FSSAI
देश में बिकने वाले अंडे पूरी तरह सुरक्षित हैं और इनके सेवन से कैंसर का कोई खतरा नहीं है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने अंडों को लेकर फैली अफवाहों और सोशल मीडिया पर चल रहे दावों को सिरे से खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया है कि ऐसी खबरें वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और आम लोगों में अनावश्यक डर फैला रही हैं।
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FSSAI के मुताबिक, हाल के दिनों में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में यह दावा किया गया कि अंडों में नाइट्रोफ्यूरान नाम का प्रतिबंधित रसायन पाया गया है, जिसे कैंसर से जोड़ा जा रहा है। इस पर FSSAI ने साफ किया कि नाइट्रोफ्यूरान और इससे जुड़े रसायनों का इस्तेमाल पोल्ट्री फार्मिंग और अंडों के उत्पादन में पूरी तरह प्रतिबंधित है। फूड सेफ्टी कानून के तहत इसके इस्तेमाल की किसी भी स्तर पर अनुमति नहीं है।
प्राधिकरण ने यह भी बताया कि जांच के दौरान जो बेहद मामूली मात्रा की सीमा तय की गई है, वह केवल लैब जांच और निगरानी के उद्देश्य से है। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि उस रसायन का इस्तेमाल किया जा सकता है या वह मात्रा स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। FSSAI के अनुसार, इतनी सूक्ष्म मात्रा का मानव स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।स्वास्थ्य से जुड़े पहलू पर FSSAI ने दो टूक कहा कि देश या दुनिया में अब तक कोई भी ऐसा वैज्ञानिक अध्ययन सामने नहीं आया है, जो यह साबित करे कि अंडे खाने से कैंसर होता है। न ही किसी राष्ट्रीय और न ही किसी अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्था ने सामान्य अंडा सेवन को कैंसर के बढ़ते खतरे से जोड़ा है।
किसी खास ब्रांड या किसी एक बैच में जांच के दौरान मिली रिपोर्ट को लेकर FSSAI ने कहा कि ऐसी घटनाएं कई बार फीड, पर्यावरण या अन्य तकनीकी कारणों से हो सकती हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पूरे देश में अंडों की सप्लाई असुरक्षित है। एक-दो मामलों के आधार पर पूरे अंडा उद्योग पर सवाल उठाना और अंडों को खतरनाक बताना वैज्ञानिक और तार्किक दोनों ही रूप से गलत है।
FSSAI ने आम जनता से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर फैल रही अपुष्ट खबरों और अफवाहों पर भरोसा न करें। केवल आधिकारिक बयान, वैज्ञानिक रिपोर्ट और सरकार की ओर से जारी सलाह को ही सही मानें। प्राधिकरण ने दोहराया कि अंडे प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरपूर हैं और संतुलित आहार में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
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