागरूक कर रहे है और मांग कर रहे हैं कि मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे से 50 फीसदी की सीमा के भीतर आरक्षण दिया जाए। दूसरी तरफ ओबीसी नेताओं ने आरक्षण बचाओ आंदोलन शुरू कर राज्य सरकार को मुश्किल में डाल दिया है।

आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद के बीच छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज संभाजी राजे भोसले ने पुणे पिछड़ा आयोग के प्रमुख से मुलाकात की ही।मुलाकात के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि आरक्षण का विषय आसान नही है।उन्होंने आयोग के सामने मराठा आरक्षण को 10 से 12 प्रश्न रखें। हालांकि उन्होंने एक भी सवालों का जवाब नही दिया है।। भोसले ने बताया कि हमने आयोग समाज की स्तिथि और चल रहे आंदोलन की जानकारी दी है। मराठाओं को किस तरह आरक्षण मिले, समाज को पिछड़ा का दर्जा कैसे मिले इसपर चर्चा की गई है।

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