Rani Ahilyabai: कौन थी अहिल्याबाई होल्कर जिन्होंने बनाई महिलाओं की सेना

Rani Ahilyabai Holkar

Rani Ahilyabai: महारानी अहिल्याबाई होल्कर का नाम जब सामने आता है तो यह सोचने पर इंसान मजबूर हो जाता है कि आखिरकार अहिल्याबाई होल्कर कौन थी।

Rani Ahilyabai

1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर में चाउंडी गांव में अहिल्या का जन्म हुआ था वह अपने गांव के सम्मानित मैंकोजी शिंदे की पुत्री थी वह किसी राजघराने से ताल्लुक नहीं रखती थी लेकिन एक दिन उनके हाथों में जब सत्ता आई तो एक साधारण से परिवार की लड़की असाधारण दायित्व का निर्वहन कैसे करने लगी इसका जीता जागता मिसाल है अहिल्याबाई होलकर।

यह वह दौर था औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल के पतन का जब मराठा अपने साम्राज्य का विस्तार करने में जुटे थे। मराठा सेनापतियों में से एक मल्हार राव होलकर थे। पेशवा बाजीराव ने मल्हार राव होलकर को मालवा की जागीर सौंप दी थी । होलकर करने अपने बाहुबल से राज्य की स्थापना करते हुए इंदौर बसाया था।

आपको बता दे मल्हार राव होलकर के इकलौते पुत्र खंडेराव के लिए वह ऐसी पत्नी चाहते थे जो बुद्धिमान हो, गुणी हो राज पाठ संभालने में उनके पुत्र की मदद कर सके । इस दौरान उनकी मुलाकात अहिल्या से हुई वह भी एक यात्रा के दौरान , जब वह यात्रा के बाद चाउंडी गांव से गुजर रहे थे तभी शाम के आरती के समय एक बच्ची के भजन ने उनका ध्यान खींचा वह कोई और नहीं बल्कि अहिल्या थी ।वह अहिल्या के गुण और संस्कारों से इतना ज्यादा प्रभावित हो गए कि उन्होंने अपने पुत्र खंडेराव होलकर का विवाह अहिल्या के साथ कर दिया।

शादी के बाद खंडेराव सत्ता को संभालने लगे। इस दौरान अचानक हुए एक युद्ध में खंडेराव होलकर वीरगति को प्राप्त हो गए। वह तो सती प्रथा को अपनाते हुए अपने पति संग अपने प्राण को त्याग देना चाहती थी , लेकिन मल्हार राव होलकर को अहिल्या की काबिलियत पर भरोसा था। वह उनके बेटे का कार्यभार संभाल सकती है। उन्होंने अहिल्या को अपने पुत्र की तरह पाला और अहिल्या को भी राज्य के कामकाज में मल्हार राव का हाथ बटाने लगी। हालांकि उनका जीवन काफी संघर्ष से भरा रहा। पहले ससुर फिर 22 साल की आयु में बेटे मालेराव को खो दिया । बेटे के साथ राज्य का पतन ना हो जाए इसलिए कामकाज को वह खुद संभालने लगी।

हालांकि कोई पुरुष राजा ना होने के चलते राज्य के एक कर्मचारी ने दूसरे राज्य के राजा राघोबा को पत्र लिखकर होलकर पर कब्जा करने का नेता दे दिया।ऐसा बताते है कि राजगद्दी संभालते हुए महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने आसपास के राज्यों में यह सूचना पहुंचा दी कि उनके सेनापति और पेशवा बाजीराव ने उनकी सहायता की। अहिल्याबाई ने राज्य को मजबूत करने के लिए अपने नेतृत्व में एक महिला सेना की स्थापना की । अहिल्याबाई ने स्त्रियों को उनका उचित स्थान दिया अहिल्या ने लड़कियों की लड़ाई लिखी को विस्तार देने का प्रयास किया दीन दुखियों की सहायता के लिए कई कार्य किया 1795 में जब उनका निधन हुआ तो उनके सेनापति तुकोजी ने इंदौर की सत्ता को संभाल ली।

इस तरह से अहिल्याबाई होल्कर जिसमें अदम्य साहस और कुशल नीति से उन्होने सत्ता को संभाला जिन्हे लोग आज भी बडे ही आदर सम्मान के साथ याद करते है।

  • अगली कड़ी में आपको बतायेंगे महारानी आहिल्याबाई होल्कर जिनके नाम पर रखा गया महाराष्ट्र के अहमदनगर का नाम-तो जुड़े रहिये इंडियोपोस्ट न्यूज के साथ

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