Moradabad Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव –2024 मुरादाबाद लोकसभा सीट की क्या है सियासी कहानी चलिये विस्तार से जानते है ।
Moradabad Lok Sabha Seat
Moradabad Lok Sabha Seat: मुरादाबाद में 72 साल का इतिहास बदला पहली बार महिला बनीं उम्मीदवार , सपा ने मुस्लिम का टिकट काट हिंदु को दिया ।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद लोकसभा सीट का नाम इसके औद्योगिक नगर मुरादाबाद के नाम पर है । देश की राजधानी दिल्ली से ये शहर लगभग 170 किलोमीटर दूर है राम गंगा नदी के पास बसा है । इस शहर की पहचान सबसे ज्यादा अपने पीतल उद्योग के कारण है । यहां पीतल के बर्तनों , मूर्तियों , सजावटी सामान घरेलू प्रयोग बाग बगीचों के सजावट के सामान बनते हैं और दुनिया के अनेक देशों को निर्यात किए जाते हैं ।
इस शहर के हाईवे पर अनेक पांच सितारा होटल है क्योंकि देश दुनिया के व्यापारी यहां आते हैं । पीतल के एक से बढ़कर एक कारीगर यहां है अब यहां स्टील एल्मुनियम , कॉस्ट आयरन आदि का काम भी भारी मांग के कारण होने लगा है । ये शहर देश के उन 100 स्मार्ट शहरों में से एक है जिनका आधुनिकीकरण हो रहा है । मुरादाबाद अपनी ऐतिसाहिक दाल मुरादाबादी के नाम से भी जाना जाता है । उत्तर भारत के शादी ब्याहों और अन्य शुभ कार्यों के व्यंजनों में से एक होती है । कहते हैं शाहजहां के बेटे मुराद को मूंग की ये दाल बहुत पसंद थी ।
ये शहर कारीगरी खान पान के अलावा अपनी साहित्यिक रूचि के लिए जाना जाता है । हास्य कवि हुल्लड़ मुरादाबादी और शायर जिगर मुरादाबादी इसी शहर के थे । क्रिकेट खिलाड़ी मोहसिन खान और अरूण लाल दोनों इसी शहर से हैं । पीतल के कारीगरों उस्ताद दिलशाद हुसैन और बाबू राम यादव को बेहतरीन कलाकारी के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया । जी 20 में प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मनी के चांसलर को उस्ताद दिलशाद के हाथ से बना पीतल का कलश भेंट किया था । यहां के लोगों की साहित्यिक रूचि इसी बात से पता चलती है कि यहां लगभग 100 साल पुराना पुस्तकालय है जिसमें श्रीमद्भागवत गीता और रविंद्र नाथ टैगोर की गीतांजलि की उर्दू में अनूदित कृतियां रखी गयीं है । लोग इन्हे पढ़ने आते हैं ।
समृद्ध परंपरा वाली मुरादाबाद लोकसभा सीट का का इतिहास 72 साल पुराना है । इस बार मुरादाबाद लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के आपसी घमासान के कारण चर्चा में है । सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले अपने मौजूदा सांसद एस टी हसन को दोबारा टिकट दिया । लेकिन जेल में बंद आजम खान से मिलने के बाद उन्होंने अपना उम्मीदवार बदल दिया । बिजनौर वासी रूचि वीरा को अपना उम्मीदवार घोषित करते हुए एस टी हसन का टिकट काट दिया जबकि ने नामांकन भी भर चुके थे । सपा में हसन समर्थकों ने भारी नाराजगी दिखायी और रूचि वीरा के पुतले फूंके । मुरादाबाद सीट पर सपा हमेशा से मुसलमानों को अपना उम्मीदवार बनाती आयी है । पहली बार हिंदु और वो भी महिला यहां से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं । मुरादाबाद के 72 साल के निर्वाचन इतिहास में रूचि वीरा पहली महिला उम्मीदवार हैं । उनके विरोधी उनको आजम खान की पसंद बता रहे हैं ये बात रूचि वीरा को कतई पसंद नहीं है यहां तक कि दो पत्रकारों के खिलाफ इस बात को लेकर वे केस दर्ज करा चुकी हैं ।
सपा भले ही कह रही हो कि सब ठीक है कार्यकर्ता रूचि वीरा को स्वीकार कर चुनाव प्रचार में जुट गए हैं लेकिन सच्चाई अलग है । मौजूदा सांसद डॉ सैयद तुफैल हसन जो कि संसद में अपने विनम्र स्वभाव और मधुर भाषी सांसद के नाम से जाने जाते हैं । अब तक चुनाव प्रचार में सक्रिय नहीं हुए हैं । एस टी हसन से बात किए बिना मुरादाबाद लोकसभा चुनाव कवर करना अधूरा है । रमजान के महीने में मुरादाबाद के भीड़ भरे तंग गलियों वाले बाजारों को पार करते हुए सन्मार्ग संवाददाता जब उनके अस्पताल पहुंची तो वे शांत भाव से मरीजों की जांच कर रहे थे । उनके बडे सारे अस्पताल और ओपीडी के उपर ही उनका आवास है । हसन के चेहरे पर चिंता,क्रोध का कोई भाव नहीं दिखता वे अपनी चिर परिचित शांत मधुर मुद्रा में बात करते हैं । उनकी तटस्थता दिखा रही थी कि उनको सपा उम्मीदवार के चुनाव प्रचार में कोई रूचि नहीं है । सपा उम्मीदवार उस समय मुरादाबाद से लगभग 40 किलोमीटर दूर ठाकुरद्वारा में चुनाव प्रचार कर रही थीं ।हसन कहते हैं टिकट देकर काटने से लोगों में उत्साह नहीं है लोगों के दिल टूट गए । हसन अपना टिकट कटने के लिए अखिलेश यादव को दोषी नहीं मानते वे कहते हैं उनके ऊपर किसी का बहुत बड़ा दबाव है (उनका ईशारा आजम खान की तऱफ था) वे कहते हैं यदि उन्होंने मौजूदा सपा उम्मीदवार का चुनाव प्रचार नहीं करेंगे क्योंकि इससे उनके समर्थक नाराज़ होंगे ।पूरे यूपी में कहीं भी चुनाव प्रचार कर सकते हैं लेकिन मुरादाबाद में नहीं ।
समाजवादी पार्टी के लिए बहुत अजीबो गरीब हालात हैं। मौजूदा उम्मीदवार रूचि वीरा बिजनौर से सपा की विधायक हैं । उनको सपा ने 2015 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निकाल दिया था । बीच में वे सपा में चली गयी थी फिर सपा में लौट आयीं औऱ सपा के टिकट पर विधायक चुनी गयीं । रूचि वीरा पत्रकारों से दूरी बना कर रखना चाहती हैं बहुत मुश्किल से बात करने को तैयार हुई । वे मुरादाबाद और यहां के पीतल कारीगरों की समस्याओं के बारे में चिंता जताती हैं । लोकतंत्र और भाईचारे को बचाने की बात करती हैं । वे ये मानने को तैयार नहीं है कि उनको टिकट दिए जाने से कोई नाराजगी है । वे कहती हैं सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता उनके साथ हैं और जीत निश्चित है ।राष्ट्रीय नेतृत्व के फैसले को एक सच्चा कार्यकर्ता अवश्य स्वीकार करेगा ।
सपा आपसी घमासान में उलझी है उधर बहुजन समाजवादी पार्टी और भाजपा अपने अपने चुनाव प्रचार में लगे हैं । भाजपा उम्मीदवार कुंवर सर्वेश सिंह पहले भी मुरादाबाद से सांसद रह चुके हैं पिछली बार एसटी हसन में उनको चुनाव हराया था । सर्वेश सिंह बहुत बीमार चल रहे ते जब हम मुरादाबाद में थे वो दिल्ली में एम्स में भर्ती थे । लेकिन पार्टी उनके लिए जी जान लगे हुए थी । हाल ही में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मुरादाबाद में चुनावी रैसी की तो सर्वेश सिंह मंच पर नज़र आए । कुंवर सर्वेश सिंह उर्फ राकेश सिंह बिजनेसमैन हैं वे ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं । नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए 2014 के लोकसभा चुनावों में उनको मुरादाबाद से लोकसभा टिकट दिया गया वे जीते लेकिन पिछली बार 2019 में सपा के एसटी हसन से हार गए । भाजपा ने पिर से उनको ही टिकट दिया है ।
मुरादाबाद में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है और यहां पसमांदा मुसलमान ज्यादा है जिनको भाजपा पिछले तीन चार साल से लुभा रही है उनकी समस्याएं उठा रही है । सपा यहां से हमेशा मुस्लमान को टिकट देती है बसपा ने भी इस बार मुसलिम कार्ड चला है । ठाकुर द्वारा नगरपालिका के परिषद के अध्यक्ष इरफान सैफी मुरादाबाद लोकसभा से बसपा उम्मीदवार हैं । पिछली बार सपा बसपा ने मिल कर चुनाव लड़ा था वोटों का सीधे सीधे बंटवारा था । सपा बसपा ने मिल कर भाजपा को हरा दिया । अब सपा इंडी गठबंधन में है बसपा अकेले चुनाव लड़ रही है मुस्लिम वोट सपा बसपा में बंटेगा जिसका फायदा भाजपा को होगा । एस टी हसन कहते हैं सपा को हराने की गहरी साजिश रची गयी है अखिलेश यादव के लखनऊ दफ्तर में आर आर एस बीजेपी के लोग प्लांट किए गए हैं । उधर इरफान सैफी सपा की आपसी खटपट, मुस्लिम दलित वोट के भरोसे भाजपा और सपा दोनों को हराने की घोषणा करते हैं ।
मुरादाबाद लोकसभा का गठन 1952 में हुआ सबसे पहला और दूसरा चुनाव कांग्रेस जीती 1962 में निर्दलीय उम्मीदवार सईद मुजफ्फर हुसैन यहां से जीते । अगले दो चुनावों 1967 और 1971 में यहां से भारतीय जनसंघ जीती । जनता दल ने भी 1977 और 1980 में मुरादाबाद सीट पर दो बार विजय हासिल की 1984 में कांग्रेस सहानुभूति लहर में मुरादाबाद सीट जीत गयी । अगले चुनाव में जनता दल ने 1989 में फिर से इस सीट पर कब्जा कर लिया ।
संसद की अवधि पूरे होने से पहले 1991 में हुए लोकसबा चुनाव में जनता दल के गुलाम मोहम्मद दूसरी बार विजयी हुए । मुरादाबाद सीट पर केवल एक बार 1962 को छोड़ कर 44 सील तक कांग्रेस , भारतीय जनसंघ और जनता दल एक दूसरे से हारते जीतते रहे । पहली बार समाजवादी पार्टी ने 1996 में अपने मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा शफीक रहमान बर्क यहां से पहली बार और दूसरी बार 1998 में चुनाव जीते । अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस ने 1999 के मध्यावधि चुनाव में चंद्र विजय सिंह को चुनाव मैदान में उतारा और वे विजयी रहे ।
मुरादाबाद लोकसभा ने इस चुनाव में एक नया दौर देखा 1977 से लगातार इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार ही जीत कर संसद पहुंच रहे थे 23 साल के बाद एक हिंदु यहां से सांसद बना । अगले दो चुनाव 2004 और 2009 में फिर से मुरादाबाद ने मुस्लिम उम्मीदवारों को जिताया । समाजवादी पार्टी ने 2004 में अपने दो बार के पूर्व सांसद शफीकुर्रहमान को फिर से टिकट दिया और वे जीते । अगले चुनाव में 2009 में कांग्रेस ने मुरादाबाद में एक बड़ा दांव खेला हैदराबाद में रहने वाले मशहूर क्रिकेट स्टार मोहम्मद अजहरुद्दीन पर दांव खेला मुरादाबाद ने अपने चहेते क्रिकेट स्टार को जीता कर संसद भेजा ।
भाजपा के कुंवर सर्वेश सिंह 2014 में यहां से जीते और 2019 में सपा के एस टी हसन ने सर्वेश सिंह को हरा दिया । अब तक हुए 17 आम चुनावों में 11 बार मुस्लिम और 6 बार हिन्दू उम्मीदवार जीते । इस बार मुकाबला तिकोना कतई नहीं कहा जा सकता । सपा ने पहली बार हिंदु उम्मीदवार उतारी हैं वो भी मौजूदा मुस्लिम सांसद का टिकट काट कर । सपा कार्यकर्ताओं और मुसलमानों में नाराजगी है । बसपा उम्मीदवार को मुरादाबाद का इतिहास देखते हुए अपनी जीत का भरोसा है । भाजपा को अपनी डबल इंजन की सरकार दस साल के काम , राम मंदिर और मोदी की साख पर भरोसा है ।
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