Constitution Day: सुप्रीम कोर्ट परिसर  में आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने ये क्या कह दिया

Constitution Day

Constitution Day: संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट परिसर  में आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहा कि पिछली बार संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में  राष्ट्रपति ने जेल में कैदियों की भारी तादाद पर चिंता जाहिर की थी।

Constitution Day

Constitution Day: हम कानूनी प्रक्रिया को इस तरीके से आसान बना रहे हैं ताकि लोग बिना वजह जेल में रहने के लिए मजबूर ना हो। ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं ताकि किसी भी कैदी की रिहाई का आदेश तुरंत सम्बंधित ऑथोरिटी तक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पहुंच सके ताकि वो व्यक्ति समय पर रिहा हो सके।

CJI ने कहा कि  ‘मैं संविधान दिवस के मौके पर भारत के नागरिको  से ये कहना चाहता हूं कि सर्वोच्च न्यायलय के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले रहे हैं और आगे भी खुले रहेंगे। आपको कोर्ट आने से डरने की कभी जरूरत ही नहीं है। न्यायपालिका के प्रति आपकी आस्था हमें प्रेरित करती है ।आपका विश्वास हमारा श्रद्धा स्थान है।

chief justice of india
chief justice of india

CJI ने कहा कि पिछले 7 दशकों में सुप्रीम कोर्ट ने देश की आम जनता के कोर्ट के रूप में खुद को स्थापित किया है। लोग इस उम्मीद में कोर्ट आते हैं कि उन्हें इंसाफ मिलेगा। लोग अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, गैर कानूनी तरीके से हुई गिरफ्तारी से बचने ,बन्धुआ मजदूर, आदिवासियो के अधिकारों का हनन रोकने के लिए,  कार्यस्थलों पर यौन शोषण को रोकने के लिए,साफ पानी, साफ हवा का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट आते है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारा सुप्रीम कोर्ट शायद दुनिया का इकलौता ऐसा कोर्ट है जहां पर एक व्यक्ति सिर्फ चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर भी इंसाफ की उम्मीद लगा सकता है। महज एक पोस्ट कार्ड, एक मेल ही काफी होता है कि सुप्रीम कोर्ट उस मामले का  संज्ञान ले और कई बार ऐसा भी कई बार हुआ है कि SC ने उसे अर्जेट मानते हुए केस को उसी दिन सुनवाई के लिए लिस्ट भी कर दिया।

CJI ने कहा कि लोगों को इंसाफ दिलाना सुनिश्चित करने के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट की हमेशा ही कोशिश रही है कि उसका प्रशासनिक ढांचा देश की जनता को केंद्र में रखकर काम करें। 

CJI ने कहा कि आजकल कोर्ट की सुनवाई का सीधा प्रसारण तक हो रहा है ।ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि देश के लोग इस बात को समझ सकें कि आखिर अदालतों में काम किस तरीके से होता है। फैसलों का स्थानीय भाषा में अनुवाद हो रहा है।

CJI ने कहा कि SC के अब तक  अग्रेजी भाषा के दिए गए  36 हज़ार से ज़्यादा जजमेंट E- SCr पोर्टल पर बिलकुल फ्री उपलब्ध कराए गए है। ये  न केवल वकीलों के लिए बल्कि कानून के छात्रों के लिए भी उपयोगी साबित हो रहे है

CJI ने कहा कि संविधान सभा के आखिरी सम्बोधन में डॉक्टर अंबेडकर ने ये सवाल किया था कि भारत के सवैंधानिक लोकतंत्र का क्या भविष्य होगा!  क्या भारत अपने संविधान को बचा पाएगा या फिर एक बार फिर से खो देगा। लेकिन हम न केवल अपने संविधान को बचा पाए हैं, बल्कि देश के आम नागरिको ने संविधान को आत्मसात किया है।

इसे भी पढे:-Chanakya Niti: धन आने पर कभी ना करें यह 4गलती, छिन जाएगा चैन सुख