Asian Brand & Leadership Conclave: सूरजकुंड, हरियाणा, 6 सितंबर, 2024: वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहां कहा कि "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चौकस लीडर नहीं, चंम्पू रीडर" पैदा करती है। तकनीकि का इस्तेमाल ज़रूरी है पर मजबूरी नहीं, "कौशल बुद्धि ताक़त को कृत्रिम बुद्धि तकनीक" का बन्धन नहीं बनने देना है। तकनीकी कौशल को तार्किक काबिलियत पर हावी नहीं होना चाहिए।
Asian Brand & Leadership Conclave
आज यहां आयोजित “एशियन ब्रांड एंड लीडरशिप कॉन्क्लेव 2024” को संबोधित करते हुए श्री नकवी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में व्यापारिक घराने, सरकारी सिस्टम, मीडिया, राजनीतिक दल, फिल्म उद्योग, शैक्षणिक संस्थान, कृषि क्षेत्र अपनी मेधा-क़ाबिलियत की जगह आर्टिफिशियल कौशल की अंधी भगदड़ में भागते दिख रहे हैं।
नकवी ने कहा कि नेतृत्व “संघर्ष की भट्टी” में तप कर और समस्याओं की कसौटी में कस कर निकलता है, हमारा देश महात्मा गांधी, डॉक्टर अंबेडकर, दीनदयाल उपाध्याय, डॉक्टर लोहिया, लाल बहादुर शास्त्री, सरदार पटेल, डॉक्टर कलाम, जय प्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेई जैसे संघर्ष, संकट की कोख से पैदा हुए सैकड़ों नेतृत्व का साक्षी है जिन्होंने देश का नेतृत्व भी किया और नए नेतृत्व की पौध भी लगाई। उनकी काबिलियत का झंडा “महलों के मीनारों” से नहीं “मुसीबतों की मुंडेरों-मुहानों” से लहराया। उन्होंने कहा कि भारत “लोकतंत्र की शक्तिपीठ” और “क़ाबिलियत-कौशल कुबेरों की कर्मभूमि” है, जिसने सामंती सुरूर और गुरूर को चकनाचूर कर लोकतंत्र को देश की ताक़त और आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर बनाई।
नकवी ने कहा कि दुनिया के उथल-पुथल के बीच भारत या दुनिया के किसी लोकतंत्र के लिए स्टेबल सरकार और कैपेबिल नेतृत्व वक्त की ज़रूरत है, जो दुनिया के संकट-कंटक को पछाड़कर देश के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक सशक्तिकरण के साथ-साथ दुनिया की शान्ति, सुरक्षा के सार्थक समाधान का सारथी बन सके।
नकवी ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे चिंताजनक स्थिति तब होती है जब “नेतृत्व गाँव के चौपालों और मोहल्लों के चौराहों, आत्मविश्वास के अखाड़ों के बजाय महलों की चारदीवारी” से पैदा होने लगते हैं; सफल, स्वीकार्य लीडरशिप “सामंती निवेश से नहीं, संघर्षपूर्ण परिवेश” से पैदा होते हैं।
नकवी ने कहा कि मुझे खुशी है कि भारत सहित दुनिया के कई लोकतान्त्रिक देशों में समस्याओं और संघर्ष के बीच कई प्रभावशाली नेतृत्व उभर रहे हैं, कुछ दिन पहले “मैंने अमेरिका की एक 34 वर्षीय डेमोक्रेटिक महिला सांसद ओकेसिओ कार्टेज के बारे में पढ़ा, जिनका छोटा सा राजनीतिक सफ़र बड़ी समस्याओ, संकटों, संघर्षों की मिसाल है, छोटी सी नौकरी पेशा पिता की कैंसर से मौत, माता का जीविकोपार्जन के लिए लोगों के घरों में साफ-सफाई का काम, स्कूल लोन से पढ़ाई और जीविका के लिए वेट्रेस का काम करने वाली चुनौतीपूर्ण ज़िन्दगी वाली अमेरिकन सांसद कार्टेज संघर्ष को संकल्प और संकल्प को सफलता में बदलने की जीती जागती मिसाल हैं”।
नकवी ने कहा कि नेता समर्थकों की गिनती से नहीं नेतृत्व गढ़ने के गुण से पहचाना जाता है, दुनियाभर के लोकतंत्र का इतिहास गवाह है कि जिन देशों में नेतृत्व की नई प्रामाणिक पौध लगना बन्द हो गई, वहां के लोकतंत्र की ज़मीन बंजर होने लगी। प्रजातंत्र की जमीन उपजाऊ बनाने के लिए लोकतंत्र की जुताई, निराई, गुड़ाई वाली मेहनतकश फौज़ तैयार करनी होगी, यह काम किसी “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धि ) के टशन से नहीं बल्कि क़ाबिल नेतृत्व निर्माण के मिशन” से होगा। “लोकतंत्र की शक्तिपीठ” भारत को हमें प्रजातंत्र प्रहरियों के प्रभावी प्रकल्प का शक्ति केंद्र भी बनाना होगा।
इस अवसर पर आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र के प्रमुख लोगों की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस अवसर पर जदयू के वरिष्ठ नेता श्री के सी त्यागी, प्रसिद्द एक्टर-निर्माता श्री कबीर बेदी, ब्रिक्स सीसीआई के वाईस-चेयरमैन श्री समीप शास्त्री, भाजपा महाराष्ट्र के प्रवक्ता श्री सागर पांडे, दिल्ली भाजपा के पूर्व प्रवक्ता श्री विनीत गोयनका, दी ब्रांड स्टोरी के डॉ. अभय कौशिक एवं आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र के प्रमुख लोगों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
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