Amit Shah Speech in Lok Sabha: लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने राम मंदिर पर ले गए धन्यवाद प्रस्ताव पर कहा कि मैं आज अपने मन की बात और देश की जनता की आवाज को इस सदन के सामने रखना चाहता हूं। जो वर्षों से कोर्ट के कागजों में दबी हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनने उस आवाज को अभिव्यक्ति मिली। 22 जनवरी का दिन अन्याय की लड़ाई के अंत का दिन है। 22 जनवरी का दिन ऐतिहासिक है। साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग इतिहास को नहीं पहचानते वह अपने अस्तित्व को खो देते हैं।
Amit Shah Speech in Lok Sabha
Amit Shah Speech in Lok Sabha: गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 22 जनवरी का दिन वर्षों के लिए ऐतिहासिक बन गया जो इतिहास और ऐतिहासिक फलों को नहीं समझते वह अपने अस्तित्व को खो देते हैं। 22 जनवरी का दिन करोड़ों भक्तों की आस्था आशा आकांक्षा और सिद्धि का दिन है। यह दिन समग्र भारत की आध्यात्मिक चेतना का दिन बन चुका है। इस महान दिन भारत की यात्रा की शुरुआत का दिन है यह दिन मां भारती विश्व गुरु के मार्ग पर ले जाने को प्रशस्त करने वाला है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट का निर्णय आया तो लोग अनुमान लगा रहे थे किस देश में रक्तपात हो जाएगा दंगे हो जाएंगे। मगर मैं आज इस सदन को कहना चाहता हूं कि बीजेपी की सरकार है नरेंद्र मोदी जी इस देश के प्रधानमंत्री हैं कोर्ट के निर्णय को भी जय पराजय की जगह न्यायालय के आदेश में परिवर्तित करने का काम मोदी जी के दूरदर्शी विचार ने किया।
इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने कहा 1990 में जब इस आंदोलन ने गति पकड़ी तो उससे पहल पहले ही बीजेपी का देश से वादा था हमने पालनपुर कार्यकारिणी में प्रस्ताव पारित करके कहा था कि राम मंदिर निर्माण को धर्म के साथ नहीं जोड़ना चाहिए यह देश की चेतना के पुनर्जागरण का आंदोलन है इसलिए हम राम जन्मभूमि को कानूनी रूप से मुक्त कराकर वहां पर राम मंदिर की स्थापना करेंगेय़
अनेक राजाओं संतो निहंगो अलग-अलग संगठनों और कानून विशेषज्ञों ने इस लड़ाई में योगदान दिया । मैं आज 1528 से 22 जनवरी 2024 तक इस लड़ाई में भाग लेने वाले सभी योद्धाओं को विनम्रता के साथ स्मरण करता हूं।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन से अलग होकर कोई भी इस देश के इतिहास को नहीं पढ़ सकता 1528 से हर पीढ़ी ने इस आंदोलन को किसी न किसी रूप में देखा है। यह मामला लंबे समय से अटका रहा भटका रहा। प्रधानमंत्री मोदी के समय में ही इस वक्त को सिद्ध होना था और आज देश से सिद्ध होता हुआ देख रहा। भारत की संस्कृति रामायण को अलग करके नहीं देख सकती कई भाषाओं कई राज्यों कई प्रकार के धर्म में भी रामायण का जिक्र रामायण का अनुवाद रामायण की परंपराओं को आधार बनाने का काम हुआ है।
गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी कहा कि इस देश की कल्पना राम और रामचरितमानस के बिना नहीं की जा सकती। राम का चरित्र और राम इस देश के जनमानस के प्राण है। जो राम के बिना भारत के कल्पना करते हैं वह भारत को नहीं जानते। राम प्रतीक है कि करोड़ों लोगों के लिए आदर्श जीवन कैसे जीना चाहिए इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहा जाता है।
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