Rising North East Investors Summit 2025: पूर्वोत्तर भारत में निवेश करना सोने की खदान , सौ फीसदी एफडीआई का स्वागत – नेफ्यू रियो

Rising North East Investors Summit 2025: राइजिंग नार्थ ईस्ट इनवेस्टर्स समिट -2025 पूर्वोत्तर भारत की हथकरघा और दस्तकारी परंपरा की है समृद्ध और प्राचीन विरासत

Rising North East Investors Summit 2025

पूर्वोत्तर भारत के आठों राज्य की हथकरघा परंपरा केवल एक वस्त्र नहीं है बल्कि ये वहां की विभिन्न जनजातियों की जीवन शैली , संस्कृति और परंपरा का सुंदर अभिव्यक्ति है । हर जनजाति के अपने विशेष डिजाईन हैं जो उनकी पहचान है। ये केवल हथकरघे पर बुना गया एक वस्त्र नहीं होता बल्कि ताने बाने से कहानी कहने की एक कला है जो पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति की रंग बिरंगे धागों के बुनी जीवंत अभिव्यक्ति है। नागा, मिजो ,खासी , भूटिया , बोडो आदि जनजातियों के वस्त्रों के डिजाइन उनकी अपनी पहचान है । अब पूर्वोत्तर भारत से निकल कर ये देश विदेश में अपनी पहचान बना रहे हैं। इनकी ग्लोबल बाजार में मांग बढ़ रही है।

दिल्ली के भारत मंडपम में राइज़िंग नार्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट -2025 में परंपरा के धागे विषय पर एक विशेष सत्र रखा गया जिसमें इस पूरे क्षेत्र की हथकरघा और दस्तकारी के स्वर्णिम इतिहास और समृद्ध परंपरा को बचाए रखते हुए आधुनिकता और 21 वीं सदी के साथ कदम ताल करवाने, बाजार उपलब्ध करवाने , बुनकरों को हर प्रकार की सुविधाएं देने पर विस्तार से चर्चा हुई । समस्याएं क्या है और इनका निदान क्या होना चाहिए इस पर भी खुल कर बात हुई । इसमें मुख्य वक्ता केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ,नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो , मिजोरम के मुख्य सचिव खिली राम मीणा , पूर्वोत्तर हथकरघा और हस्तशिल्प की निदेशक और पूर्वोत्तर के कुछ हथकरघा उद्यमियों ने हिस्सा लिया। और कुछ निवेशक और हितधारकों ने चर्चा को गंभीरता से सुना।

नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा पूर्वोत्तर भारत में बुनकरी केवल कपड़ा बनाना नहीं है ये पूर्वोत्तर भारत के समुदायों के दिल की धड़कन है ष उनकी परंपरा का गौरव है संस्कृति है । यहां 209 जनजातियां हैं और 192 भाषाएं हैं। जहां हर जनजाति का अपना डिजाईन है वहां कितनी विविधता होगी हर घर में लगा हथकरघा अपनी जनजाति की कहानी का ताना बाना बुनता है। विरासत और परंपरा को आगे बढ़ाती हैं महिलाएं 70 फीसदी बुनकर महिलाएं हैं जो कि पूर्वोत्तर भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं। पूरे भारत के 50 फीसदी से ज्यादा बुनकर पूर्वोत्तर भारत के हैं पूरे देश के सिल्क उत्पादन में पूर्वोत्तर भारत में लगभग 22.86 फीसदी का योगदान है। सबसे बड़ी बात ये हैं कि यहां के सभी उत्पाद इको फ्रेंडली हैं ।

असम का मूंगा सिल्क, मेखला , नागालैंड की शॉल , त्रिपुरा के बांस उत्पादों की मांग देश विदेश में बढ रही है । नेफ्यू रियो ने नागालैंड की जनजातियों की हथकरघा परंपरा के बारे में कहा कि उनके राज्य में परंपरा परिवर्तन के साथ मिल कर चल रही है। गुणवत्ता को विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है , परंपरा गत डिजाइनों का मानकीकरण किया जा रहा है हर प्राचीन डिज़ाइन की प्रमाणिकता का संरक्षण किया जा रहा है ताकि हर डिजाइन में नागालैंड की संस्कृति की झलक दिखाई दे। रियो ने कहा उनका पूरा ध्यान इस समय राजस्व बढ़ाने पर है महिलाओं बुनकरों को प्रोत्साहन दे रहे हैं।उनकी मासिक आय इस समय केवल 5000 रूपया प्रतिमाह है आय बढ़ाना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर् नागालैंड के डिजाइनों का डॉक्यूमेंटेशन किया जा रहा है दस जिलों में काम पूरा हो चुका है बाकी में अभी चल रहा है जून तक ये काम पूरा हो जाएगा। नागालैंड की विरासत आधुनिक डिजाईनों के साथ भी चलेगी जो कि विश्व स्तरीय बन जाएगी। उन्होंने कहा सरकार की ओर से बुनकरों के लिए जो योजनाएं हैं 60 फीसदी को पता ही नहीं है इसलिए उन तक योजनाएं पहुंचाना भी ज़रूरी है । हथकरघा कृषि और कृषि उत्पादों के बाद पूर्वोत्तर भारत का बड़ा सेक्टर है । नेफियू रियो ने इस सेक्टर की कुछ समस्याएं भी गिनवायीं जैसे कि बैंबू यार्न लोगों की पहुंच से अभी बाहर है । आय कम होने के कारण बुनकरों की अपने काम में रुचि कम हो रही है, जियोग्राफिकल टैग की ओवरलैपिंग हो रही है । निगरानी कमजोर है जिससे उनका कार्यकुशलता कम हो जाती है यदि सरकार अच्छे से निगरानी करे तो कार्यकुशलता बढ़ सकती है। रियो ने कुछ सुझाव भी दिए जैसे कि बुनकरों के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए, जीएसटी सही और संतुलित तरीके से लगायी जाए। बुनकरों के गांवों में कच्चा माल पर्याप्त मा6 में उपलब्ध हो, हर पांच साल में डाटा एकत्र किया जाए। डिजाइनों की प्रमाणिकता और परंपरागत विरासत संजोए रखने के लिए गुणवत्ता निगरानी बढ़ाई जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर के डिजाइन पंरपरा और आधुनिकता के बीच पुल का काम करते हैं । उन्होने निवेशकों को भरोसा दिलाया कि पूर्वोत्तर भारत में निवेश करना सोने की खदान में निवेश करने के बराबर है। टेक्सटाइल में तो 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया जा सकता है इस सेक्टर ने 35 लाख लोगों को रोजगार दे रखा है।यदि यहां विदेशी निवेश होता है तो पूर्वोत्तर भारत के कपडे और डिजाइन ग्लोबल ब्रांड बन जायेंगे।

केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत के इतिहास में इस तरह का निवेशक शिखर सम्मेलन करना पहला बड़ा प्रयास है। हथकरघा और हस्तशिल्प पूर्वोत्तर भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा हैं । यहां घर घर में हथकरघा लगा है हर व्यक्ति दस्तकारी में दक्ष है । यहां ज्योग्राफिकल टैगिंग बहुत ज्यादा है कुल मिला कर इस क्षेत्र के उत्पादों को 45 जीआई टैग मिले हैं । असम में सबसे ज्यादा 21 , अरुणाचल में 11, मणिपुर में 3 , मिजोरम पांच , त्रिपुरा दो , नागालैंड 1 , मेघालय दो। वस्त्र मंत्रालय अब इन 45 उत्पादों को मार्किट करने पर काम कर रहा है । स्थानीय डिजाईन को इंटरनेशनल डिजाइनों के साथ मिला कर भी काम किया जा रहा है।

मिजोरम के मुख्य सचिव खिली राम मीणा ने कहा हथकरघा यहां के लोगों के जीवन का हिस्सा है इनकी रोजी रोटी का साधन है। लगभग 28000 लोग हथकरघा से अपनी रोजी रोटी चलाते हैं मिजोरम सरकार ने इनके विकास और कल्याण के लिए बहुत से कदम उठाए हैं। हथकरघा में मिजोरम के पास 5 जियो टैग हैं और मिजोरम ने प्यूजन डिजाईन भी बनाए हैं। मीणा ने बताया कि मिजोरम सरकार ने हथकरघा के 17 क्लस्टर बनाए हैं ।मिजोरम का हथकरघा देश विदेश में कैसे जाए. कमर्शियल मार्केटिंग कैसे की जाए इस पर काम हो रहा है फर्नीचर और पॉटरी में भी काम किया जा रहा है । मुख्य सचिव ने बताया कि मिजोरम सरकार निवेशकों के लिए बहुत सी योजनाएं ला रही है । देश विदेश के निवेशकों के लिए सब्सिडी और अनुदान दे रही है। अनेक बड़े औद्योगिक घराने हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र में बहुत मदद कर रहे हैं।

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Reported By Mamta Chaturvedi