अगर किसी नवजात बच्चे को हॉस्पिटल से चुराया जाता है तो सबसे पहला काम उस अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड होना चाहिए”…- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी दिल्ली- एनसीआर में नवजात बच्चों की तस्करी के गैंग के पर्दाफाश से जुड़ी ख़बर प्रकाशित होने पर संज्ञान लेते हुए कही, साथ ही स्वतः संज्ञान के मामले पर अगली सुनवाई 21 अप्रैल को तय कर दी।

जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली बेंच बच्चा चोरी गिरोह से जुड़े एक मामले में जमानत को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा रहा था।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सभी आरोपियों को निचली अदालत में सरेंडर करने को कहा साथ ही सीजेएम वाराणसी और एसीजेएम वाराणसी को निर्देश दिया कि दो सप्ताह के भीतर सत्र न्यायालय में मामले दर्ज किया जाए और एक सप्ताह के भीतर चार्ज फ्रेम किया जाए।
इसके अलावा इस मामले से जुड़े कुछ आरोपी फरार है तो उनके खिलाफ ट्रायल कोर्ट गैर जमानती वारंट जारी किया जाए।

साथ ही कोर्ट ने तस्करी किए गए बच्चों को RTE के तहत स्कूल में भर्ती कराया जाता है और उन्हें शिक्षा प्रदान करना जारी रखता है। ट्रायल कोर्ट बीएनएसएस और यूपी राज्य कानून के तहत मुआवजे के संबंध में आदेश पारित करने के लिए भी निर्देश दिया

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाई कोर्ट को बाल तस्करी के मामलों में लंबित मुकदमे की स्थिति की जानकारी लेने का निर्देश देते हुए कहा कि लंबित मुकदमों को छह महीने में परीक्षण पूरा करने और मामलो के प्रतिदिन सुनवाई के आधार पर किए जाएंगे।
कोर्ट ने य़ह भी कहा कि हमारे द्वारा जारी निर्देशों को लागू करने में बरती गई किसी भी ढिलाई को गंभीरता से लिया जाएगा और उसे अवमानना के रूप में माना जाएगा