Mandi Lok Sabha Seat: मंडी कांग्रेस – भाजपा उम्मीदवार में जुबानी जंग तेज , दोनों एक दूसरे पर हैं भारी
Mandi Lok Sabha Seat
हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों में से एक मंडी इस बार हॉट लोकसभा सीटों में से एक है । इस बार भाजपा ने यहां बॉलीवुड की मशहूर और सफल हीरोइन कंगना रनौत को अपना उम्मीदवार बना रखा है । कांग्रेस ने भी कंगना के मुकाबले मजबूत उम्मीदवार खड़ा किया है विक्रमादित्य सिंह को । विक्रमादित्य सिंह फिलहाल विधायक हैं और हिमाचल प्रदेश सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री हैं । वे हिमाचल प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री लोकप्रिय और दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह के बेटे हैं । पिता की राजनीतिक विरासत और लोकप्रियता का उनको लाभ मिल रहा है । कंगना रनौत भी हिमाचल प्रदेश के मंडी की ही बेटी हैं । हिमाचल प्रदेश के बेटे और बेटी का ये मुकाबला काफी रोचक है । विक्रमादित्य हिमाचल के राजपरिवार से हैं और अति प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से हैं । उनके पिता 6 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं और मां प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष हैं और निवर्तमान सांसद भी हैं । कंगना एक साधारण परिवार में पैदा हुई लड़की हैं जिन्होंने बॉलीवुड में अपनी खास जगह बनायी और सिने जगत में सफलता और शोहरत दोनों हासिल की ।
हिमाचल प्रदेश में यदि सबसे ज्यादा चर्चा किसी की हैं निगाहें कहीं टिकी हैं तो वो है मंडी लोकसभा सीट । दोनों दलों के उम्मीदवारों की अपनी अपनी खासियतें हैं तो कुछ कमियां भी हैं । ये जग जाहिर है कि विक्रमादित्य की राज्य के मुख्यमंत्री सुक्खु से नहीं बनती कुछ महीने पहले हुए राज्यसभा चुनाव में विक्रमादित्य सिंह के बागी तेवर सामने आए थे । खबरें तो ये भी थीं कि विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के संपर्क में थे और भाजपा में आ सकते हैं । लेकिन अंत में शायद बात बनी नहीं और विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस में ही बने रहे । जब लोकसभा चुनावों की घोषणा हुई तो कांग्रेस ने तब तक मंडी से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया जब तक भाजपा ने कंगना रनौत का नाम घोषित नहीं कर दिया ।कांग्रेस ने बहुत सोच समझ कर विक्रमादित्य सिंह को टिकट दिया । विक्रमादित्य के पास अपने पिता की साख और लोकप्रियता की पूंजी है । उधर कंगना रनौत महिला सशक्तिकरण की प्रतीक हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश भाजपा की आपसी गुटबंदी उनको भारी पड सकती हैं । वैसे पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर उनको जिताने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं बहुत मेहनत कर रहे हैं । मंडी लोकसभा 17 विधानसभा सीटों में से 12 फिलहाल भाजपा के पास हैं और पांच पर कांग्रेस के विधायक हैं । जयराम ठाकुर की विधानसभा सीट सेराज भी मंडी लोकसभा में पड़ती है । जयराम ठाकुर के लिए कंगना रनौत को जिताना उनकी नाक का सवाल बना हुआ है । लेकिन मंडी क्षेत्र भाजपा संगठन का एक बड़ा हिस्सा चुनाव प्रचार में पूरी तरह सक्रिय नहीं हुआ है । अनेक पदाधिकारियों ने बातचीत में बताया कि कंगना रनौत स्थानीय भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से तालमेल नहीं बिठा पायी हैं । अनेक पदाधिकारियों को शिकायत है कि वे अपनी मनमानी करती हैं । अपने उल्टे सीधे बयानों और बडबोलेपन से भाजपा का दुविधा में डाल देती हैं । कांग्रेस का सोशल मीडिया सेल कंगना के बयानों को हाथों हाथ लेता है और बढा चढ़ा कर प्रचारित प्रसारित करता है ।
कंगना रनौत और विक्रमादित्य के बीच जुबानी जंग भी खूब चल रही है । कंगना रनौत अपने बेबाक बयानों के लिए जानी जाती है । चुनाव में वे अपने सामने खड़े उम्मीदवार को भी नहीं बख्शती हैं । वे अपनी चुनावी सभाओं में विक्रमादित्य को ललकारती वे उनको बड़े परिवार का वो नेता बताती हैं जिसको बिना मेहनत के सब कुछ मिला है ।जो अपने दम पर नहीं अपने परिवार की दौलत शोहरत और ताकत के बल पर राजनीति में है । अपने बारे में कंगना कहती हैं कि वे अपने दम पर गे बढी हैं अपनी जगह खुद बनायी है फिल्म अभिनेत्री हैं , निर्माता निर्देशक हैं पद्मश्री और नेशनल फिल्म पुरस्कार से सम्मानित हैं । वे विक्रमादित्य को भरी सभा में कहती हैं कि वो दुर्दशा करूंगी की सब्जी मंडी की सब्जियों के भाव भी भूल जाओगे कंगना तू तड़ाक पर उतर जाती हैं तो विक्रमादित्य गरिमा बनाए रखते हैं वे कंगना को अपनी बहन कह कर बुलाते हैं । कंगना के बयानों पर वे कड़ी प्रतिक्रिया नहीं देते बल्कि हंसते हुए कहते हैं कि कंगना मंडी के लोगों का मनोरंजन करने आयी हैं कर रही हैं । चार जून के बाद मुबंई लौट कर कपिल शर्मा की छुट्टी कर देंगी अब कपिल शर्मा लाफ्टर शो के बजाए कंगना लाफ्टर शो शुरू होगा ।
पूरा मंडी लोकसभा क्षेत्र बड़े बड़े बड़े चुनावी होर्डिंग से अटा पड़ा है । पूरे उत्तर भारत में कहीं इतने होर्डिग्स नहीं हैं जितने मंडी लोकसभा में लगे हैं । कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही एक दूसरे को टक्कर दे रखी है । विक्रमादित्य अतीत की विरासत पर भविष्य के निर्माण की टैग लाईन देते हैं तो भाजपा मोदी सरकार की उपलब्धियों की टैग लाईन दे कर वोट मांग रही है । हिमाचल प्रदेश की जनता ग्लैमर को बहुत पसंद करती हो लगता नहीं है सुंदरनगर शहर के चौराहे पर तीन उन युवतियों से बात की जो पहली बार वोट डालेंगी ।हमने उनसे पूछा की आप तो कंगना को ही वोट करेंगी ना तो उन्होंने कहा नहीं बिल्कुल नहीं हम तो विक्रमादित्य को वोट करेगें । किंतु क्यों कंगना ने मंडी का नाम रोशन किया है इतनी सफल हैं महिला सशक्तिकरण की मिसाल है? नहीं वे मंडी में नहीं रहती हम उनको कहां खोजेंगे विक्रमादित्य लोकल हैं उनको ही वोट देंगे ।
मंडी का नाम मांडव्य ऋषि के नाम पर पडा मांडव्य ऋषि ने यहां तपस्या की थी । मंडी लोकसभा का गठन 1952 में हुआ था पहले चुनाव से लेकर 1971 तक हुए चुनावों में कांग्रेस लगातार जीतती रही । लगातार 25 साल तक कांग्रेस का कब्जा रहा । आपातकाल के बाद हुए चुनावों में पहली बार 1977 में कांग्रेस ने हार का मुंह देखा । लेकिन 1980 में हुए चुनावों में कांग्रेस के वीरभद्र सिंह ने 1980 में हुए मध्यावधि चुनावों में फिर से ये सीट जीत ली , 1984 में कांग्रेस के सुखराम शर्मा चुनाव जीते । भाजपा पहली बार 1989 में मंडी से लोकसभा चुनाव जीती ।कुल्लु राजपरिवार के महेश्वर सिंह ने कांग्रेस को हराया । भाजपा के लिए पहली जीत अल्पकालिक थी 1991 में हुए मध्यावधि औऱ फिर 1996 में हुए चुनावों में कांग्रेस के सुख राम शर्मा जीते । भाजपा के उम्मीदवार कुल्लू राजपरिवार के महेश्वर सिंह 1998 और 1999 के मध्यावधि चुनाव जीते । अगले दो चुनावों 2004 और 2009 में हिमाचल प्रदेश के बुशैहर राजपरिवार की रानी प्रतिभा सिंह और उनके पति वीरभद्र सिंह ने जीत हासिल की । वीर भद्र सिंह ने 2012 में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते उन्होंने लोकसभा सीट से इस्तीफा दिया तो उपचुनाव में कांग्रेस ने उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को टिकट दिया 2013 में हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह लगभग सवा लाख वोटों से चुनाव जीतीं उन्होंने भाजपा के जय राम ठाकुर को हराया था । अगले दो लोकसभा चुनावों में बाजी भाजपा ने मारी भाजपा के राम स्वरूप शर्मा 2014 और 2019 में दोनों बार चुनाव जीते । राम स्वरूप शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे वे स्वयं को सुदामा कहा करते थे, मंडी को छोटी काशी नाम उन्होंने दिया था । राम स्वरूप शर्मा की मार्च 2021 में दिल्ली में संदिग्ध हालात में मौत हो गयी उनका शव फंदे से लटका मिला था । मंडी में 2021 में उपचुनाव हुआ तो कांग्रेस की प्रतिभा रानी सिंह जीत गयीं ।
मंडी लोकसभा सीट पर अब तक हुए बीस चुनावों और उपचुनावों में कांग्रेस 14 बार जीती जिसमें से 6 बार विक्रमादित्य सिंह की मां प्रतिभा सिंह और पिता वीरभद्र सिंह जीते । अब सातवीं बार भी वीरभद्र सिंह परिवार चुनाव मैदान में है । भाजपा यहां से पांच बार जीती और एक बार जनता पार्टी । विक्रमादित्य सिंह और उनके परिवार को मंडी की जनता बहुत अच्छे से जानती है । उनके पिता वीरभद्र सिंह इलाके में बहुत लोकप्रिय और सम्मानित नेता हैं । लोग उनको एक विनम्र और मददगार नेता के रूप में याद करते हैं । पिता और मां की राजनीतिक विरासत का विक्रमादित्य को कितना लाभ मिलता है ये देखना है । कंगना रनौत को भाजपा के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की नाराज़गी भारी पड़ सकती है । हिमाचल प्रदेश भाजपा का एक बड़ा हिस्सा लंबे समय से अपने को दरकिनार महसूस कर रहा है और चुनाव में सक्रिय नहीं है । उधर पूर्व सांसद और कुल्लु के महाराजा महेश्वर सिंह खुले आम कह चुके हैं कि वे कंगना रनौत को समर्थन नहीं देंगे केवल नरेंद्र मोदी का समर्थन करते हैं ।
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