दलित-ओबीसी-आदिवासी-अल्पसंख्यक छात्रों को शिक्षा से वंचित कर रही मोदी सरकार-कांग्रेस

छात्रों की स्कॉलरशिप में भारी गिरावट और हॉस्टल सुविधाओं की दुर्दशा पर कांग्रेस ने कहा-

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, कहा- दलित, ओबीसी, एसटी, ईबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के हॉस्टल में सुधार हो, स्कॉलरशिप समय पर मिले

राजेंद्र गौतम बोले- छात्रों की स्कॉलरशिप या तो समय पर नहीं आती या कई बार एनआईसी पोर्टल काम ही नहीं करता

भूरिया ने कहा- सरकार शिक्षा से वंचित करके दलित, पिछड़े, आदिवासी एवं अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को कुचल रही

कन्हैया कुमार ने शिक्षा बजट में कमी और एससी-एसटी सब प्लान के पैसे के लगातार डायवर्जन की आलोचना की

नई दिल्ली, 11 जून

कांग्रेस ने केंद्र सरकार द्वारा दलित, ओबीसी, आदिवासी एवं अल्पसंख्यक छात्रों की स्कॉलरशिप में भारी कटौती और आवासीय छात्रावासों की दयनीय हालत को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।

नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में पत्रकार वार्ता करते हुए कांग्रेस एससी विभाग के चेयरमैन राजेंद्र पाल गौतम, आदिवासी विभाग के चेयरमैन डॉ. विक्रांत भूरिया, कांग्रेस कार्य समिति सदस्य डॉ. कन्हैया कुमार ने नेता प्रतिपक्ष श्री राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए एक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि लाखों वंचित छात्र उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे हैं और यह स्थिति संविधान प्रदत्त समानता के अधिकार का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने सरकार से छात्रों की स्कॉलरशिप समय पर देने और इसकी राशि बढ़ाने, एससी-एसटी सब-प्लान का पैसा बिना डायवर्ट किए छात्रों के लिए खर्च करने की मांग की।

राजेंद्र पाल गौतम ने बताया कि किस तरह लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने दरभंगा के डॉ. अंबेडकर हॉस्टल का दौरा किया और वहां अनुसूचित जाति, जनजाति, अति पिछड़े वर्ग, पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यकों के छात्रों की दयनीय स्थिति देखी।

राजेंद्र पाल गौतम ने विशेष रूप से छात्रों की स्कॉलरशिप की समस्या पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्कॉलरशिप या तो समय पर नहीं आती या कई बार एनआईसी पोर्टल काम ही नहीं करता, जिससे छात्र आवेदन नहीं कर पाते। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे 2020-21 में 32 लाख से अधिक छात्रों ने प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए आवेदन किया, जो 2022-23 तक घटकर 12 लाख 34 हजार पर आ गया, यानी 65 प्रतिशत की गिरावट हुई। साल 2020-21 में पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए 40 लाख 94 हजार छात्रों ने आवेदन किया, लेकिन 2022-23 में ये आंकड़ा पांच लाख 38 हजार पर आ गया। करीब 80 प्रतिशत ड्रॉप आउट हुआ। उन्होंने कहा कि छात्रों को फीस के लिए ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज लेना पड़ता है और स्कॉलरशिप न मिलने के कारण वे कर्ज में डूब जाते हैं, जिससे आत्महत्या जैसे दुखद कदम उठाने पड़ते हैं।

डॉ. विक्रांत भूरिया ने कहा कि सरकार शिक्षा से वंचित करके आदिवासी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को कुचल रही है। राहुल गांधी के पत्र का उल्लेख करते हुए भूरिया ने दो मुख्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया, जिनमें पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप को खत्म किया जाना और देश भर के हॉस्टलों की बिगड़ती स्थिति शामिल हैं। उन्होंने बताया कि हॉस्टल ही गरीब छात्रों के लिए पढ़ने का एकमात्र सहारा हैं। उन्होंने हॉस्टलों में वार्डन की समस्या, सुरक्षा की कमी और ऑडिट की कमी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि स्कॉलरशिप न मिलने से स्कूली बच्चे पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हैं। उन्होंने राष्ट्रीय फेलोशिप स्कॉलरशिप को 2023 से पूरी तरह बंद करने की निंदा की और इसे संस्थागत भेदभाव बताया।

वहीं डॉ. कन्हैया कुमार ने स्कॉलरशिप आवेदन संख्या में गिरावट का कारण समय पर पैसे न मिलना और आवेदन प्रक्रिया को सजा जैसा बनाना बताया। उन्होंने शिक्षा बजट में कमी और एससी-एसटी सब प्लान के पैसे के लगातार डायवर्जन की आलोचना की, जिससे गरीब छात्रों को बुनियादी शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है।

डॉ. कन्हैया कुमार ने बताया कि संविधान लीडरशिप कार्यक्रम के तहत अगले 100 दिनों में देश के सभी दलित, आदिवासी, पिछड़े, अति पिछड़े और अल्पसंख्यक हॉस्टलों का ऑडिट किया जाएगा। उन्होंने देशवासियों से इस मुहिम से जुड़ने की अपील की।