Shivraj Singh Chauhan: कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा है- चौहान

Shivraj Singh chauhan

Shivraj Singh Chauhan: कृषि भवन, पटना में किसानों के साथ परिचर्चा में केन्द्रीय कृषि व किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान के उद्बोधन के बिन्दु:

Shivraj Singh Chauhan

प्रधानमंत्री जी के प्रति मैं आभार प्रकट करता हूँ, जिन्होंने किसानों की सेवा का काम मुझे दिया है। किसानों की सेवा ही मेरे लिए भगवान की पूजा है।

हम पूरी कोशिश करेंगे कि हम देश के किसानों का कल्याण कर सकें।

प्रधानमंत्री जी ने लालकिले से कहा है कि वो तीन गुना तेजी से काम करेंगे।

बिहार की सरकार, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और कृषि विभाग को बधाई देना चाहता हूँ। लगातार खेती के कल्याण के काम में वो लगे हुए हैं।

आज मैंने स्टॉल देखे हैं, मखाना, चावल, शहद, मक्का, चाय सब कुछ अद्भुत है। बिहार के किसानों को प्रणाम करता हूँ।

बड़े जमीन के टुकड़े हमारे पास नहीं हैं, 91 प्रतिशत सीमांत किसान हैं, लेकिन फिर भी किसान चमत्कार कर रहे हैं।

खेती में आय दोगुना करने का अभियान प्रधानमंत्री जी ने शुरू किया है।

6 सूत्र हमारे हैं किसानों के लिए जिन पर हम काम कर रहे हैं।

उत्पादन बढ़ाना, इसके लिए जरूरी है अच्छे बीज। उत्पादन अच्छा है लेकिन और संभावना है। फल, सब्जी, अनाज, दलहन, तिलहन के अच्छे बीज जरूरी हैं। मुझे खुशी है कि 65 फसलों की 109 प्रजातियों के बीज प्रधानमंत्री जी ने समर्पित किये हैं किसानों को। ऐसी धान की किस्म है, जिसमें 30% कम पानी लगता है। बाजरे की एक किस्म है जिसकी फसल 70 दिन में आ जाती है। ऐसे बीज हैं जो जलवायु के अनुकूल हैं। बढ़ते तापमान में भी अच्छा उत्पादन देते हैं।

मैं ICAR में बात करूंगा, जिससे यहाँ किसानों को बीज की उपलब्धता हो जाए।

उत्पादन की लागत घटाना हमारा दूसरा संकल्प है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से किसानों को बहुत मदद मिलती है। केसीसी से खाद के लिए सस्ता लोन मिल जाता है।

तीसरी चीज है उत्पादन के ठीक दाम मिल जाएँ।

यहाँ का मखाना धूम मचा रहा है। मखाना एक्सपोर्ट क्वालिटी का पैदा हो रहा है। चीजें एक्सपोर्ट होती है तो किसान को ज्यादा फायदा होता है। इससे जुड़ा कार्यालय बिहार में आये, इसके लिए मैं प्रयास करूंगा।

कृषि का विविधीकरण सरकार के रोडमैप में है। परंपरागत फसलों के साथ ही ज्यादा पैसे देने वाली फसलों को बढ़ावा देने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

मैं फूड प्रोसेसिंग की बात भी करना चाहूँगा। बिहार का टैलेंट दुनिया में अद्भुत है। इस टैलेंट का ठीक उपयोग बिहार को भारत का सिरमौर नहीं बनाएगा, भारत को दुनिया का सिरमौर बना देगा।

इसे खेती में और कैसे लगा सकते हैं, नए आइडियाज़ के साथ।

केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग आखिर हम कब तक करेंगे। इससे उर्वरक क्षमता भी कम होती है और जो उत्पादन होता है, उनका शरीर पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।

आजकल केंचुए गायब हो गए हैं। खाद डालकर उनका समापन ही कर दिया। केंचुआ 50-60 फीट जमीन के नीचे जाता है, ऊपर आता है, इससे जमीन उर्वरक रहती है।

प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में प्राकृतिक खेती का मिशन शुरू हो रहा है। इससे उत्पादन घटेगा नहीं, बढ़ेगा।

मैं अगली बार पूरा समय लेकर आऊंगा। इसके बाद हम खेतों में ही कार्यक्रम करेंगे, प्रैक्टिकल प्रॉबलम भी देखेंगे।

किसान के बिना दुनिया नहीं चल सकती है। बाकी चीजें तो फैक्ट्री में बन जाएंगी लेकिन गेहूं-चावल कहाँ से लाओगे?

हम सब मिलकर काम करेंगे।

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