समाजवादी पार्टी के शह को मात देने के लिये अमितशाह ने बनाया अभेद चक्रव्यूह

नई दिल्ली। भाजपा की रणनीति किसी भी तरह मौर्य को रोकने और जल्द सपा को बड़ा झटका देने की है। कैबिनेट मंत्री दारासिंह चौहान, राज्यमंत्री धर्मसिंह सैनी, विधायक ममतेश शाक्य, विनय शाक्य, धर्मेंद्र शाक्य व एमएलसी देवेंद्रप्रताप सिंह के भी भाजपा छोड़ने की खबर वायरल होने के बाद पार्टी नेताओं ने दिल्ली से सभी से फोन पर बात की। समझाने का प्रयास किया।

भाजपा ने सहयोगी अपना दल व निषाद पार्टी से दो बार संपर्क साधा। दोनों सहयोगियों को सम्मानजनक सीटें देने का भरोसा दिया। केशवप्रसाद मौर्य ने भी स्वामी प्रसाद को मनाने की कोशिश की। उन्होंने ट्वीट किया-बैठकर बात करते हैं, जल्दबाजी के फैसले अक्सर गलत होते हैं।

स्वामी प्रसाद 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में आए थे। बसपा ने तब कहा था, वे अपने बेटे-बेटी के लिए टिकट मांग रहे थे, जो संभव नहीं है। मौर्य भाजपा से जीतकर मंत्री बन गए व बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से भाजपा सांसद। अब 2022 चुनाव के पहले वे सपा में पहुंच गए। माना जा रहा है, उनका बेटा भी अब ऊंचाहार क्षेत्र से चुनाव लड़ेगा। लेकिन वर्तमान में पूर्व कैबिनेट मंत्री व वर्तमान सपा विधायक मनोज पांडेय ने बयान दिया है कि 2012 व 2017 में अपनी जनता व अपने नेता के आशीर्वाद से चुनाव जीता हूं और 2022 के चुनाव में भी अपने नेता के आशीर्वाद से फिर चुनाव जीतूंगा . ऊंचाहार से ही लड़ूंगा 2022 का विधान सभा चुनाव”

अब फिलहाल बीजेपी की पहली रणनीति यह है कि यूपी बीजेपी से इस्तीफा देने वाले सभी नेताओं को मनाने की कोशिश होगी। दूसरी रणनीति यह है कि सपा के साथ जा रहे बीजेपी के पूर्व सहयोगी ओमप्रकाश राजभर और रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी को ज्यादा सीटें और बड़े पद का लालच देकर उन्हें अपनी तरफ लाना। अगर बीजेपी ऐसा करने में सफल हो जाती है तो बीजेपी की जीत सुनिश्चित हो जायेगी और सपा की हार । हालांकि ऐसा होना बहुत मुश्किल जरुर है, लेकिन बर्तमान राजनीति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि राजनीति में कुछ भी संभव है।

इस क्रम में बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह ओमप्रकाश राजभर से चार बार मुलाकात भी कर चुके हैं। दूसरी तरफ बीजेपी जयंत चौधरी को बार बार यह याद दिलाने की कोशिश कर रही है कि वो समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह ही थे जिनके कारण चौधरी अजीत सिंह यूपी के मुख्यमंत्री नहीं बन पाये थे। हालांकि अखिलेश यादव बार बार इस बात को दुहरा रहे हैं कि उनका सहयोगी दलों से गठबंधन और सीटें फाईनल हो चुकी हैं, केवल घोषणा होना बाकी है। लेकिन अभी तक ओमप्रकाश राजभर, जयंत चौधरी और चाचा शिवपाल की तरफ से अधिकारिक कोई भी बयान सामने नहीं आया है।

इसके अलावा सूत्रों से ये खबर आ रही है कि बीजेपी ने बाबू सिंह कुशवाहा से भी संपर्क साधा है। मायावती सरकार में कद्दावर नेता और मंत्री रहे जन अधिकार पार्टी के नेता बाबूसिंह कुशवाहा का भी मौर्य और कुशवाहा वोटरों पर मजबूत पकड़ है। विशेषकर बुंदेलखंड, अवध और पूर्वांचल क्षेत्र के मौर्य-कुशवाहा और सैनी वोटरों पर इनकी मजबूत पकड़ है। अगर बीजेपी ऐसा करने में सफल हो जाती है तो ये समाजवादी पार्टी के नहले पर अमितशाह का दहला साबित होगा।

रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह