Mauni Amavasya Vrat Katha: मौनी अमावस्या के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद

Mauni Amavasya Vrat Katha

Mauni Amavasya Vrat Katha: मौनी अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। गृहस्थ और साधु-संन्यासी इस दिन व्रत और पूजा करते हैं। मौनी अमावस्या की कथा सुनने से व्रत की पूर्णता और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

Mauni Amavasya Vrat Katha

माघ मास की अमावस्या या मौनी अमावस्या पाप धोने और मोक्ष पाने का दिन है। इस दिन लोग स्नान, दान और अपने पितरों का तर्पण करते हैं। कहते हैं कि इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है, इसलिए इस दिन कई लोग महाकुम्भ में अमृत स्नान के लिए जाते हैं। मौनी अमावस्या से जुड़ी एक व्रत कथा है, जिस इस दिन जरूर पढ़ना चाहिए। इस कथा को पढ़ने से न केवल इस दिन की महत्ता का पता चलता है, बल्कि इस दिन में लोगों का विश्वास और भी अधिक बढ़ जाता है। तो, चलिए जानते हैं ये कथा…

मौनी अमावस्या व्रत कथा

धर्म शास्त्रों में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार, कांचीपुर नगर में देवस्वामी नामक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था. देवस्वामी की पत्नि का नाम धनवती था. उनके सात बेटे और एक बेटी थी, जिसका नाम गुणवती था. एक बार देवस्वामी ने अपनी पुत्री गुणवती के विवाह के लिए एक ज्योतिषी के पास उसकी कुंडली देखने के लिए भेजी. ज्योतिषी ने गुणवती की कुंडली देखकर भविष्यवाणी की कि गुणवती के विवाह के बाद उसके पति की मृत्यु हो जाएगी.

इस भविष्यवाणी को सुनकर देवस्वामी परेशान हो गया और ज्योतिषी से कुछ उपाय बताने के लिए कहा. ज्योतिषी ने देवस्वामी को बताया कि सिंहल द्वीप में एक पतिव्रता महिला रहती है, जिसका नाम सोमा धोबिन है. वह महिला अपने पुण्य दान करके इस दोष को समाप्त कर सकती है. इस बात को सुनकर देवस्वामी ने गुणवती को उसके छोटे भाई के साथ सोमा धोबिन के पास भेजा. दोनों भाई-बहन समुद्र को पार करने के बारे में सोचने लगे.

जब उन्हें कोई रास्ता नहीं मिला तो वे यात्रा के दौरान दोनों समुद्र किनारे एक पीपल के पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुक गए. उस पेड़ पर एक गिद्ध का परिवार रहता था. गिद्ध के बच्चों ने उन दोनों भाई-बहन की सारी बातें सुन लीं और अपनी मां से कहा कि इन दोनों की मदद करो. फिर गिद्ध की मां ने दोनों भाई-बहनों को समुद्र पार करवा दिया और वे सोमा धोबिन के घर पहुंचे.

गुणवती ने सोमा धोबिन के घर के कार्यों में सहायता की और अपनी सारी समस्या बताई. इसके बाद सोमा ने गुणवती के घर जाकर उसकी शादी के दिन पूजा-पाठ करके अपने पुण्य गुणवती को दान कर दिए और इससे गुणवती की कुंडली में वैधव्य दोष दूर हो गया.

जब देवस्वामी ने सोमा से उसके पुण्य प्राप्ति के बारे में पूछा तो उसने कहा कि मौनी अमावस्या के दिन मैंने भगवान विष्णु की पूजा और 108 परिक्रमा की, जिससे मेरे पति और बेटे की अकाल मृत्यु टल गई. यह कथा सिखाती है कि मौनी अमावस्या पर व्रत, दान, और भगवान विष्णु की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है.

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