अमरमणि और मधुमणि त्रिपाठी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है लेकिन जेल से रिहा किए जाने पर रोक नहीं लगाई है।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हो रही है। निधि शुक्ला ने अपनी बहन और कवित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुबनी त्रिपाठी को रिहा किये जाने का विरोध किया था।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या रिलीज हो गए, वकील कामिनी जायसवाल ने कहा कि कुछ देर पहले का आर्डर है। निधि के वकील ने कहा कि दोनों 14 साल से जेल की जगह अस्पताल में है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर 8 हफ्तों में जवाब मांगा है।सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कहा अगर हम आपसे सहमत होंगे तो वापस जेल उन्हें जेल भेज देंगे।
गौरतलब है कि राज्यपाल के आदेश पर कवित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे यूपी के चर्चित नेता अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को जेल से रिहा किया जा रहा है । दोनों की सजा में यह कटौती उनकी सेहत और जेल में अच्छे व्यवहार की वजह से की जा रही है।
9 मई 2003 को लखनऊ में पेपर मिल कॉलोनी में मधुमिता शुक्ला को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बदमाशों ने उनके कमरों के अपार्टमेंट पर घुसकर उन्हें गोली मारी थी। जांच में सामने आया था कि मधुमिता के पेट में पल रहा बच्चा का बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी का था।
निधि शुक्ला बहन को इंसाफ दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई उन्होंने निष्पक्ष जांच के लिए केस को लखनऊ से दिल्ली या फिर तमिलनाडु ट्रांसफर करने की मांग की थी जिसके बाद कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए साल 2005 में इस हाई प्रोफाइल हत्याकांड केस को उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया था ।
केस की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने सितंबर 2003 में अमरमणि त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया था। इस हाई प्रोफाइल हत्या के मामले को देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। देहरादून की फास्ट्र ट्रेैक कोर्ट ने हत्या के 4 साल बाद 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि त्रिपाठी उनकी पत्नी मधुबनी त्रिपाठी भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। उसके बाद से अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी जेल में ही सजा काट रहे थे।