रामविलास पासवान के बाद क्या दूसरे मौसम विशेषज्ञ साबित होंगे स्वामी प्रसाद मौर्य ?

स्वामी स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी को छोड़ दिया और उन्होंने यह दावा भी किया कि स्वामी प्रसाद मौर्या जिस पार्टी में रहते हैं सरकार उसी की बनती है क्या स्वामी प्रसाद मौर्य के दावो में सच्चाई है..

आपको बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव से बहुजन समाज पार्टी छोड़ कर भाजपा में आए थे इससे पहले वह बीएसपी सरकार में मंत्री भी रहे थे और फिर मायावती को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आ गए थे पिछड़ी जाति के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की भाजपा में एंट्री को सोशल इंजीनियरिंग का बड़ा नतीजा माना जाता रहा था लेकिन अब पिछड़े समाज के बड़े नेता के भाजपा छोड़ने से पार्टी को बड़ा झटका लगा है।

स्वामी प्रसाद मौर्य बीएसपी से विधायक चुने गए चार बार और पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा का दामन थाम कर पांचवी बार विधायक बने और अब उम्मीद जताई जा रही है कि स्वामी प्रसाद मौर्या समाजवादी पार्टी में शामिल हो जाएंगे।

ऐसा कहा जाता है कि जो लोग भाजपा को छोड़कर फिलहाल गए हैं उनमें सबसे ज्यादा ताकतवर स्वामी प्रसाद मौर्य पांच बार के विधायक और कभी मायावती के बेहद करीबी रहे स्वामी प्रसाद का कुशवाहा मौर्य शाक्य सैनी समुदाय पर अच्छा प्रभाव माना जाता है ।मौर्य और कुशवाहा सबसे प्रमुख पिछड़ी जातियां हैं। पूर्वांचल और अवध के जिलों में इनकी अच्छी पकड़ है। स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी की भी अपने-अपने क्षेत्रों में ओबीसी वोटर्स के बीच अच्छी पकड़ मानी जाती है। उत्तर प्रदेश की आबादी में ओबीसी समुदाय की हिस्सेदारी तकरीबन 45 फ़ीसदी के आस पास है।

अब तक 14 नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दिया है:

कुल इस्तीफे
स्वामी प्रसाद मौर्य
ब्रजेश प्रजापति
भगवती सागर
रोशन लाल वर्मा
डॉ. मुकेश वर्मा
धर्म सिंह सैनी
अवतार सिंह भड़ाना
विनय शाक्य
दारा सिंह चौहान
बाला प्रसाद अवस्‍थी
राधाकृष्ण शर्मा
राकेश राठौर
दिग्विजय नारायण जय चौबे
माधुरी वर्मा

भारतीय जनता पार्टी से जिस तरह से विधायक मंत्री नाता तोड़ रहे हैं उससे बीजेपी की चिंता जरूर बढ़ गई है सवाल यह है कि इससे भाजपा को कितना नुकसान हो सकता है?

क्या पहले फेस के मतदान से पहले पार्टी में मची भगदड़ के बाद विपक्षी दल इस तरह के नैरेटिव सेट करने में सफल हो पाएंगे कि बीजेपी यूपी में हार रही है ?

हालांकि जानकार मानते हैं कि जब मंत्री विधायक किसी दल को छोड़ते हैं तो इसका संदेश समुदाय के लोगों के लिए होता है कि हम उत्पाती समुदाय को उचित सम्मान नहीं देती नेताओं के अलग होने से उनके समर्थकों का पार्टी से भरोसा होता है …

2017 में भाजपा को मिला था ओबीसी का साथ

2017 में भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में 300 से अधिक सीटें जीतने में कामयाबी हासिल हुई थी उस समय के नतीजों को लेकर जानकार बताते हैं कि कभी अग्रो और बनियों की पार्टी कही जाने वाली भाजपा को सभी समुदायों का वोट मिला था।

2017 के चुनाव से पहले भाजपा बड़ी संख्या में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की ओबीसी नेताओं को जोड़ने में कामयाब रही थी और पार्टी को इसका फायदा भी हुआ गैर यादव ओबीसी वोटरों को लामबंद करने में भगवा दल को समर्थन पलता भी मिली थी इसका काफी हद तक स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी जैसे नेताओं को दिया गया और बाद में उनको योगी कैबिनेट में जगह भी मिली।