नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पाकिस्तान का झूठा होता उजागर, कैसे चलिए विस्तार से बताते हैं
भारतीय राजनीतिक दलों के नेताओं , सांसदों, पूर्व राजदूतों के विभिन्न प्रतिनिधि मंडल अनेक देशों की राजधानियों में जायेंगे । ये पहलगाम आतंकवादी हमले, ऑपरेशन सिंदूर के बारे में वहां की सरकारों और सामाजिक संगठनों को बताएंगे। ये भारत का पक्ष दुनिया के सामने रखेंगे।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अपनी विदेश नीति के तहत भारत सरकार ने ये योजना बनायी है। इसमें केवल भाजपा के नहीं बल्कि सभी दलों के सांसद भेजे जायेंगे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के शशि थरूर और ऑल इंडिया मजलिस – ए – इत्तेहाद मुस्लिमीन के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और पूर्व कांग्रेस सांसद गुलाम नबी का नाम भी शामिल है। हालांकि सरकार ने अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की है लेकिन बताया जाता है 4 से 5 सांसदों नेताओं राजदूतों के प्रतिनिधिमंडल विदेश जायेंगे।बताया जाता है कि सभी सांसदों और नेताओं को अपने अपने पासपोर्ट तैयार रखने को कहा गया है। प्रतिनिधिमंडलों की यात्रा 22 मई से शुरू होगी और जून के पहले सप्ताह तक चलेगी। इन यात्राओं का उद्देश्य दुनिया के सामने भारत का पक्ष रखना और आतंकवाद के खिलाफ दुनिया भर में मुहिम चलाना है।
बताया जा रहा है ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष रखने के लिए संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजीजू सभी दलों से संपर्क कर रहे हैं । पहले चरण में सांसदों के 8 प्रतिनिधिमंडल बनाए जायेंगे जिसमें हर दल के प्रतिनिधि होंगे ये अलग अलग देशों का दौरा करेंगे। ये अमेरिका , ब्रिटेन , दक्षिण अफ्रीका , कतर , संयुक्त अरब अमीरात देशों में जायेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय सांसदों के दलों को सुविधाएं प्रदान करेगा ऐसा बताया जा रहा है लेकिन विदेश मंत्रालय ने इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं दी हैइससे भी पूर्व सरकारों ने ऐसे प्रयास किए थे जिनके परिणाम बहुत अच्छे रहे थे। भूतपूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने 1994 में उस समय के नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, कांग्रेस सांसद सलमान खुर्शीद समेत अनेक नेताओं को भारत का पक्ष रखने के लिए भेजा थ। उस समय कश्मीर घाटी में मानवाधिकारों के हनन को लेकर पूरी दुनिया में दुष्प्रातर किया जा रहा था । मुंबई में 26/ 11 हमले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2008 में प्रतिनिधिमंडल अनेक देशों में भेजे थे । इनको सबूत देकर भेजा गया था कि पाकिस्तान का भारत पर आतंकवादी हमलों में हाथ है और वो आतंकवादी संगठनों को पनाह देता है। इसका असर ये हुआ था कि पाकिस्तान को लश्करे तैयबा के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाल दिया था।
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Reported By Mamta Chaturvedi