BRI Corridor: क्यो होती है दुनिया में चीन के BRI की आलोचना

BRI Corridor: हाल ही हुए जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान यूरोपियन भारत सउदी अरब , संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका ने मिलकर एक नये आर्थिक गलियारे इनिया में आर्थिक कोरिडोर की नीव रखी है । जिससे रेल मार्ग और बंदरगाह इसके अलावा व्यापार के लिहाज से भारत की कनेक्टिविटी दूसरे देशों के साथ पहले से बेहतर होगी क्योंकि भारत चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं है।

BRI Corridor

इस तरह से अन्य लगता और ईंधन के इस्तेमाल पर खर्च होने वाले पैसों को बजाया जा सकता है हालांकि इस प्रोजेक्ट में तुरकिये को शामिल नहीं किया गया है। भारत में बीआरआई के ईस्ट यूरोप इकोनामी कॉरिडोर को चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है ।

BRI Corridor: माना जा रहा है किस बीआरआई प्रोजेक्ट पर लगाम लगाया जा सकता है। इससे चीन को बड़ा झटका देने की तैयारी है। इस व्यापार गलियारे की तैयार होने से क्लीन एनर्जी ऊर्जा व्यापक बिजली मिल सकेगी ।इसके अलावा खाद्य सुरक्षा और सप्लाई चेन को दुरुस्त किया जा सकेगा। इससे नौकरियों में इजाफा होगा ।

द वीक मैगजीन के मुताबिक इस पूरे प्रोजेक्ट में 7.01 ट्रिलियन डॉलर का निवेश है ।इसमें अब तक 149 देश साझेदारी है जिसमें सबसे ज्यादा अफ्रीका के सब शहर क्षेत्र के 44 देश शामिल है। अप्रैल 2023 तक की-20 के 9 देश इस में शामिल है। हालांकि इटली अब बीआरआई प्रोजेक्ट से बाहर निकालने की राह तलाश रहा है । इस प्रोजेक्ट से बाहर निकलने का इशारा कर दिया था इटावाली अखबार कोरिया में डेला रेस को दिए एक इंटरव्यू में कोई कहा था कि 2019 में बीआरआई प्रोजेक्ट से इटली का जुड़ना जल्दबाजी में लिया गया फैसला था जो तबाह करने वाला साबित हो सकता है।

इसके बाद दिल्ली में जी20 समिट के दौरान इटावाली प्रधानमंत्री जो जियो मेलोडी भी बीड़ी प्रोजेक्ट से बाहर निकालने के संकेत दिए थे। आरोप लगाते रहे हैं मानवी मूल्य को ताक पर रखकर चीन गरीब देशो को अपने शिंकजे में फांसना चाहता है।

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