Kerala High Court: कोर्ट का फैसला विवाहित महिला अपनी इच्छा पूरी कर सकती हैं, महिलाओं के अधिकारों और मातृत्व ध्यान में रख कर लिया गया है फैसला।

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Kerala High Court: वाहित महिला को सरोगेसी का अधिकार दिया है। न्यायालय ने कहा है कि सरोगेसी ऐक्ट, 2021 के अनुसार, 50 साल की आयु वाली महिलाएं भी सरोगेसी का विकल्प चुनने की पात्रता रखती हैं।

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एक महत्वपूर्ण न्यायालयी निर्णय के पक्ष में आया है। केरल उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि एक 50 वर्षीया महिला भी सरोगेसी का विकल्प अपना सकती है। हाईकोर्ट ने बताया कि सरोगेसी (रेगुलेशन) एक्ट, 2021 के अनुसार ऐसा करना संभव है। डिवीजन बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस नितिन जमदार और जस्टिस एस. मनु शामिल हैं, ने सिंगल बेंच के निर्णय को उलटते हुए 50 वर्षीय महिला को मातृत्व की इच्छा पूरी करने की अनुमति दी। न्यायालय ने कहा कि विवाहित महिला अपनी मातृत्व की इच्छा को पूरा कर सकती है। यह न्यायालय का निर्णय मातृत्व की इच्छा और महिलाओं के अधिकारों को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।

उच्च न्यायालय ने कहा है कि कानून में सरोगेसी के लिए उम्र की सीमा 23 से 50 साल के बीच निर्धारित की गई है। इसमें 50 वर्ष की आयु वाली महिलाएं भी शामिल हैं। केरल राज्य सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी और सरोगेसी बोर्ड (KSARTSB) ने प्रारंभ में एक महिला को सरोगेसी की अनुमति देने से मना कर दिया था। बोर्ड ने जानकारी दी कि नियमों के अनुसार, सरोगेसी में शामिल होने की चाह रखने वाली विवाहित महिला की उम्र प्रमाणपत्र जारी होने की तिथि पर 23 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इसके बाद, महिला और उसके पति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इससे पहले एकल बेंच ने बोर्ड के निर्णय को सही ठहराया था।

उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि सरोगेसी के लिए कानून में आयु सीमा 23 से 50 वर्ष के बीच निर्धारित की गई है। इसमें 50 साल की उम्र वाली महिलाओं को भी शामिल किया गया है। केरल राज्य सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी और सरोगेसी बोर्ड (KSARTSB) ने शुरू में एक महिला को सरोगेसी की अनुमति देने से रोक दिया था। बोर्ड ने बताया कि नियमों के अनुरूप, सरोगेसी में भाग लेने की इच्छा रखने वाली विवाहित महिला की उम्र प्रमाणपत्र जारी होने की तिथि पर 23 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इसके पश्चात, महिला और उसके पति ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की थी। इससे पूर्व एकल पीठ ने बोर्ड के निर्णय को उचित ठहराया था।

क्या कहता है कानून?

हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में उल्लेख किया कि असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (रेगुलेशन) एक्ट, 2021 (ART एक्ट) के अनुसार ART प्रक्रिया (जैसे IVF और इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन) का संचालन करने वाली महिलाओं की आयु 21 वर्ष से अधिक और 50 वर्ष से कम होनी चाहिए। अदालत ने कहा कि ART प्रक्रियाओं में मां बनने की ख्वाहिश रखने वाली महिला के लिए चिकित्सा संबंधी जोखिम होते हैं। सरोगेसी में मातृत्व की भावनात्मक आकांक्षा प्रमुख होती है। अदालत ने कहा कि सरोगेट मां और बच्चे की चाह रखने वाली महिला की उम्र का अर्थ एक समान नहीं हो सकता।

हाईकोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी

उच्च न्यायालय ने कहा कि सरोगेसी कानून का उद्देश्य अनैतिक गतिविधियों को रोकना है, न कि सही मामलों में भी लोगों को इसका लाभ उठाने से वंचित करना। न्यायालय ने बताया कि इस मामले में याचिकाकर्ता के लिए मातृत्व का अंतिम अवसर है। यह जीवन का एक अत्यंत व्यक्तिगत और महत्वपूर्ण पहलू है। किसी भी व्यक्ति को मातृत्व का यह अधिकार नहीं छीनना चाहिए। विवाहित महिला मां बनने की अपनी इच्छा पूरी कर सकती है। न्यायालय ने कहा कि जब विधायकों ने इसके लिए संभावनाएं दी हैं, तो इसे पहले ही समाप्त करने का कोई औचित्य नहीं है।

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