Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार पर लगाई फटकार, क्या किसी ‘मुहूर्त’ का इंतजार है.

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी घोषित किये जा चुके लोगों को उनके देश भेजे जाने के बजाए डिटेंशन सेंटर्स में रखें जाने पर असम सरकार को फटकार लगाई है। और कहा-‘‘क्या आप किसी मुहुर्त का इंतजार कर रहे हैं.’’

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अवैध तरीके से भारत में घुसने और रहने के आरोप में गिरफ्तार होने वाले बांग्लादेशियों को वापस भेजने में सरकार के ढीले रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने पूछा है कि इस तरह के जो लोग पकड़े जाते हैं, उन्हें उनकी कानूनी सजा पूरी होने के बाद भेजने में देरी क्यों की जा रही है?राज्य सरकार के रवैये से असंतुष्ट सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या आप उन्हें विदेश भेजे जाने के लिए किसी शुभ मुहूर्त का इंतज़ार कर रहे है।कोर्ट ने असम के डिटेंशन सेंटर्स में रखे गए 63 लोगों को उनके देश भेजे जाने की प्रकिया को दो हफ्ते में शुरू करने को कहा है। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस बारे में अमल को लेकर हलफनामा दायर करने को कहा है।

कोर्ट के असम सरकार से तीखे सवाल

जस्टिस ए एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए जुड़े असम के चीफ सेकेट्री से कहा कि आपका कहना है कि चूंकि डिटेंशन सेंटर्स में मौजूद ऐसे विदेशी लोगों के सही पते का नहीं पता चल पाया है, इसलिए उन्हें उनके देश वापस नहीं भेजा गया है। यह दलील ठीक नहीं है। उनका सही पता न चल पाना आपकी चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। एक बार विदेशी तय होने के बाद उन्हें तुंरत उनके देश भेजा जाना चाहिए। यह उनके देश को तय करना है कि वो कहाँ जाएंगे!

असम सरकार के वकील की दलील

असम के वकील ने जवाब दिया, पते के बिना, हम उन्हें कहां निर्वासित करें? कोर्ट ने कहा कि असम सरकार के हलफनामे में सही स्थिति को छुपाया गया है. एक हफ्ते में दूसरी बार असम सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने अवैध रूप से रहे विदेशियों को अनिश्चित काल तक हिरासत केंद्रों में रखने और निर्वासित न करने पर असम सरकार को नसीहत दी. अनुच्छेद 21 के तहत जीने का मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशियों तक भी है. उन्हें उनके देश वापस भेजने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए.

लोगों की पहचान के लिए कमेटी

सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से हिरासत केंद्रों का दौरा करने और उन लोगों की पहचान करने के लिए कमेटी बनाने को कहा जिन्हें तत्काल निर्वासित किया जा सकें. कमेटी पखवाड़े में एक बार ट्रांजिट शिविरों/हिरासत केंद्रों का दौरा करे और यह सुनिश्चित करेग कि वहां उचित सुविधाएं उपलब्ध हो सकता है. राज्य से 4 सप्ताह में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा कि वह बताए कि घोषित विदेशियों, जिनकी राष्ट्रीयता ज्ञात नहीं है, के मामलों से कैसे निपटा जाएगा.

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