Saharanpur Lok Sabha Seat: दो मुस्लिम उम्मीदवारों में बंटेगा मुस्लिम वोट, BJP के सामने ठाकुर समाज की चुनौती

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Saharanpur Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव – 2024 सहारनपुर लोकसभा सीट

Saharanpur Lok Sabha Seat

Saharanpur Lok Sabha Seat: दिल्ली से जब आप बागपत कैराना , शामली मुजफ्फरनगर पार करते हुए सहारनपुर पहुंचते हैं तो आप पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती शहर में पहुंच जाते हैं । एक तरफ इसकी सीमाएं हरियाणा से मिलती हैं तो दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश से ।गंगा और यमुना के दोआब में बसा ये इलाका अपनी हरी भरी सब्जियों , फलों और लकड़ी के काम के लिए जाना जाता है । मां दुर्गा की शक्ति पीठ शाकुंभरी देवी सहारनपुर शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर है । देवी भागवत और दुर्गा सप्तशती के अनुसार इस इलाके को शाकंभरी देवी का वरदान है कि यहां कभी भी हरियाली कम नहीं होगी और शाक सब्जियां प्रचुर मात्रा में उत्पन्न होती रहेंगी । ये शहर अपनी काष्ठ कला के नाम से जाना जाता है यहां लकड़ी की नक्काशी का बहुत सुंदर काम होता है और विदेशों को निर्यात होता है ।इसी लोकसभा में इस्लामिक शिक्षा का सबसे केंद्र देवबंद में दारुल उलूम है । देश विदेश से मुस्लिम यहां पढ़ने आते हैं । इस लोकसभा सीट का महाभारत काल से भी संबंध पुरातत्वविद् बताते हैं और हड़प्पा कालीन सभ्यता के अवशेष यहां उत्खनन में पाए गए । बताया जाता है वनवास के समय युधिष्ठर का यक्ष से तालाब के किनारे जो संवाद हुआ था वो इसी लोकसभा सीट में पड़ता है ।

             पुराने समय में सहारनपुर गुर्जर प्रतिहार वंश के शासको की रियासत रही ।  उस समय इसका नाम गुर्जर गढ़ हुआ करता था । यहां के शासक परम देशभक्त थे 1857 की क्रांति में उन्होंने हिस्सा लिया सैंकड़ों गुर्जरों ने बलिदान दिया । अंग्रेंज शासकों ने नाराज़ हो कर उनका राज समाप्त कर दिया था । सहारनपुर लोकसभा सीट को मुस्लिम दलित राजनीति का केंद्र माना जाता है यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है । इस सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ कांग्रेस उम्मीदवार यहां से जीता फिर 1962 , 1967 , 1971 में कांग्रेस का वर्चस्व यहां बना रहा । इमरजेंसी के बाद जब 1977  में चुनाव हुए तो कांग्रेस को जनता पार्टी के रशीद मसूद से करारी हार मिली 25 साल के बाद कांग्रेस हारी । रशीद मसूद 1980 में हुए चुनाव में भी विजयी रहे लेकिन श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में सहानुभूति की लहर में कांग्रेस ने फिर इस सीट पर धमाकेदार वापसी की कांग्रेस के यशपाल सिंह जीत गए । लेकिन फिर उसके बाद 2019 तक कांग्रेस यहां से चुनाव नहीं जीत पायी । रशीद मसूद सहारनपुर के मतदाताओं की पहली पसंद रहे पहले दो बार सांसद रहे रशीद मसूद फिर 1989 और 1991 में जनता दल के उम्मीदवार के रूप में जीते ।

सहारनपुर में दलितों की संख्या अच्छी है लेकिन फिर भी बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम यहां से 1996 में चुनाव नहीं जीत पाए वे भाजपा के नकली सिंह से हार गए । भाजपा यहां से पहली बार विजयी हुई थी । नकली सिंह 1998 के चुनाव में जीते अगले साल फिर लोकसभा चुनाव हुए तो बसपा ने अपनी हार का बदला लिया बसपा के मंसूर अली चुनाव जीत गए । रशीद मसूद ने अगले चुनाव तक समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया 2004 में वे पांचवी बार लोकसभा चुनाव जीते । अब यूपी में सपा और बसपा के बीच मुकाबला शुरू हो चुका था 2009 के चुनाव में बसपा के जगदीश राणा जीते । मुजफ्फरनगर सहारनपुर से ज्यादा दूर नहीं है 2013 के दंगों का असर सहारनपुर में भी 2014 के चुनाव में दिखा । भाजपा के युवा चेहरे राघव लखनपाल 2014 में सहारनपुर से जीत गए लेकिन 2019 में बसपा के काजी फजलुर रहमान से हार गए ।

 2024 के चुनाव में सहारनपुर में दिलचस्प मुकाबला है  भाजपा ने अपने पुराने चेहरे राघव लखनपाल को ही टिकट दिया ।बहन मायावती ने अपने मौजूदा सांसद फजलुर रहमान का टिकट काट कर उद्योगपति  माजिद अली को टिकट दे दिया है । माजिद अली की गिनती देश के सबसे अमीर उम्मीदवारों में होती है वे निर्यातक हैं । इंडिया गठबंधन के अपना उम्मीदवार बनाया है जाने माने इमरान मसूद को । इमरान मसूद सहारनपुर की राजनीति में दशकों तक चमकने वाले काजी रशीद मसूद के भतीजे हैं अपने चाचा से उन्होंने राजनीति के गुर सीखे । रशीद मसूद के पौत्र का विवाह इमरान मसूद की बेटी से हुआ तो  दोनों के बीच रिश्ते और मजबूत हो गए । इमरान फिलहाल इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं । मुस्लिम बहुल सीट पर मुस्लिम वोट बैंक बंटा हुआ दिखता है । वैसे इमरान बहुत व्यवहार कुशल नेता हैं गांव गांव घर घर उनका आना जाना है लेकिन आज तक वे लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाए हैं विधायक अवश्य बने । 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बाकी सीटों की तरह यहां वोटों का ध्रुवीकरण तो है लेकिन मुस्लिम वोट एकमुश्त नहीं जाएगा । रमजान के महीने में जब सन्मार्ग ने इस इलाके का दौरा किया तो पाया कि दारूल उलूम से नमाज पढ़ कर निकाल रहे मुस्लिम बंटे नज़र आए उन्होंने अपनी राय साफ रखी – देखो जी मुसलमानों का आधा वोट इमरान मसूद को और आधा माजिद अली को जाएगा । इमरान मसूद कैंप के लोग कहते हैं माजिद अली भाजपा की बी टीम का हिस्सा है बहन मायावती ने जानबूझ कर मुसलमान को खड़ा किया है ताकि भाजपा को लाभ मिले । उधऱ माजिद अली कैंप के लोगों का कहना है ये इलाका दलित वोट बैंक का है जो कि बसपा समर्थक है इमरान मसूद को वे मुस्लिम कौम का गद्दार कहते हैं । उन पर आरोप लगाते हैं कि वे जब तब दल बदलते रहते हैं किसी एक दल में नहीं रहते ।जबकि इमरान मसूद के चचेरे भाई शाजाद मसूद खुले आम कहते हैं—इमरान दल ही तो बदलते हैं अटैची देकर टिकट तो नहीं लेते । बसपा में तो अटैची देने वाले को टिकट मिलता है ।

देखा जाए तो इमरान मसूद का चुनावी रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं है लेकिन अपने चाचा राशिद मसूद के साथ रह कर उनका भी बहुत अच्छा राजनीति रसूख और प्रभाव है वे पूरे इलाके में सबके दुख और सुख में शामिल रहते हैं बहुत तेज तर्रार और वाकपटु हैं । कभी प्रधानमंत्री मोदी के लिए बोटी बोटी बयान देकर सुर्खियों में आए और गिरफ्तार किए गए इमरान मसूद की अब भाषा और तेवर दोनों बदल गए हैं । अब वे न तो राम मंदिर का विरोध करते हैं और न ही राम का बल्कि स्वयं को राम का वंशज बताते हैं । वे कहते हैं जब हम भारत में पैदा हुए और हमारे पुरखे हिंदु थे तो राम हमारे भी है । राम मंदिर बनने और प्राण प्रतिष्ठा का वे स्वागत करते हैं ।

तीनों उम्मीदवारों के चुनावी मुद्दे अलग अलग हैं । भाजपा के राघव लखनपाल शर्मा विकास और 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य पूरा करने , इलाके में बड़ा मेडिकल कॉलेज खोलने और अच्छे अस्पताल खोलने की बात करते हैं । समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का जीवन सुखी हो सुरक्षा का वातावरण बना रहे उसके लिए काम करने की बात करते हैं मोदी की पांच गारंटी पूरी करने का वायदा करते हैं ।

इमरान मसूद भाजपा पर भाई चारा खत्म करने का आरोप लगाते हैं हिंदु मुस्लिम को लड़ाने का आरोप लगाते हैं । इमरान कहते हैं पूरे सहारनपुर इलाके में उनको 36 बिरादरी के लोग मान सम्मान और प्यार देते हैं । हिंदु बहनें उनको राखी बांधती है , जरूरतमंद की मदद करते समय उन्होंने कभी हिंदु मुस्लिम नहीं देखा ।

इमरान मसूद कहते हैं भाजपा संविधान बदलने की बात कर रही है ज लोकतंत्र के लिए खतरा है । इडी सीबीआई के छापे डलवा कर, जेल में भेज कर देश में डर का माहौल बनाया जा रहा है । जो डर कर भाजपा के साथ गया वो साफ सुथरा हो गया जो नहीं गया वो जेल में वो भ्रष्टाचारी । महंगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दे चुनाव से गायब हैं इसलिए सरकार बदलना ज़रूरी है ।

माजिद अली देवबंद के पास हाशिमपुरा गांव में चुनाव प्रचार कर रहे थे उस दिन अलविदा जुमा की नमाज थी उनके साथ बहुत सारे मुस्लिम युवा और गांव के लोग थे । माजिद कहते हैं बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। मोदी के दस साल के शासन को वे केवल धर्म की राजनीति बताते हैं महंगाई की कोई बात नहीं करता । देश के युवा का भविष्य अंधकार में है । बसपा आपसी भाईचारे रोजगार , शिक्षा खेलों के प्रोत्साहन के लिए काम करेगी । राम मंदिर मामले में हमने हिंदु भाइयों की खुशी के लिए सब कुछ स्वीकार किया ।फिर हमारे समाज पर आरोप क्यों

 सहारनपुर का मुस्लिम, दलित ,स्वर्ण और ओबीसी मतदाता उसी तरह से वोट करेगा जैसे करता आया है इस बार राजपूत समाज ने भाजपा उम्मीदवारों का बहिष्कार करके मुश्किलें खड़ी कर दी हैं । ठाकुर समाज ने सहारनपुर के नानौता में भाजपा के विरोध में एक बड़ी जनसभा 7 अप्रैल को बुलायी थी । भाजपा उम्मीदवारों के लिए मुजफ्फरनगर कैराना में भी ये प्रभाव डालेगा । सहारनपुर में पहले चरण में मतदान है । मोदी योगी अमित शाह सबने यहां अपनी चुनावी रैलियां की हैं ।

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