जाति जनगणना पर बीजेपी राज्यसभा सांसद बृजलाल के विचार

मुसलमानों में भी जातीय जनगणना का केंद्र सरकार के निर्णय का स्वागत है।अब तक मुसलमानों का इस्तेमाल वोट-बैंक की तरह होता रहा।केवल अगड़ी मुस्लिम जातियाँ “अशरफ़” ने आर्थिक-राजनैतिक लाभ उठाये।इन अगड़ी जातियों में शेख़, सैय्यद, पठान, मुग़ल मुख्य है। मुस्लिम संस्थावों जैसे “मुस्लिम पर्शनल लॉ बॉर्ड”,”वक्फ़ बोर्ड” में इन्ही अगड़ी जातीयों का कब्ज़ा है।

वक़्फ़ बोर्ड की लाखों क़रोड़ की सम्पत्तियों को अगड़े मुसलमानों ने कब्ज़ा जमाकर लाभ उठाए ।नए वक़्फ़ ऐक्ट के विरोध में यहीं अगड़े मुसलमान हल्ला मचा रहे हैं क्योकि अब पसमंदा मुसलमानों की भागीदारी तय हुई है। विकास के दौर में अजलाफ़, अरज़ाल (पसमंदा, अति ग़रीब) पिछड़ते चले गये, ज़िनकी संख्या 95% से कम नहीं है ।

आर्थिक-राजनैतिक रूप से मज़बूत मुस्लिम अगड़ा वर्ग,पसमंदा और ग़रीब मुसलमानों को “इस्लाम” के नाम पर भ्रमित करता रहा और उनके अपने अधिकारों से ध्यान भटकाता रहा।अब मसमंदा मुसलमानों मेंअंसारी,चिकवा,घोसी,दर्ज़ी,गुनिया,इदरीसी, नाई मनिहार,सैफी,दरवेश और अति ग़रीब जातीयों में मुस्लिम जमादार(लालबेगी),हलालखोर,रज़्ज़ाक़, मुस्लिम धोबी, मोची को जातीय जनगणना से आर्थिक-राजनैतिक भागीदारी तय करने में मदद मिल सकेगी।”जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” का सिद्धांत मुसलमानों में भी लागू होगी।

मुसलमानों की जातीय जनगणना से पसमंदा और ग़रीब मुसलमानों की आर्थिक- राजनैतिक स्थिति में क्रांतिकारी परिवर्तन आयेगा। याद रखें अगड़ी “ अशरफ़” मुस्लिम जातियाँ, और मुस्लिम वोट- बैंक की राजनीति करने वाली राजनैतिक दल,मुसलमानों में जातीय जनगणना का विरोध धर्म के नाम पर करेंगी जिससे पसमंदा और ग़रीब मुसलमानों को सावधान रहना होगा।

Written By –

Brij Lal IPS Retd
Member of Parliament (Rajya Sabha)
Chairman Parliamentary Standing Committee on Personal,Public Grievances,Law & Justice.
Dated Lucknow May 2,2025.

उपरोक्त लेखक के निजी विचार हैं…