26 बड़े हमलों का मास्टरमाइंड निशाने पर? हिडमा की मौत की आशंका बढ़ी
हिडमा का अंत? त्रिकोणी सीमा पर सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता, छह माओवादी ढेर
छत्तीसगढ़ से इस समय की सबसे बड़ी खबर
Naxal Encounter
आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की त्रिकोणी सीमा पर स्थित आल्लूरी सीताराम राजू ज़िले के घने पुल्लगांडी जंगलों से आज बड़ी खबर सामने आई है। सुबह के समय सुरक्षा बलों को मारेडुमिल्ली और टाइगर कैंप क्षेत्र में माओवादियों की गतिविधियों का इनपुट मिला, जिसके बाद जवानों ने पूरे जंगल को घेर लिया। इसी दौरान छिपे हुए माओवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी और फिर कई घंटों तक मुठभेड़ चली। हाल के महीनों में यह सबसे ज्यादा गंभीर और रणनीतिक मुठभेड़ मानी जा रही है।


सूत्रों के अनुसार, इस कार्रवाई में छह माओवादी मारे गए हैं। सबसे महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि मरने वालों में देश का सबसे वांछित और कुख्यात माओवादी नेता मदावी हिडमा भी शामिल हो सकता है। इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन घटनास्थल से प्राप्त शुरुआती संकेतों और खुफिया सूत्रों ने इसकी संभावना को बहुत मजबूत बताया है। हिडमा का जन्म 1981 में सुकमा में हुआ था। वह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की एक बटालियन का नेतृत्व करता था और माओवादी संगठन की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। बस्तर क्षेत्र से इस समिति में शामिल होने वाला वह अकेला जनजातीय व्यक्ति माना जाता रहा है। 26 से अधिक बड़े नक्सली हमलों में उसकी सीधी भूमिका सामने आई थी।
यह मुठभेड़ उस समय हुई है, जब ठीक एक दिन पहले ही बस्तर में शांति और बदलाव की एक नई तस्वीर दिखाई दी। कल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जगदलपुर में आत्मसमर्पित नक्सलियों द्वारा चलाए जा रहे “पंडुम कैफ़े” का शुभारंभ किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर अब हिंसा से आगे बढ़कर विकास के रास्ते पर चल रहा है और लोग मुख्यधारा में शामिल होने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सोच और सुरक्षा नीति के कारण नक्सलवाद तेजी से कमजोर पड़ रहा है। राज्य सरकार ने यह लक्ष्य रखा है कि साल 2026 तक छत्तीसगढ़ को पूरी तरह नक्सल-मुक्त बनाया जाएगा।
सरकार की विकास योजनाओं ने भी बस्तर की ज़िंदगी में एक बड़ा बदलाव लाया है। सड़कें बन रही हैं, गांवों में बिजली और मोबाइल नेटवर्क पहुंच रहा है, स्कूलों की मरम्मत हो रही है, अस्पताल और स्वास्थ्य शिविर फिर शुरू किए जा रहे हैं। आजीविका मिशनों के तहत स्थानीय युवाओं को रोजगार और प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिन इलाकों में कभी माओवादी हुकूमत हुआ करती थी, वहां अब पुलिस कैंप, स्कूल और बाजार खुल रहे हैं। इसी विकास ने माओवादी नेटवर्क को कमजोर कर दिया है।
मारेडुमिल्ली और पुल्लगांडी का यह जंगल लंबे समय से माओवादियों का महत्वपूर्ण ठिकाना माना जाता रहा है। इसलिए सुरक्षा बलों की यह कार्रवाई बड़े अभियान का हिस्सा मानी जा रही है। फिलहाल इलाके में सर्चिंग और कॉम्बिंग ऑपरेशन जारी है और हर सूचना की सावधानी से पुष्टि की जा रही है।
हिडमा की मौत की खबर इस समय केवल सूत्रों के हवाले से आ रही है। अगर इसकी आधिकारिक पुष्टि हो जाती है, तो यह नक्सलवाद के खिलाफ देश की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानी जाएगी। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां पूरे ऑपरेशन का ब्योरा तैयार कर रही हैं और आधिकारिक बयान का इंतज़ार किया जा रहा है।
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