नई दिल्ली।
मैं कितनी बार और मरूँ ?
जब तूने छोड़ दिया था,
तब ही मैंने साँसों से नाता तोड़ लिया था।
दिखता नही तुझे ये तो,मैं क्या करूँ ?
बता दो दुनियाँ वालों मैं कितने बार और मरूँ ?
क्या आपको पता है कितनी बढ़ रही है महंगाई,
बहुत से लोग कैंसिल कर दे रहे है अपनी सगाई.
जनता की आंखों में आंखे डालकर
करीब से पूछो,
महंगाई कैसे जान लेती है
किसी गरीब से पूछो.
सरकारें सिर्फ कागजों पर करती है कमाल,
महंगाई ने जीवन को कर डाला है बदहाल.
चुनाव में तो वादा करते हैं कि आय बढ़ाएंगे,
और चुनाव के बाद महंगाई बढ़ा देते है……..
साल 2010 में आई फ़िल्म पिपली लाइव का यह गाना एक बार फिर लोगों के जुबान पर है। जब यह फ़िल्म और गाना रिलीज़ हुआ, तब केंद्र में सरकार थी कांग्रेस (UPA) की और विपक्ष में थी भाजपा (BJP)। इस गाने के बोल का विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए जमकर इस्तेमाल किया।
जनसाधारण के बीच “महंगाई” एक बड़ा चुनावी-मुद्दा बन गया। गैस सिलेंडर, पेट्रोल, डीजल और रोजमर्रा की जरूरतों वाली चीजों के दाम को लेकर भाजपा केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस-सरकार (UPA) को घेरने के लिए सड़कों पर थी।
2014 का लोकसभा चुनाव आने लगा और जनता के बीच यह बात स्थापित हो गई कि महँगाई और तेल व गैस की बढ़ती क़ीमतें एक बड़ा मुद्दा है। भाजपा ने नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने के बाद महंगाई जैसे मुद्दों से जुड़े कई नारे भी दिए। जैसे- “बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार….” या “पेट्रोल हुआ 70 (₹) के पार, अबकी बार मोदी सरकार…”
देश की जनता को इन नारों में भरोसा दिखा.. भरोसा ब्रांड मोदी का..भरोसा गुजरात मॉडल का… और 2014 के चुनाव परिणामों में मोदी लहर का ऐसा जादू चला कि फिर भाजपा सम्पूर्ण बहुमत से सरकार में आई और कांग्रेस (UPA) को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा।
अब दौर बदल गया था…सरकार बदल गयी थी….राजनीतिक धुरंधरों की पारी बदल गयी थी। जो तब सत्ता में थे …अब विपक्ष में आ गए और जो तब विपक्ष में थे, अब सत्ता उनके हाँथो में थी। जो चीज नहीं बदली, वह हैं- महंगाई, बेरोजगारी, गैस, पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें आदि। ये सभी मुद्दे ज्यों का त्यों अपनी जगह तब भी थे, आज भी हैं।
जिस भाजपा (BJP) को महँगाई तब डायन लगती थी, आज उस मुद्दे पर सरकार का कोई नुमाइंदा बात करना नहीं चाहता है। अगर किसी ने मुँह खोला भी तो आज की महंगाई और बेतहाशा बढ़ती कीमतों का ठीकरा 2014 के पहले की सरकारों के माथे ही फोड़ने की कोशिश होती है।
बढ़ती महंगाई के कारण आज आम जनता-खासकर निचले और मध्यम वर्गीय लोग का पूरा बजट हिल सा गया है। रसोई गैस, पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधनों की कीमतों में इज़ाफ़ा होने के कारण हर जरूरत और रोजमर्रा की चीज महंगी हो गयी है। गर्मी का मौसम अभी बस शुरू हुआ है और फलों और सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं।
जब विपक्ष में होते है तो महंगाई पर बड़ा सवाल उठाते हैं,
जब सत्ता में आते है, तो उसका जिम्मेदार विपक्ष को बताते हैं.
रिपोर्ट- धर्मेन्द्र सिंह