सुप्रीम कोर्ट ने FCRA संशोधन अधिनियम, 2020 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा किये गए बदलाव को सही ठहराया।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने FCRA संशोधन अधिनियम, 2020 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा किये गए बदलाव को सही ठहराया। जिसमे विदेशी चंदा लेने वालों के लिए नए नियम बनाए गए है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विदेश से चंदा लेना पूर्ण अधिकार नहीं हो सकता। FCRA संसोधन अधिनियम 2020 में विदेश से आर्थिक अनुदान लेने वाली संस्थाओं को SBI की नई दिल्ली शाखा में ही अपना प्राथमिक FCRA अकाउंट खोलना होगा। जिसके जरिए चंदा ले सकेंगे। इसके अलावा विदेशी चंदे को खर्च करने के तरीके पर भी नए नियम बनाए गए थे। जिनका पालन करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले मे यह तय करना था कि विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 में संसोधन कर बनाए गए विदेशी योगदान (विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2020 मे किए गए परिवर्तन संवैधानिक हैं या नहीं। जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। दरअसल केयर एंड शेयर चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष नोएल हार्पर और जीवन ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा FCRA संशोधन अधिनियम, 2020 की संवैधानिक वैधता को चुंनोति देते हुए कहा था कि यह संसोधन संविधान के अनुच्छेद 14 , 19 और 21 का उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया था कि FCRA संसोधित अधिनियम की धारा 7 विदेशों से धन लेने पर रोक लगाती है। जबकि धारा 12A विदेशों से चंदा लेने के लिए पहचान के लिए आधार की अनिवार्यता, पूर्व अनुमति और रजिस्ट्रेशन कराए जाने का प्रवाधान करती है। साथ हीं इसकी धारा 17 के मुताबिक SBI की नई दिल्ली की एक शाखा में इसके लिए प्राथमिक खाता खोलना अनिवार्य बनाया गया है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि SBI की शाखा में खाता खोलने की बाध्यता स्पष्ट रूप से मनमाना है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है साथ ही कोई तर्कसंगत उद्देश्य भी नही पूरा करती है। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं का यह भी तर्क है कि संशोधन में वैध उद्देश्य का अभाव है और गैर-सरकारी संगठनों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

रिपोर्ट- धर्मेन्द्र कुमार सिंह

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