दिल्ली: अमेरिका ने जब से भारत पर 20 से 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की है तब से ही भारत के गारमेंट और हैंडीक्राफ्ट उद्योग में खलबली है। इनको आशंका है कि इनके निर्यात में 30 से 40 फीसदी की कमी आएगी। इस सेक्टर के प्रतिनिधी एक अगस्त की डेडलाइन से 15 दिन पहले वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मिले और उनको ज्ञापन दिया।
Handloom And Handicraft Welfare Association
हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अखिल भारतीय सचिव आंचल बोहरा ने इंडियापोस्ट न्यूज को बताया कि कुल गारमेंट निर्यात का 50 फीसदी माल का आयातक अमेरिका है। अमेरिका के आयातक को जब बांग्लादेश और वियतनाम से भारत से कम कीमत पर माल मिलेगा तो वो भारत का माल क्यों खरीदेगा।

इन दोनों देशों पर अमेरिका ने टैरिफ नहीं बढ़ाया है । आंचल कहते हैं कि भले ही अभी समय सीमा एक सप्ताह और बढा दी गयी है लेकिन अमेरिका में उनके आयातकों ने मोलभाव करना शुरू कर दिया है। आयतकों का कहना है 16 फीसदी के बाद जितना भी टैरिफ है वो भारत के निर्यातकों को 50- 50 करना चाहिए। यानी कि जो नया 9 फीसदी है उसमें से वो केवल साढ़े चार फीसदी देगा बाकी का निर्यातक देगा।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल संसद में भी साफ कह चुके हैं कि डेयरी,कृषि एमएसएमई में भारत के हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। हैंडीक्राफ्ट पूरा और गारमेंट उद्योग का कुछ हिस्सा एमएसएमई के तहत आता है। भारत साफ कर चुका है इस पर भारत के हित पहले और अमेरिका से दोस्ती बाद में है।
पीयूष गोयल ने एच एच वेलफेयर एसोसिएशन को भरोसा दिलाया है कि सरकार समाधान खोज रही है और दो तीन महीने के भीतर सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे। आंचल बोहरा का कहना है कि बांग्लादेश और वियतनाम फ्रेब्रिक के मामले में भारत की विविधता का मुकाबला नहीं कर सकते। जो माल इन दोनों देशों से आयतकों को नहीं मिलेगा वो भारत से ही लेंगे। लेकिन निर्यातकों को डर है कि उनके व्यापार को नुकसान होगा और उनको छंटनी करनी पडेगी।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के संस्थापक और महासचिव भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल डोनाल्ड ट्रंप की नयी टैरिफ नीति को बांह मरोडने (आर्म ट्विस्टिंग), दबाब बनाने की नीति बता रहे हैं । indiapostnews.com से बातचीत में उन्होंने बताया कि अभी तो समय सीमा 7 अगस्त तक बढ़ायी है आने वाले 15-20 दिन में उनके सुर ही बदल जायेंगे। खंडेलवाल का कहना उन पर इस समय अमेजन और वॉलमार्ट का पूरा पूरा दबाव है जो कि भारत में ऑनलाइन व्यापार के बजाए इन्वेंटरी चाहते हैं। लेकिन भारत की 2018 की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के तहत ये कंपनियां केवल ऑनलाइन व्यापार कर सकती है अपना स्टॉक भारत में नहीं रख सकती। क्योंकि इससे भारत के उत्पादकों और व्यापारियों को नुकसान होगा। सीएआईटी के साथ पूरे देश का छोटा व्यापारी और एमएसएमई क्षेत्र भी जुडा है प्रवीण खंडेलवाल का दावा है कि भारत के गारमेंट और हैंडीक्राफ्ट सेक्टर पर कोई ज्यादा असर नहीं पडेगा।
ये दोनों सेक्टर भारत के निर्यात की यूएसपी हैं जिसका मुकाबला अन्य देश नहीं कर सकते। बांग्लादेश और वियतनाम के गारमेंट का खरीददार अमेरिका में निम्न आय वर्ग के लोग हैं जबकि भारत का माल उच्च क्वालिटी और विविधता वाला है इसलिए खरीददार भी संपन्न वर्ग है। और दस्तकारी में भारत का मुकाबला दुनिया का कोई देश नहीं कर सकता जितनी मौलिकता और विविधता भारत के माल में है वो किसी दूसरे के में नहीं। अब देखना है कि ट्रंप की जिद और भारत के स्वाभिमान और राष्ट्रहित के टकराव में किसकी जीत होती है।
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