Congress Party Question: कांग्रेस का मोदी सरकार की इथेनॉल मिश्रण नीति पर हमला; कहा- गडकरी के बेटों को लाभ और उपभोक्ताओं को नुकसान

Congress Party Question: पवन खेड़ा ने पूछा- क्या नितिन गडकरी और उनके बेटों पर लगे आरोपों की जांच कराएंगे नरेंद्र मोदी?

Congress Party Question

नई दिल्ली, 04 सितंबर

कांग्रेस ने मोदी सरकार की इथेनॉल मिश्रण नीति पर हमला बोलते हुए सवाल किया है कि क्या यह नीति आम जनता के बजाय केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बेटों समेत कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के इरादे से बनाई गई है।

इंदिरा भवन स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए पार्टी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने कहा कि वोट चोरी के बाद अब मोदी सरकार पेट्रोल चोरी में लिप्त है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा 2014 में किए गए उस वादे को याद दिलाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि नगरपालिका के कचरे से इथेनॉल बनाया जाएगा, जिसे पेट्रोल और डीजल में डाला जाएगा। उस समय दावा किया गया था कि इसके बाद पेट्रोल 55 रुपये और डीजल 50 रुपये प्रति लीटर में मिलेगा। 2018 में भी गडकरी ने लकड़ी के बूरे और नगरपालिका के कचरे से इथेनॉल उत्पादन की बात दोहराई थी। लेकिन इन दावों के उलट आज पेट्रोल की कीमत 94.77 रुपये और डीजल की कीमत 87.67 रुपये प्रति लीटर हो गई है। आज तक नगरपालिका कचरे या लकड़ी के बूरे से एक बूंद भी इथेनॉल नहीं बना है। इसके विपरीत 2023-24 में 672 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन हुआ, जिसमें से 56 प्रतिशत गन्ने से और बाकी अनाज से बनाया गया।

हितों के टकराव का उल्लेख करते हुए कांग्रेस नेता ने बताया कि नितिन गडकरी के पुत्र निखिल गडकरी के स्वामित्व वाली सियान एग्रो इंडस्ट्रीज इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड एक प्रमुख इथेनॉल आपूर्तिकर्ता है। उनके दूसरे पुत्र सारंग गडकरी इथेनॉल का व्यवसाय करने वाली मानस एग्रो इंडस्ट्रीज में निदेशक हैं। उन्होंने बताया कि सियान एग्रो का राजस्व 18 करोड़ से बढ़कर 523 करोड़ रुपये हो गया। इसके शेयर की कीमत 37.45 रुपये से 638 रुपये तक पहुंच गई। खेड़ा ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि पिता नीतियां बना रहे हैं, पुत्र पैसा बना रहे हैं।

पवन खेड़ा ने आगे कहा कि इथेनॉल उत्पादन से जुड़ी चीनी मिलें रिकॉर्ड मुनाफा कमा रही हैं। उन्होंने पूछा कि क्या गन्ना आधारित इथेनॉल को इसलिए बढ़ावा दिया जा रहा है क्योंकि नितिन गडकरी, उनके सहयोगियों और आरएसएस के चीनी मिलों में व्यावसायिक हित होने की खबर हैं?

खेड़ा ने पेट्रोल में इथेनॉल की मिलावट से हो रहे नुकसान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इससे वाहनों के इंजनों को नुकसान हो रहा है, माइलेज कम हो रही है और रखरखाव की लागत बढ़ रही है। उन्होंने नीति आयोग की रिपोर्ट का भी जिक्र किया, जिसमें माइलेज में छह प्रतिशत गिरावट को स्वीकार किया गया है, जबकि वास्तविकता में यह नुकसान कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि इथेनॉल संयंत्र न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से अनाज नहीं खरीद रहे, बल्कि सस्ते सरकारी स्टॉक पर निर्भर हैं। इससे न केवल किसानों की आय प्रभावित हो रही है, बल्कि राष्ट्रीय खाद्य भंडार पर भी असर पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त प्रति लीटर इथेनॉल उत्पादन के लिए तीन हजार लीटर पानी की खपत होती है, जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार की 2030 तक 30 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण की योजना से चीनी की कीमतें भी बढ़ रही हैं, जिसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार ने रूस से सस्ता कच्चा तेल आयात करने और 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य समय से पूर्व हासिल करने के बाद भी ईंधन की कीमतों में कमी नहीं की। ऐसे में सवाल उठता है कि इस नीति से बड़े पैमाने पर मुनाफा कौन कमा रहा है?

खेड़ा ने सरकार से यह भी पूछा कि इथेनॉल मिश्रण से किसानों और आम जनता को कितना फायदा हुआ? इस नीति का फायदा सिर्फ गडकरी के बेटों को ही क्यों मिला? प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की शपथ ली है, तो क्या लोकपाल 130वें संविधान संशोधन विधेयक के पारित होने से पहले गडकरी और उनके बेटों पर लगे आरोपों की जांच करने का साहस करेगा? 2014-2025 के बीच पेट्रोल-डीजल पर सेस के जरिए कमाए गए करीब 40 लाख करोड़ रुपये का हिसाब कब मिलेगा?

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