क्या है 256 नियम जिसके तहत राज्यसभा के 12 सांसद किए गए निलंबित

राज्यसभा में 5 सियासी दलों के तकरीबन 12 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र तक के लिए निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई नियम 256 के तहत राज्य सभा के सभापति ने की है। निलंबन की वजह मौजूदा सत्र में हंगामा नहीं,बल्कि इन सदस्यों पर आरोप है कि पिछले मॉनसून सत्र के दौरान हंगामा और जनता करने की कोशिश की।

राज्यसभा ने एक निलंबन कार्रवाई में राज्यसभा के 12 सांसदों को पूरे सत्र तक के लिए निलंबित कर दिया है इसमें कांग्रेस सीपीआई सीपीएम तृणमूल के साथ शिवसेना के राज्यसभा सांसद शामिल है हालांकि यह पहला मौका नहीं है कि जब सदन में हंगामे के कारण इस तरह की कार्रवाई की गई हो लेकिन शायद यह पहली मर्तबा हुआ होगा कि पिछले सत्र के हंगामे के चलते अगले सत्र में सांसदों पर कार्रवाई हुई है

क्या आप जानते हैं कि नियम 256 क्या होता है

अगर राज्यसभा सभापति को लगता है कि किसी सदस्य को व्यवहार घोर अव्यवस्था पूर्ण है तो वह उसे राज्यसभा से चले जाने का निर्देश दे सकते है कि नियम के तहत निलंबन केवल उसी दिन तक के लिए लागू रहेगा उसमें उस सदस्य को सदन से बाहर रहना होगा।

निलंबन क्या वापस भी हो सकता है

इसका जवाब है हां लेकिन यह भी राज्यसभा के सभापति की मर्जी पर ही हो सकता है निलंबित सदस्यों की माफी मांगने पर भी इसे वापस लिया जा सकता है वैसे सस्पेंशन के खिलाफ प्रस्ताव भी सदन में लाया जा सकता है अगर यह पास हो गया तो निलंबन खुद ब खुद हट जाता है

अब आपको बताते हैं कि लोकसभा में निलंबन किस नियम के तहत होता है

लोकसभा में नियम 373 और 374 के जरिए स्पीकर यह अधिकार हासिल होता है कि लोकसभा के नियम नंबर 373 के मुताबिक अगर लोकसभा स्पीकर को ऐसा लगता है कि कोई सांसद लगातार संसद की कार्रवाई बाधित करने का प्रयास कर रहा है तो वह उस दिन के लिए सदन से बाहर कर सकते हैं या फिर बाकी बचे हुए पूरे स्टेशन के लिए भी निलंबित किया जा सकता है

नियम 374 क्या है

अगर स्पीकर को लगता है कि कोई सदस्य बार-बार सदन की कार्यवाही में रुकावट डाल रहा है तो उसे बाकी बचे स्टेशन के लिए भी निलंबित कर सकता है

अब आपको सांसदों के निलंबन के कुछ मामले बताते हैं

इससे पहले जनवरी 2019 में स्पीकर सुमित्रा महाजन ने पीडीपी और एआईएडीएमके के कुल 45 सांसदों को सस्पेंड कर दिया था।

फरवरी 2014 में संसद में तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा देने या ना देने को लेकर बहस चल रही थी इसी बीच बवाल करने वाले अट्ठारह सांसदों को स्पीकर मीरा कुमार ने सस्पेंड कर दिया था

मार्च 1989 यह उस वक्त की बात है जब देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे अनुशासनहीनता के मामले में 63 सांसदों को 3 दिन तक के लिए लोकसभा से सस्पेंड कर दिया गया था।