उत्तराखंड में कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के बीच तकरार टकराव कांग्रेस पार्टी के लिए सिर दर्द बनी हुई है। एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तो दूसरी ओर पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत। दोनों ही नेता एक दूसरे के खिलाफ बयान देते रहते हैं जिससे पार्टी के भीतर कलह की स्थिति बनी हुई है।
2017 में हरक सिंह रावत ने कांग्रेस पार्टी हरीश रावत की सरकार गिराने में बड़ी भूमिका निभाई साथ ही हरीश रावत का स्टिंग कराने में भी उनकी भूमिका सामने आई थी जिसके बाद हरीश रावत लगातार उनसे नाराज चल रहे हैं।
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल हो गए लेकिन हरीश रावत नहीं चाहते थे कि उनकी वापसी कांग्रेस में हो। उस वक्त कांग्रेस आळाकमान के सामने उन्हें खामोश होना पड़ा लेकिन अब उनकी नाराजगी इस बात को लेकर बढ़ गई है कि वह खुद हरिद्वार सीट से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन हरक सिंह रावत अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। ऐसे में हरीश रावत कई बार सार्वजनिक मंचों से अपील कर चुके हैं कि ऐसे जयचंदो को सबक सिखाया जाए जिन्होंने उत्तराखंड की जनता के साथ धोखा किया और चुनी हुई सरकार को गिराया।
हरक सिंह रावत भी पीछे नहीं है वह साफ कह चुके हैं कि 2017 में जो कुछ हुआ उसके लिए हरीश रावत जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि हमारे कांग्रेस से कोई नाराजगी नहीं थी सभी लोग हरीश रावत से नाराज थे उनकी नीतियों से नाराज थे वह लगातार कांग्रेस को कमजोर कर रहे थे और अपने साथियों की अनदेखी कर रहे थे इसलिए हम लोगों ने उनसे अलग होने का फैसला लिया था।
गौरतलब है कि हरीश रावत और हरक सिंह रावत दोनों ही हरिद्वार की सीट से अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं लेकिन टिकट तो किसी एक को ही मिलना है। ऐसे में दोनों नेता एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। हरीश रावत का कद कांग्रेस में बड़ा है यही वजह है कि वह अपने विरोधियों पर ज्यादा हमलावर दिख रहे हैं। हरक सिंह रावत के बारे में भी कहा जाता है कि वह मौका देखकर ही वार करते हैं।
हरक सिंह रावत के राजनीतिक सफर की बात करें तो शुरुआती दौर में बीजेपी से शुरुआत उन्होंने की फिर बसपा में गए और कांग्रेस में शामिल हो गए । साल 2017 में फिर भाजपा में गए लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में वापसी की ।
अब देखना होगा कि अगर उनको लोकसभा का टिकट नहीं मिलता तो कहां जाएंगे कांग्रेस के कुछ नेताओं की दोबारा बीजेपी में वापसी की बात कही जा रही है। हरिद्वार में भाजपा कांग्रेस और बसपा तीनों का बड़ा प्रभाव है। ऐसे में हरक सिंह रावत टिकट न मिलने की स्थिति में क्या एक बार फिर से बीजेपी में जाएंगे यह तो वक्त बताएगा हालांकि अभी कांग्रेस नेताओं में तकरार जोरों पर है और लोकसभा चुनाव से पहले अगर सबकुछ ठीक नही रहा तो कांग्रेस को उत्तराखंड में बडा नुकसान उठाना पड़ सकता है ।