शाहजहांपुर, यूपी। शाहजहांपुर में 19 साल पहले हुई 3 बच्चों की सामूहिक हत्या के मामले में 2 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है। 2002 में हुई तीन बच्चियों की हत्या के मामले में विवेचना अधिकारी के खिलाफ भी एनबीडब्ल्यू वारंट जारी किया गया है। विवेचना अधिकारी को बेटियों की हत्या के मामले में पिता को ही झूठा जेल भेजने का दोषी पाया गया है। बेटियों का पिता विवेचना अधिकारी को भी फांसी की सज़ा चाहता है।
शाहजहांपुर में अपर सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ बाघव ने 16 अक्टूबर 2002 को निगोही थाना क्षेत्र के जेवा मकरंदपुर में हुई तीन बच्चों की हत्या के मामले में 2 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है। दरसअल 16 अक्टूबर 2002 को अवधेश कुमार की तीन बेटियां सुरभि 6 साल निशा 7 साल और रोहिणी 9 साल की गांव के ही छुटकुन्नू, नरेश और राजेंद्र ने घर में घुसकर ताबड़तोड़ गोलियां चला कर सो रही तीनों बच्चियों की हत्या कर दी थी। पुरानी रंजिश के चलते आरोपी बच्चों के पिता अवधेश कुमार को मारने के लिए आए थे। घटना के बाद जांच कर रहे विवेचना अधिकारी होशियार सिंह ने आरोपियों के साथ मिलकर बेटियों के पिता अवधेश कुमार को ही बच्चों की हत्या के आरोप में झूठा जेल भेज दिया था। 2 महीने जेल में रहने के बाद असली हत्यारों के नाम सामने आए। 19 साल चले कोर्ट में ट्रायल के बाद कल शाम को नरेश और राजेंद्र को फांसी की सजा सुनाई गई जबकि तीसरे आरोपी की मौत हो चुकी है। इसके अलावा कोर्ट ने जांच अधिकारी होशियार सिंह को पिता को फर्जी जेल भेजने के आरोप में दोषी पाया गया है। कोर्ट ने विवेचना अधिकारी होशियार सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।
बच्चों के पिता ने कोर्ट पर भरोसा जताया है। पिता का कहना है कि कोर्ट के बदौलत ही उन्हें न्याय मिल पाया। पिता का यह भी कहना है कि उसे 2 महीने अपनी बेटियों के हत्या के झूठे आरोप में जेल भेजने वाले विवेचना अधिकारी को भी फांसी की सजा होनी चाहिए, तभी उसको सुकून मिलेगा।