Lucknow Oil House: आयल हाउस के नाम से मशहूर इमारत को लोग भूतिया कह कर बुलाते है । ऐसा कहा जाता है रात होते ही यहां आत्माये भटकने लगती है।ऐसा कहा जाता है जो भी इस इमारत में रहता है उसकी मौत हो जाती है।
Lucknow Oil House
Lucknow Oil House : इस इमारत की जांच के लिए जब निकले तो इससे जुड़ी कहानी और किरदारों को जानने के लिए यह जानने के लिए आखिर क्यों इस खूबसूरत इमारत से लोग इतना डरते हैं। आखिर क्यों लोगों ने इस आयल हाउस से दूरी बना ली। यह इमारत किसकी है और क्या इससे जुड़ी कहानी है 19वीं सदी में लखनऊ के नवाबों ने इस तेल हाउस का निर्माण कराया यह काफी बड़ी इमारत है और लखनऊ की दूसरी इमारत की तरह है इसका निर्माण हुआ है इस घर में लखनऊ पर शासन करने वाला अंतिम नवाब वाजिद अली शाह रहा करता था। वाजिद अली शाह था तो नवाब लेकिन तब तक लखनऊ और उसके आसपास के इलाकों में पूरी तरह से अंग्रेजों का कब्जा हो गया था । कहा जाता है कि अंग्रेज़ जब नवाब अली शाह के महल में उनको गिरफ्तार करने आए तो उनकी तरफ से अंग्रेजों पर हमला हुआ अंग्रेजी फौज के कई सिपाहियों को काटकर इसी इमारत के अंदर बने कुएं में डाल दिया गया जितने सैनिक अंदर आते हैं वाजिद अली के लोग उन्हें मार कर कुएं में फेंकते जाते । हालांकि बाद में वाजिद अली को गिरफ्तार कर लिया गया था।
आजादी के बाद इस इमारत को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर का घर बनाया गया। ऐसा कहते है वो ज्यादा समय तक इसमें रह नहीं पाये क्योकि उनके साथ ऐसी अनहोनी हुई कि उसके बाद इस इमारत में किसी ने रहने की हिम्मत नहीं। इस घर की इस घर में रहने के दौरान वाइस चांसलर एक बेटे की बेहद रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी और फिर उन्होंने इस घर को छोड़ दिया।
तब से यहां पर एक कहानी जुड़ गई कहते हैं कि उनके बेटे ने खेल-खेल में उसे कुएं में पत्थर डाल दिए थे जहां अंग्रेजों को मार कर फेंका गया था लोगों का कहना है कि तब से इस घर में अंग्रेजों की आत्माएं नजर आने लगी और उन्हें आत्माओं ने अब यह जगह भूतिया के नाम से मशहूर हो गई है ।दिन दोपहर तो लोग इस खूबसूरत इमारत को देखना चाहते हैं लेकिन रात होने के बाद इस तरह लेकिन रात होने के बाद इस तरफ जाने की हिम्मत नहीं । कहते वाइस चांसलर के परिवार के बाद यह किसी और का आशियाना कभी नहीं बना। इसकी खूबसूरती से ज्यादा लोगों को इस इमारत का खौफ सताता है।
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