धार्मिक नगरी चित्रकूट में चल रहे 3 दिवसीय हिंदू एकता महाकुंभ में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू धर्म छोड़ने वालों की घर वापसी कराने का आह्वान किया

चित्रकूट, यूपी। धार्मिक नगरी चित्रकूट में चल रहे 3 दिवसीय हिंदू एकता महाकुंभ में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू धर्म छोड़ने वालों की घर वापसी कराने का आह्वान किया है । उन्‍होंने कहा कि भय ज्‍यादा दिन तक बांध नहीं सकता है। अहंकार से एकता टूटती है। हम लोगों को जोड़ने के लिए काम करेंगे। महाकुंभ में शामिल हो रहे लोगों को उन्‍होंने इसका संकल्‍प औऱ प्रतिज्ञा भी दिलाया जिसमे कहा कि हिंदू एकता महाकुंभ में आए लोगों ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ संकल्प लेते हुए कहा कि, मैं हिंदू संस्कृति के धर्मयोद्धा मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की संकल्प स्थली पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर को साक्षी मानकर संकल्प लेता हूं कि मैं अपने पवित्र हिंदू धर्म, हिन्दू संस्कृति और हिन्दू समाज के संरक्षण संवर्धन और सुरक्षा के लिए आजीवन कार्य करूंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि किसी भी हिंदू भाई को हिंदू धर्म से विमुख नहीं होने दूंगा। जो भाई धर्म छोड़ कर चले गए हैं, उनकी भी घर वापसी के लिए कार्य करूंगा। उन्हें परिवार का हिस्सा बनाऊंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि हिंदू बहनों की अस्मिता, सम्मान और शील की रक्षा के लिए सर्वस्व अर्पण करूंगा। जाति, वर्ग, भाषा, पंथ के भेद से ऊपर उठ कर हिंदू समाज को समरस सशक्त अभेद्य बनाने के लिए पूरी शक्ति से कार्य करूंगा।

कार्यक्रम में मोहन भागवत, श्री श्री रविशंकर के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को आना था, लेकिन सिर्फ मोहन भागवत ही शिरकत किए हैं। मोहन भागवत के मंच में ज्यादातर भाजपा के चेहरे नजर आ रहे थे। स्थानीय सांसद आरके सिंह पटेल भी मंच पर उपस्थित नजर आए। श्री श्री रविशंकर महाराज ने कहा की हमारे देश के बहुत एकता के चिन्ह के रूप में आदरणीय पूज्य मोहन भागवत जी। कुछ लोग जब इकट्ठा होते है तो भय उतपन्न होता है जब हिन्दू ईकट्टा होते है तो अभय उतपन्न होता है। जो भगवान को प्यार करता है वो देश को जरूर प्यार करता है जो देश भक्त है वो जानता है कि भगवान है। देशभक्ति बहुत कठिन है। प्रगति के लिए शिक्षा, पर्यावरण केंद्र विंदु है। भारत जगद्गुरु है और हिन्दू एकता के आगाज से भारत विश्वगुरु हो जाएगा।

साध्वी ऋम्भरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि युवा शक्ति जब भगवान की दास हो जाती है तो हिन्दू एकता शिक्षा लोक की दृष्टि से कल्याण के लिए स्थापित की गई। शिक्षा का दुष्परिणाम जो आया हम देखे हैं। आधी रात के बाद भी जब हम बेटियों को शराब पीते देखते है। जिस पुत्री को मा बनना है उसे लगने लगा कि मैं पुरुषो की तरह हो जाऊं। मैं सभी को संकल्प लेना होगा कि जब कि जब अग्नि को साक्षी मानकर एक हो तो तन भी कोरा हो और मन भी कोरा होना चाहिए। जिस भारत की नारी ने अपनी संतानों को लोरियों में ज्ञान कि लौ जलाई थी। हिन्दुओ निशिचत करो कि तुम्हरे बच्चे तुलसी के पौधे है और तुलसी को गंगासे सीचा जाता है । उन्होंने कहा कि हिन्दुओ संकल्प करो कि एकता और अखंडता के लिए अपनी सन्तानो को सद्मार्ग में लाएंगे।

अशोक द्विवेदी
चित्रकूट