UMMEED: कोटा जैसी जगह पर करियर के लिए संघर्ष कर रहे युवाओं के लिए नई उम्मीद

Kota

UMMEED: कोचिंग के हब कहे जाने वाले कोटा से आत्महत्या की खबरें लगातार आ रही है। भारत में पिछले कुछ सालों में छात्रों के छोटी उम्र में आत्महत्या जैसी जानलेवा कदम उठाने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी साल 2023 के अगस्त महीने तक कोटा में 2 छात्रों ने आत्महत्या की।

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UMMEED: केंद्र और राज्य सरकार आत्महत्या के इन मामलों को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है। जैसे हॉस्टल के पंखों पर काम किया जा रहा है शिक्षकों को छात्रों पर दबाव कम करने के हिदायत दी जा रही है लेकिन अब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सरकार एक गाइडलाइन लेकर आई है जिसका नाम है उम्मीद।

नई गाइडलाइन के मुताबिक अब स्कूलों को सुसाइड प्रीवेंशन के लिए प्लान आफ एक्शन बनाना होगा। इसके तहत स्कूलों में वैलनेस टीम में सेटअप की जाएगी। इस टीम का काम स्कूल के सभी छात्रों से बातचीत कर उनमें अवसाद आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने की किसी भी लक्षण की पहचान कर उन्हें भावात्मक रूप से सपोर्ट करना और बच्चों को समझना होगा।

उम्मीद यानी कि Understand , Motivate, Manage, Empathies’, Empower and Development यह वह 6 पॉइंट्स है जिनके जरिए सरकार स्टूडेंट पर्सपेक्टिव को और बेहतर बनाना चाहती है।

U- Understand यानी की छात्रों को समझना

M- Motivate छात्रों को प्रेरणा देना

M- Manage अवसाद या किसी तरह की परेशानी से गुजर रहे छात्रों की स्थिति से निपटना

E- Empathies’- य़ानी की सहानुभूति

E- Empower सशक्त करना

D- Develop विकास करना

ड्राफ्ट में लिखा गया है कि छात्रों के लिए कोई भी बदलाव जैसे नए शहर जाना नए स्कूल में जाना अपनों से दूर होना यह सब परेशान करता है। ड्राफ्ट के मुताबिक आजकल के बच्चों पर ऐसे ही क्लास में टॉप करने हमेशा अच्छे नंबर लाने प्रतियोगी परीक्षाओं में क्वालीफाई करने जैसे तमाम दवाब होते हैं।

ऐसे में अगर स्कूल में शिक्षक या घर पर माता-पिता बच्चों से किसी तरह का संवेदनशील बात करता है। इससे छात्र ट्रिगर हो सकते हैं ।ऐसा ना हो इसलिए उम्मीद गाइडलाइन में क्या-क्या कदम उठाए नहीं जानी चाहिए यह बताया गया है।

ड्राफ्ट में लिखा गया है कि सभी विद्यालयों में स्कूल वैलनेस टीम बनाई जा सकती है जिसमें प्रिंसिपल काउंसलर टीचर स्कूल मेडिकल ऑफिसर नर्स एंड सपोर्ट स्टाफ शामिल होंगे इस चैप्टर में वक्त के साथ लगातार बदलाव होते रहेंगे और समय के साथ इसमें अलग-अलग नियम भी जुड़ते जाएंगे।

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स्कूल में किसी भी छात्र के साथ भेदभाव या उसकी तुलना न की जाए। अंकों के आधार पर या रंग कपड़े जूते के आधार पर बिल्कुल नहीं और में हीन भावना किसी सूरत में ना पनपने दे।

गाइडलाइन के मुताबिक वैलनेस टीम को सारा एक्शन चुपचाप लेना होगा आत्महत्या को रोकने के लिए हर परिसर में डिटेल एक्शन प्लान बन और समय से उसे पर अमल हो।

गाइडलाइन उम्मीद के मुताबिक पीढ़ी छात्रों की मदद करने के लिए पेरेंट्स यानी माता-पिता का सहयोग किया जाए।

ड्राफ्ट कहता है कि स्कूल प्रिंसिपल टीचर नहीं बल्कि इस काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए शैक्षणिक परिसर का हर सदस्य को इसमें सहयोगी बनना होगा।

पेरेंट्स को अलर्ट होना जरूरी है।

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