पूर्वांचल साधने की जुगत में सभी सियासी दल, काशी से तय होगा लखनऊ का सफर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में चार चरण की वोटिंग हो चुकी है। इसके बाद आप सभी सियासी दलों का फोकस पूरी तरीके से पूर्वांचल पर है ।सियासी समीकरण साधने के लिए हर बड़ा नेता उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है।

पांचवें छठे और सातवें चरण में पूर्वांचल की बची हुई विधानसभा सीटों पर सियासी दल पूरी ताकत झोंकने में जुटे हुए हैं। पूर्वांचल में कमल खिलाने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल अभियान में जुटे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी शुरुआत अपनी संसदीय सहित बनारस से करेंगे ।।

वहीं दूसरी और पूर्वांचल में कांग्रेस की जीत के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तीन दिवसीय दौरे पर वाराणसी आने वाली है।

प्रधानमंत्री के बनारस दौरे से 2 दिन पहले देश के गृह मंत्री अमित शाह दो दिवसीय काशी दौरे पर रहेंगे और काशी क्षेत्र के सभी बड़े पदाधिकारियों के साथ बैठक कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की तैयारियों का जायजा लेंगे।

27 फरवरी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काशी दौरा शुरू हो रहा है। बनारस में प्रधानमंत्री कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देंगे ।इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल पता करने के लिए बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं को भी संबोधित करेंगे ।सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 मार्च से लेकर 5 मार्च तक वाराणसी में रह सकते हैं।

भाजपा के साथ-साथ विपक्षी दलों की भी नजर काशी पर है ।कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक 3 मार्च से प्रियंका गांधी बनारस के दौरे पर रहेंगे। प्रियंका गांधी वाड्रा यहां 3 दिनों तक डेरा डालकर वोट तलाशने की जुगत में जुटेगी। प्रियंका गांधी काशी में प्रवास करेंगे और यहीं से पूर्वांचल में जीत को पुख्ता करने का प्रयास करेंगे।

इसके अलावा समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ 3 मार्च को वाराणसी में जनसभा करने वाले हैं। अखिलेश यादव काशी से पूर्वांचल पता करने का मार्ग प्रशस्त करने का प्रयास करेंगे।

2014 से पहले उत्तर प्रदेश अमेठी रायबरेली केंद्र हुआ करता था लेकिन 2014 के बाद काशी पूर्वांचल का सियासी केंद्र बन चुका है। और अब काशी से संदेश पूरे देश को जाता है। यही वजह है कि बनारस के खेमे बंदी कर सभी राजनीतिक दल काशी समेत आसपास के चीजों को साधना चाहते हैं, क्योंकि सियासत में यह कहा जाता है कि बनारस को जीतने वाला पूर्वांचल को जीता है और जिसने पूर्वांचल जीता उसे लखनऊ की गद्दी मिलती है इसलिए आप सभी सियासी दल पश्चिम के बाद पूर्वांचल को जीतने की जुगत में लग गए।

ऐसा कहा जाता है कि पूर्वांचल से ही लखनऊ का सफर तय किया जा सकता है पूर्वांचल में करीब डेढ़ सौ विधानसभा सीटें हैं जिसमें काशी क्षेत्र में 71 विधानसभा सीट आती है 7 मार्च को सातवें और अंतिम चरण में काशी के आसपास के 9 जिलों और 54 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है

अगर बनारस यानी कि काशी को की बात करें तो काफी कुछ सवाल और पिछड़ी जातियों का गढ़ माना जाता है 2017 चुनाव में भाजपा को पूर्वांचल में सबसे ज्यादा सीटें हासिल हुई थी जिसमें से काशी क्षेत्र की 71 सीटों में से 65 भाजपा और सहयोगी दलों ने जीती थी पूर्वांचल जितने के बाद भाजपा ने 2017 में यूपी में सरकार बनाई वहीं 2012 में पूर्वांचल में 100 सीटें जीतकर समाजवादी पार्टी ने सरकार बनाई थी सियासत के रण में पिछड़ी जाति के दिग्गज नेताओं का असल परीक्षा इस बार पूर्वांचल में होना है सभा 2017 चुनाव में भाजपा के साथ थी जबकि इस बार अखिलेश यादव के साथ है ।

ऐसे में अगर ओमप्रकाश राजभर की बात करें, तो इस बार साइकिल का बेड़ा पार लगाने की बड़ी जिम्मेदारी है …. हालांकि 10 मार्च के नतीजे बताएंगे कि आखिरकार पूर्वांचल के लोगों ने इस बार किस पर भरोसा जताया है।

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