UP News: इतिहास केवल अध्ययन का विषय नहीं होता है वह एक प्रेरणा होती है गलतियों की परिमार्जन का और गौरवशाली छड़ो से प्रेरणा ग्रहण करने का एक संकल्प होता है।और विभाजन की त्रासदी हम सबको इन्हीं बातों की तरफ ध्यान आकर्षित करती है।
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आखिर क्या कारण था कि दुनिया का एक सनातन राष्ट्र हजारों हजार वर्ष से एक भारत रहा हो वह भारत पहले गुलाम हुआ विदेशिया विक्रांताओं के द्वारा यहां की परंपरा और संस्कृति को रौंदा गया तोड़ा गया अपवित्र किया गया इस देश को गुलाम बनाया गया और जब भारत ने अंगड़ाई ली थी आजादी की लड़ाई को लेकर के देश के महान क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने जिस लड़ाई को लड़के देश को स्वतंत्र करने की दिशा में विदेशी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ जो लड़ाई लड़ी गई थी जब उसकी पूर्णता का समय आया तो विभाजन की त्रासदी का सामना इस सनातन राष्ट्र को करना पड़ा।
विभाजन के त्रासदी के लिए तत्कालीन कांग्रेस का नेतृत्व जिम्मेदार रहा है और कांग्रेस इसके लिए देश से कभी जनता से माफी नहीं मांगेगा क्योंकि कांग्रेस का कभी ऐसा चरित्र नहीं रहा और देश के अंदर जब भी उसे मौका मिला उसने लोकतंत्र के गले को घुटने का प्रयास किया है 1975 इसका उदाहरण है जब भी कहीं पर नागरिकों ने अपने अधिकारों की बात की उसने आपस में लड़ने का काम किया उसने देश के अंदर विवाद क्षेत्रीय विवाद देश के अंदर हिंदू और सिखों को लड़ाने का पाप किया है और इन पापों की कभी माफी नहीं दी जा सकती है इसलिए हमें इस प्रकार के लोगों से सावधान रहते हुए हम लोगों के जीवन का एक संकल्प होना चाहिए
जो कार्य इतिहास के किसी युग में नहीं हुआ वह दुर्भाग्य से सत्ता को लुप्त कांग्रेस की सत्ता के प्रति लोलुप्तता ने इस त्रासदी का दुख हम लोगों को दे दिया।
कौन नहीं जानता है कि अगर तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व दृढ़ता का परिचय देता दुनिया की कोई ताकत इस प्राकृतिक विभाजन को मूर्त रूप नहीं दे पाती लेकिन दृढ़ इच्छा शक्ति का अभाव था सट्टा का लालच था किसी भी तरह से सत्ता प्राप्त होनी चाहिएइसके लिए देश को ही क्यों ना दाव पर लगाना पड़े और यही हुआ यही 1947 में भी हुआ और उसके बाद भी लगातार यही हो रहा है जब भी इन लोगों के हाथों में 27 इन लोगों ने देश की कीमत पर राजनीति की और उसकी कीमत इस देश को और इस देश की भोली वाली जनता को तब भी चुकानी पड़ी थी और अभी चुकानी पड़ रही है
इस विभाजन की त्रासदी हम सबको उन्हें गलतियों की तरफ ध्यान आकर्षित करती है भारत बल बुद्धि विद्या सब में दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की क्षमता रखता है 16 वि में सदी तक भारत का वैभव दुनिया में अग्रणी था.. इतना समृद्ध भारत था और वह भी तब था जब कई सौ वर्षो तक विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण को झेल रहा था।
14 अगस्त को जब विभाजन की त्रासदी हो रही थी और 15 अगस्त को जब देश के अंदर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा भारत के तिरंगे को फरा करके कांग्रेस के नेताओं के द्वारा देश के अंदर आजादी के जश्न को मनाने का काम किया जा रहा था तब लाखों लोग अपने मातृभूमि को छोड़ने के लिए अपने परिवारों को छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे थे किस प्रकार की यातनाएं उन पर पड़ रही थी किस प्रकार का दृश्य था किस प्रकार का मानवीय अत्याचार हो रहा था या किसी से भी छुपा हुआ नहीं है यह चित्र बहुत कुछ बोल रहे हैं
यानी की दुनिया का सबसे समृद्ध देश 1947 तक आते-आते एक दलिद्र देश में बदल गया था बट थिस भी आपने देखा है।
हमारी कुछ कमजोरी ने आक्रांताओं को देश के अंदर आक्रमण करने का मौका दिया और जो गलतियां इतिहास के उसे कल अध्यायों में हम सबके सामने कैद है क्या वही गलतियां चुनाव के समय राजनीतिक दलों के द्वारा इस प्रकार की गलतियां नहीं की जाती है जो जाति के नाम पर विभाजन की त्रासदी तक पहुंचाने की कथा वही है जो पहले जातीयता के नाम पर होता था जातिवाद के नाम पर होता था आज वही काम वही करना में राजनीतिक दलों के स्तर पर जातीयता का नग तांडव करके फिर से किया जा रहा है
जिसका परिणाम क्या है परिणाम आप सबके सामने फिर वही है तिथि बदली है लेकिन चेहरे बदले होंगे लेकिन घटनाओं का स्वरूप इस प्रकार का है जो 1947 में हुआ था वही तो पाकिस्तान में आज भी हो रहा है।
वही तो पूर्वी पाकिस्तान कहे जाने वाला आज के बांग्लादेश में वही तो हो रहा है उसे समय 10 लाख हिंदू एक साथ काटे गए थे हिंदू सिख सब एक साथ काटे गए थे और आज भी वही आगजनी वही तोड़फोड़ वही लूटपाट बहन और बेटियों के साथ हुई अत्याचार इस प्रकार के त्रासदी का दृश्य आज भी हम सबके सामने हैं और इन सब के बावजूद इस प्रकार के कार्यक्रमों को केवल एक औपचारिकता बनकर के हम लोग केवल अपनी बात करने तक सीमित हो जाते हैं आखिर कब इतिहास की गलतियों से हम सबक सीखेंगे और आज मैं आप सब से यही कहने के लिए आया हूं कि हम प्रधानमंत्री मोदी के आभारी हैं जिन्होंने इतिहास के इस कल अध्यायों से पर्दा हटाने का काम किया है।
डेढ़ करोड़ हिंदू कैसे आज बांग्लादेश के अंदर चिल्ला चिल्ला के अपनी जान बचाने की गुहार लगा रहे हैं लेकिन दुनिया का मुंह बंद है देश के सेक्युलरिस्ट का मुंह बंद है क्योंकि यह कमजोर है इनको लगता है कि इनका वोट बैंक खिसक जाएगा वोट बैंक की चिंता है लेकिन मानवी संवेदना इनकी मर चुकी है मानवता की रक्षा के लिए उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकलने वाला है क्योंकि इन्होंने आजादी के बाद उसी प्रकार के राजनीति को प्रेरित और प्रोत्साहित किया है उसको लेकर के आगे बढ़ते रहे हैं यह लगातार बातों और राज करो कि राजनीति के तहत देश के अंदर कार्य करते रहे हैं
अंग्रेजों से सट्टा उसे समय इन लोगों ने प्राप्त किया वास्तव में भारत की सट्टा का नेतृत्व नहीं कर रहे थे बल्कि अंग्रेजों के मानस पुत्रों के रूप में भारत की सट्टा का संचालन शुरू किया और आज उसी का दश परिणाम या देश लगातार चुकाया है अखंड हिंदुस्तान चुकाया है लेकिन हमारा संकल्प है कि महर्षि अरविंद ने जो 1947 से पहले घोषणा की थी देश के विभाजन की त्रासदी आजादी मिलने के बाद अक्सर उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त की और उन्होंने कहा था कि आध्यात्मिक जगत में पाकिस्तान की कोई वास्तविकता नहीं है या तो उसका भारत में विलय होगा या दुनिया से हमेशा के लिए समाप्त होगा
क्योंकि जब आध्यात्मिक जगत में किसी का वास्तविक स्वरूप नहीं है तो उसको नष्ट ही होना है उसकी नस्वार्ता को हमें संदेह की निगाह से नहीं देखना चाहिए हमें यह मानना चाहिए कि यह होगा लेकिन इसके लिए हमें भी तैयार होना होगा हमें भी अपने आप को तैयार करना होगा हमें अपने उन गलतियों का परिमार्जन करना होगा जिन गलतियों के कारण विदेशी आक्रांताओं को भारत के अंदर घुसने और भारत के पवित्र तीर्थ स्थलों को तोड़ने और भारत की अखंडता और संस्कृति को नष्ट करने का अवसर देने प्राप्त हुआ था उसे प्रकार की गलतियों को और विभाजन की त्रासदी को जो पहुंचाया गया है वह जाति विभाजन के रूप में क्षेत्रीय विभाजन के रूप में और भासीय विभाजन के रूप में है उन सभी से उबर कर हम लोगों को राष्ट्र प्रथम के तर्ज पर काम करना होगा।
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