India International Trade Fair: हरियाणा के महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों ने लिखी सफलता की इबारत

India International Trade Fair: दिल्ली व्यापार मेले में स्टॉल लगा, महिला समूह अपने उत्पादों को कर रही लोकप्रिय

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India International Trade Fair: मुख्यमंत्री के नौकरी माँगने वालों की बजाए नौकरी देने वाले बनो के कथन को किया साकार

नई दिल्ली 20 नवम्बर – हरियाणा के गुरुग्राम जिला के एक छोटे से गांव ढाणी चित्रसेन की नीलम यादव आज कई असहाय महिलाओं के लिए मिसाल बन गई है। गुरुग्राम जिले के इस गांव में कभी ग़ुरबत की जिंदगी जीने के लिए मजबूर नीलम यादव आज अपने पाँव पर खुद खड़ी है और स्वयं के साथ साथ समूह की अन्य महिलाओं का भाग्य उदय किया। दिल्ली में चल रहे भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में लगाए गए हरियाणा मंडप में स्टॉल लगाकर अब नीलम अपने समूह के उत्पादों को आम जनता में और लोकप्रिय बना रही हैं ताकि उनके समूह की आय में वृद्धि हो और समूह की महिलाए अपने परिवार को और ज़्यादा स्मृद्ध बना सकें ।

नीलम से दिल्ली के व्यापार मेले में मुलाक़ात हुई। बातचीत में उन्होंने अपनी स्वावलम्बन की कहानी साँझा करते हुए बताया कि कैसे उनका महिलाओं का समूह-‘देव वीमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप’ खड़ा हुआ। इस समूह की महिलाओं ने समाज में असहाय खड़ी महिलाओ के उस भ्रम को तोड़ दिया है जिसमे वो अपनी आर्थिक रूप से कमजोर जिंदगी को जीने के लिए मजबूर दिखाई देती है।
ट्रेड फेयर अथॉरिटी ऑफ़ हरियाणा ( टीएफएएच) की प्रशासक सुश्री सोफिया दाहिया ने बताया कि इस ग्रुप ने कदम दर कदम हरियाणा सरकार की विभिन्न योजनाओ का लाभ उठा कर अपनी आय के स्रोत पैदा किये और अन्य महिलाओं को भी इस सफलता के कारवां में शामिल किया। नीलम यादव ने अपनी शुरुआत हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एचएसआरएलएम) से लाभ उठा कर की। उन्होंने खुद की जिंदगी बदलने के साथ-साथ आस पास के 8 गांवों की महिलाओं की तक़दीर भी बदलने का काम किया है।इस समूह ने आजीविका मिशन की मदद से इन गांवों में करीब 800 से 900 महिलाओं को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से जोड़ कर उन्हे आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है।

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दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे हरियाणा मंडप में देव वीमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप के स्टॉल का दृश्य।


सोफ़िया दाहिया के अनुसार मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रदेश के आम जनमानस के इस प्रोत्साहन से कि ‘नौकरी मांगने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बने ‘ कही न कही धरातल पर सत्य होते नज़र आता है। आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार की महिला नीलम, जिनके पति आंशिक रूप से दृष्टि बाधित हैं, किसी तरह गांव में एक छोटी सी रोजमर्रा के सामान की दुकान से अपने परिवार का गुजर बसर कर रही थी। दुकान पर भी बिक्री बहुत ही कम थी। परिवार की माली हालत इतनी ख़राब थी कि बच्चों की फ़ीस के पैसे भी एक बड़ा मुद्दा था। तभी प्रदेश सरकार की ओर से सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाने के लिए आई एक टीम ने उन्हे इस योजना से जोड़ा। उस समय यह असमंजस था कि इस योजना से जुड़ने का कोई लाभ होगा भी कि नहीं। उस समय गांव के सेल्फ हेल्प ग्रुप में 14 महिलायें शामिल हुई। इस समूह की सभी सदस्य उस समय गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से थी। समूह की हर सदस्य हर महीने 100 रूपए ग्रुप में जमा करती । तत्पश्चात हरियाणा ग्रामीण बैंक में सभी सदस्यों के खाते खुलवाये गये। इस से यह लाभ हुआ कि 3 महीने बाद सरकार ने 10 हजार रूपए रिवाल्विंग फण्ड के रूप में समूह को जारी किये। इस अंतराल में हर महीने की सदस्यों की जमा पूंजी और सरकार से प्राप्त राशि से समूह को कुछ हिम्मत बंधी। समूह के अच्छा काम करने पर बैंक ने शुरू में ₹50 हज़ार का ऋण मंजूर कर दिया। अब तक समूह ने ₹3 लाख तक का लोन अपने सदस्यों के आत्मनिर्भर होने के लिए लिया है।


इसी दौरान नीलम गांव में पंच के लिए भी चुन ली गई । गांव के पंचों का प्रशिक्षण हुआ तो वहाँ से कुछ नया करने की सोच पैदा हुई । आस पास के 8 गांवों की 800-900 महिलाओं को हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ा। ये महिलायें आज सिलाई सेंटर, बुटिक, आचार, पापड़ से जुडी इकाइयाँ, समूह सखी और बैंक सखी आदि के रूप में कार्य करते हुए खुद को आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी बनाये का काम कर रही हैं।

नीलम ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र शिकोहपुर ( ज़िला गुरुग्राम) के प्रोजेक्ट के अंतर्गत महिलाओं को 21 दिन का प्रशिक्षण दिया गया जिसमे आचार, मुरब्बे, लड्डू, पापड़, नमकीन आदि बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। साथ ही इनको बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनों को भी महिलाओं को सरकार द्वारा मुफ्त में उपलब्ध करवाया गया। कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के लोग लगातार इनसे सम्पर्क कर प्रोत्साहित करते रहे । नीलम ने बताया कि तब मैने अपना खुद का काम करने का निश्चय किया।

कैमिकल रहित आचार, आवला कैंडी, मिलेट यानी मोटा अनाज से बने उत्पाद, जिनको अब सरकार अधिक से अधिक बढ़ावा दे रही है, उन्हे अपने छोटे से व्यापार में शामिल किया। देखते ही देखते जहाँ महीने की कुल आय 2 से 3 हज़ार रुपए थी। वह आय अब बढ़ कर 30 से 35 हज़ार रुपए तक हो गई है। नीलम आज सभी को गर्व के साथ कहती हैं कि “सरकार की कल्याणकारी नीतियों और कृषि विज्ञानं केंद्र शिकोहपुर के कारण आज मैं एक महिला किसान होने के साथ साथ लघु उद्यमी के रूप में भी अपने को स्थापित कर सकी हूँ।”


उन्होंने कहा कि आज उनका खुद का किचन गार्डन है जिसमें वो जैविक खेती करती है। उस जैविक खेती के उत्पाद को बाजार में अच्छे मूल्य पर बेच कर बड़ा मुनाफा भी प्राप्त कर रही हैं । ये ही वजह है कि नीलम आज समाज और सरकार दोनों से पुरस्कृत हुई हैं। उनके समूह को मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा 2022 में ‘बेस्ट सेल्फ हेल्प ग्रुप’ के रूप में सम्मानित किया गया। 2021 में उन्हें ‘सफल उद्यमी अवार्ड’ से भी नवाज़ा गया है।

आपको बता दे की इसी महीने के 11 नवम्बर को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा नई दिल्ली के आकाशवाणी भवन में “नई सोच, नई कहानी” कार्यक्रम में भी इन्हे आमंत्रित किया गया। मोदी सरकार के फोकस में देश की आधी आबादी यानि महिलाओ का उत्थान है और नीलम यादव आज ग्रामीण आँचल की महिलाओं के उत्थान की बड़ी मिसाल बनी है। यही नहीं, जैविक खेती, स्वावलम्बन और आत्मनिर्भर भारत की जो नींव मोदी सरकार ने रखी उसकी सफलता की प्रेणादायी कहानी बनी है। मुख्य मंत्री मनोहर लाल भी लोगों से ये ऐलान करते रहे हैं कि ‘नौकरी लेने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बने’ । नीलम यादव की सफलता इसे चरितार्थ करती है।

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