हिजाब विवाद मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन जजों की फुल बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि हिजाब ईस्लाम का हिस्सा नहीं है और शिक्षण संस्थान इस तरह के पहनावे और हिजाब पर रोक लगा सकते हैं। अपने इस आदेश के साथ हीं हाईकोर्ट ने हिजाब की अनुमति मांगने वाली सभी याचिकायें खारिज कर दी।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि क्लासरुम के अन्दर कोड ऑफ कन्डक्ट जरुरी है। क्लासरुम के बाहर चाहे जो भी छात्र जो भी ड्रेस पहने लेकिन क्लास रुम में स्कूल कॉलेज के ड्रेस कोड को मान्यता दी जाये। स्कूल-कॉलेज को अपना ड्रेस कोड तय करने का पूरा अधिकार है।
कोर्ट ने पहले तीन सवाल पूछे और फिर तीनों सवालों के जवाब भी दिये। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना ईस्लाम में जरुरी धार्मिक रिवाज नहीं है। स्कूल कॉलेज द्वारा यूनिफार्म तय करने पर स्टूडेंट्स आपत्ति नहीं जता सकते।
शिक्षण संस्थानों में हिजाब के मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे इस विवाद पर तीन जजों की फुल बेंच ने 15 से ज्यादा दिनों तक सुनवाई की और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पिछले स्पताह इसपर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य सरकार ने कर्नाटक के सभी जिलों में धारा 144 लागू कर दी है। जो इलाके ज्यादा संवेदनशील हैं वहां के शिक्षण संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया गया है।
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा: हम कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है। यह संविधान के अनुच्छेद 15 की अवहेलना करता है। हाई कोर्ट ने कहा है कि हिजाब आवश्यक धार्मिक अभ्यास नहीं है लेकिन इसका निर्णय कौन करेगा? इस फैसले के ख़िलाफ़ हम इसलिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हिजाब पर जो फैसला कोर्ट ने कायम रखा है वो बहुत ही निराश करने वाला फैसला है। एक लड़की और एक महिला को ये भी अधिकार नहीं है कि वो क्या पहने और क्या नहीं पहने। मैं समझती हूं कि एक तरफ तो हम बहुत बड़े दावे करते हैं औरतों के अधिकारों की कि उनको सशक्त बनाना है और दूसरी तरफ हम उनको ये भी हक नहीं देते हैं कि वो क्या पहने और क्या नहीं और अगर वो अपनी मर्जी के मुताबिक कपड़े पहनती हैं तो उन्हें परेशान किया जाता है।
रिपोर्ट- धर्मेन्द्र सिंह