2017 के विधानसभा चुनाव में 312 सीटें जीतने वाली बीजेपी को 2022 के विधानसभा चुनाव में भी 280 सीटें जीत सकती है. लगातार सपा, बसपा और कांग्रेस बीजेपी पर निशाना साधने में लगी है. तो वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पीएम मोदी के साथ मिलकर जनता को अपने विकास के काम गिनाने में लगे हैं. हालांकि किसकी सरकार बनेगी ये फैसला चुनावों के बाद ही हो सकेगा. लेकिन सामाजिक समीकरण और विकास के काम पर आम लोगों में एक जनमत तैयार हो चुका है जो सिर्फ बीजेपी को हीं सत्ता में देखना चाहता है। यादव और मुस्लिम के अलावा अन्य पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों का वोट बैंक बीजेपी के साथ जुड़ते जा रहा है।
पिछले कुछ दिनों से मजबूत होती दिख रही समाजवादी पार्टी का जनाधार फिर घटने लगा है। कुछ दिन पहले ऐसा लग रहा था कि यूपी में आम आदमी पार्टी भी अखिलेश के साथ आ सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मायावती अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस भी अकेले हीं चुनाव मैदान में है। पूर्वांचल में अखिलेश यादव को सिर्फ ओमप्रकाश राजभर का साथ मिला है जो कि 6 से 8 सीटों को प्रभावित कर सकते हैं। यादव और मुस्लिम के अलावा अन्य पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों का वोट बैंक हीं ये तय करेगा कि विजय का ताज किसके सर पर होगा । अन्य पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों का विश्वास जीतने में समाजवादी पार्टी पूरी तरह नाकाम रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि समाजवादी पार्टी की सरकार बनते हीं यादव और मुस्लिम वर्ग के अत्याचार का शिकार यही अन्य पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियां होती हैं। और इनके पास बीजेपी के अलावा और कोई अच्छा विकल्प नहीं दिख रहा है।
मायावती इस बार भी सोशल इंजिनियरिंग का प्रयोग कर ब्राह्मण वर्ग को ज्यादा टिकट देकर बीजेपी को कमजोर कर सकती थी,…..लेकिन ऐसा हो न सका…..अगर कुछ ब्राह्मण वर्ग का वोट बीजेपी से कट भी जाता है तो उससे कई गुना ज्यादा वोट अन्य पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों का बीजेपी के साथ जुड़ चुका है जो कि पूरे प्रदेश में फैला हुआ है। अगर हम बात पश्चिमी उत्तर प्रदेश की करें तो योगी-मोदी सरकार से किसानों की नाराजगी अब दूर हो चुकी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आधे से ज्यादा किसान पूराने दंगों को भूलना नहीं चाहते । इसलिये उनका वोट भी बीजेपी की तरफ ही झुकता हुआ दिख रहा है।
हां, सपा यूपी में दूसरे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी जरुर होने जा रही है। समाजवादी पार्टी 100 सीटों के आप पास दूसरे स्थान पर रह सकती है. 2017 के मुकाबले सपा के लिए ये एक बढ़त होगी. 2017 में उसे सिर्फ 47 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. वहीं बसपा को सिर्फ 19 सीटें मिली थीं. बहुजन समाज पार्टी 20 सीटें मिल सकती है. प्रियंका गांधी वाड्रा के प्रयास के बावजूद, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस यूपी के मतदाताओं को प्रभावित करने में सफल होती नहीं दिख रही है.
बुंदेलखंड क्षेत्र में कुल 19 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी को 15-17 सीटें मिलने का अनुमान है. सपा को 0-1 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है. बसपा को 2-5 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी को केवल 1-2 सीटें ही मिल सकती हैं. दोआब क्षेत्र में, भाजपा को कुल 71 सीटों में से 37-40 सीटों पर कब्जा करने का अनुमान है. समाजवादी पार्टी को 26-28 सीटें मिल सकती हैं, उसके बाद बसपा को 4-6 सीटें मिल सकती हैं. वहीं कांग्रेस को सिर्फ 0-2 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है.
पूर्वांचल की 92 सीटों में से 50-60 सीटें बीजेपी को मिल सकती हैं, जबकि सपा को पूर्वांचल में 25-30 सीटें मिल सकती हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, बीजेपी को 40-42 सीटों के बीच, सपा को 21-24 सीटों के बीच, बसपा को 2-3 सीटों पर जीत की संभावना है. वहीं अवध की 101 सीटों पर मुकाबला समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच है. बीजेपी को लगभग 80 सीटें, सपा-18 और बसपा को 5-7 सीटें मिलने का अनुमान है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 84 सीटें मिली थीं. दूसरी ओर, सपा को केवल छह सीटें ही मिली थीं.